साल 1997 के बाद पहली बार दावोस में होगा भारत का प्रतिनिधित्व, आर्थिक मंच से पीएम मोदी करेंगे दुनिया को संबोधित
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले कुछ दिनों भीतर दावोस में एक वैश्विक आर्थिक मंच पर विश्व भर के लोगों को संबोधित करेंगे। बीते कुछ हफ्तों में देश की आर्थिक स्थिति पर सीएएसओ ने वित्तीय वर्ष साल 2017-18 के लिए विकास दर, 7.1 फीसदी से कम कर 6.5 फीसदी कर दिया है। सरकार ने ऐलान किया है कि वो 50,000 करोड़ रुपए और उधार लेगी। इतना ही नहीं साल 2017 की 1 जुलाई से लागू किए गए वस्तु एवं सेवा कर से भी कलेक्शन कम हुआ है। ऐसे में निवेशकों बीच आशंकाएं बढ़ गई हैं। खासतौर से तब जब कि अगले लोकसभा चुनाव होने में कुछ ही दिन बचे हैं।
बजट के पहले आए फैसले
कैबिनेट ने बुधवार को विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) पर नए नियम और सिंगल ब्रांड खुदरा क्षेत्र के लिए स्वत: अनुमोदन के साथ-साथ , विदेशी एयरलाइंस के लिए एयर इंडिया में 49 फीसदी तक का निवेश करने का दरवाजा खोलने का फैसला किया जो बजट के कुछ दिनों पहले आया है। साल 2019 में सरकार का कार्यकाल पूरा होने से पहले यह बड़ा कदम माना जा रहा है।
दावोस में शामिल हो रहे नेताओं के लिए बड़ा सिग्नल
बुधवार (10 जनवरी) को की गई घोषणा को दावोस में, विश्व भर से आने वाले कंपनियों के सीईओ और दावोस में शामिल हो रहे नेताओं के लिए बड़ा सिग्नल माना जा रहा है। भारत की ओर से उठाए गए इस कदम को निवेशकों को लुभाने वाला कदम माना जा रहा है। यह कदम सिर्फ इसलिए महत्वपूर्ण नहीं है कि बीते कुछ समय से भारत में विदेशी निवेश कम आना कम हुआ है हालांकि कई चिंताओं के बाद भी निवेश कम कम किए जा रहे हैं
रिकॉर्ड 60 बिलियन डॉलर का विदेशी निवेश
वित्तीय वर्ष 2016-17 में रिकॉर्ड 60 बिलियन डॉलर का विदेशी निवेश भारत में हुआ था। विश्व बैंक ने वैश्विक आर्थिक संभावनाओं पर अपनी रिपोर्ट में कहा था कि 2018 में भारत की विकास दर 7.3% हो सकती है, जो कि चीन से आगे है, जो 2017 में 6.8% से धीमी हो गई है, और इस वर्ष 6.4% है।
साल 1997 के बाद पहले पीएम
सरकार और कई अर्थशास्त्री भी मानते हैं कि 2018-19 में व्यापार में वैश्विक सुधार के पीछे निर्यात बढ़ेगा। दावोस के कुछ नियमित लोगों के अनुसार, प्रधानमंत्री की उपस्थिति खुद ही भारत पर निवेश का फोकस बनाए रखने में मदद कर सकते हैं। उनके अनुसार, भारत पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है। साल 1997 में एच डी देवेगौड़ा के बाद, किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री ने दावोस की यात्रा नहीं की।