तमिलनाडु के ममल्लापुरम में पीएम मोदी करेंगे जिनपिंग से मुलाकात, खास है इसका चीन से रिश्ता
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले हफ्ते चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे। यह मुलाकात तमिलनाडु के ममल्लापुरम में होगी। दरअसल ममल्लापुरम का चीन से काफी पुराना नाता है। काफी लंबे समय तक ममल्लापुरम बंदरगाह पर पल्लव वंश का अधिपत्य रहा था। यही नहीं यहां से चीन से संपर्क साधने के लिए दूतों को भी भेजा जाता था। ममल्लापुरम को खास तौर पर पत्थर की नक्काशी और पल्लववंश के काल में पत्थरों से बने मंदिरों के लिए जाना जाता है और यह यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में से एक है।
प्राचीन संबंध
ममल्लापुरम के अधिकतर स्मारकों का निर्माण नरसिंह वर्मन प्रथम के कार्यकाल में किया गया था। जोकि 630-670 ई. था। जाने में पुरातत्विद एस राजवेलू ने बताया कि इसी काल के चीन के सिक्के भी तमिलनाडु में पाए गए थे, इससे इस बात की ओर इशारा जाता है कि प्राचीन काल में भी भारत और चीन के बीच व्यापारिक संबंध थे। पूर्वी तमिलनाडु से मिट्टी के बर्तन पहली और दूसरी शताब्दी के यहां पाए गए थे, जोकि हमे इस बात के पुख्ता सबूत देते हैं कि यहां पर चीनी लोगों का आना जाना था। ऐसे में पीएम मोदी से जिनपिंग की मुलाकात के दौरान इस ऐतिहासिक संबंध का जिक्र यहां किया जा सकता है।
दूत को भेजा जाता था
राजवेलू बताते हैं कि पल्लव वंश के लोगों ने अपना दूत चीन में भेजा था। इसी तरह से चीन में तमिल में लिखे पात्र मिलते हैं। चीनी मॉक व्हेन सांग भी कांचीपुरम आए थे, वह निसंदेह ममल्लापुरम भी आए थे, इसके बाद उन्होंने शहर में मंदिरों के दर्शन करने शुरू किए थे। बौद्ध धर्म को और जानने के लिए वह कांचीपुरम गए थे।
चेन्नई से 50 किलोमीटर दूर
दुनिया के दो सर्वाधिक आबादी वाले देशों के राष्ट्राध्यक्षों की मुलाकात के लिए इस शहर को सजाया जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग यहां की ऐतिहासिक और खूबसूरत इमारतों को एक साथ देखेंगे। बता दें कि ममल्लापुरम चेन्नई से 50 किलोमीटर दूर है, जहां 11-13 अक्टूबर को मोदी और शी जिनपिंग के बीच अनौपचारिक शिखर वार्ता होगी। इसे पहले चीन के वुहान शहर में दोनों नेताओं के बीच यह शिखर वार्ता हुई थी।