अरुण जी के अंतिम दर्शन ना कर पाने का मलाल जिंदगी भर रहेगा: PM मोदी
नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली के जवाहरलाल नेहरु स्टेडियम में पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली की श्रद्धांजलि सभा का आयोजन दिल्ली किया जा रहा है। इस श्रद्धांजलि सभा में पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी समेत कई पार्टियों के दिग्गज नेता मौजूद हैं। कार्यक्रम में बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा कि, कभी सोचा नहीं था कि कभी ऐसा भी दिन आएगा कि मुझे मेरे दोस्त को श्रद्धांजलि देने के लिए आना पड़ेगा। इतने लंबे कालखंड तक अभिन्न मित्रता और फिर भी मैं उनके अंतिम दर्शन नहीं कर पाया, मेरे मन में इसका बोझ हमेशा बना रहेगा।
पीएम मोदी ने कहा कि, वे सर्वमित्र थे, वे सर्वप्रिय थे और वे अपनी प्रतिभा, पुरुषार्थ के कारण जिसको जहां भी उपयोगी हो सकते थे, वे हमेशा उपयोगी होते थे। पिछले दिनों अरुण जी के लिए जो लिखा गया है, उनके लिए जो कहा गया है और अभी भी अनेक महानुभावों ने जिस प्रकार से अपनी स्मृतियों को यहां ताजा किया है इस सबसे अनुभव कर सकते हैं कि उनका व्यक्तित्व कितना विशाल था, कितनी विविधताओं से भरा हुआ था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि, वह डायबिटीज से लेकर कई समस्याओं से जूझते रहे। आखिरी समय तक उनसे पूछने पर भी वह ना अपनी बात बताते थे, ना ही स्वास्थ्य के बारे में बात करते थे। वह हमेशा देश के लिए बात करते थे। उनका मन देश के लिए रम गया था।। उनका मन-मतिष्क हमेशा देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए रम गया था। यही उनकी ऊर्जा, उनका सामर्थ्य था। अरुण जी का जीवन इतनी विविधताओं से भरा हुआ था कि दुनिया की किसी भी Latest चीज की बात निकालिये, वो उसका पूरा कच्चा चिट्ठा खोल देते थे, उनके पास जानकारियों का भंडार था।
हम सबने कुछ न कुछ खोया है, अरुण जी की उत्तम स्मृतियों से प्रेरणा लेते हुए हम सभी कुछ न कुछ देश और समाज के लिए करने के एक भी अवसर को नहीं जाने देंगे: पीएम मोदी pic.twitter.com/wohOrzNDqR
— BJP (@BJP4India) September 10, 2019
पीएम ने कहा, 'पहली बार जब कोई क्लाइंट उनके पास जाता था तो निराश होता था। जब मैं अपनी समस्या समझा रहा था तो वे टीवी देख रहे थे, जब में अपनी दिक्कत के बारे में बात कर रहा था तो वे खाने का ऑर्डर कर रहे थे। वह निराश होकर जाता था, लेकिन जब वह कोर्ट में उन्हें सुनता था तो स्तब्ध हो जाता था। उन्होंने कहा कि, छात्र राजनीति की नर्सरी में पैदा हुआ पौधा हिंदुस्तान की राजनीति के विशाल फलक में एक वट वृक्ष बनकर उभर आए ये अपने आप में बहुत बड़ी बात है। प्रतिभा को एक निश्चित दिशा में ढाल करके उन्होंने हर काम में एक नई ऊर्जा और एक नई सोच दी।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि अरुण जी के असमय जाने से देश, संसद, बीजेपी, अरुण जी का परिवार और मेरी व्यक्तिगत क्षति भी बहुत बड़ी है। उनके जाने से जो रिक्तता सामने आई है, उसे भरा नहीं जा सकता है। शाह ने कहा कि जेटली जी खेल संगठनों को लेकर भी काफी सक्रिय थे। राजनीतिक में भी अपने बारे में सोचे बगैर पार्टी और विचारधारा के लिए अंतिम सांस तक काम कैसे करें, अरुण जी इसका उदाहरण थे। सार्वजनिक जीवन में पार्टी लाइन को पार करते हुए ढेर सारे लोगों को मित्र बनाना उनकी कला थी।
उन्होंने कहा, 'कई बार उन्होंन मुझे टूटने से बचाया है। वह बड़े भाई की तरह मेरी मदद करते थे। अटल जी और मोदी जी के मंत्रिमंडल एक सफल मंत्री के तौर पर काम किया।' शाह ने कहा कि जेटली जी की वजह से ही जीएसटी पार्टी लाइन में नहीं फंसा। 370 हटाने के बाद जब उनसे बात हुई तो कतई नहीं लगा कि वह बीमार हैं।
रक्षा मंत्री राजनाथ ने कहा, 'जो भी उनसे मिलता था, उनका कायल हो जाता था। उनकी योग्यता का मैं भी कायल हो गया था। अटल जी के मंत्रिमंडल में हम दोनों ने साथ ही शपथ ग्रहण किया था। बीजेपी के अध्यक्ष के रूप में जब मैं जिम्मेदारी संभाल रहा था। बीजेपी का नैरेटिव सेट करने काम अरुण जी करते थे। बुद्धिजिवियों के बीच बीजेपी को लेकर नैरेटिव बदलने की भूमिका सबसे ज्यादा जेटली जी की थी।'
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