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हजयात्रा के लिए महिलाओं पर लगी बड़ी पाबंदी खत्म, PM ने मन की बात में दी जानकारी

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मन की बात के काकर्यक्रम के जरिए मुस्लिम महिलाओं के साथ हो रहे भेदभाव के मुद्दे को उठाया और उन्होंने हज यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि दशकों से मुस्लिम महिलाओं के साथ भेदभाव हो रहा है, उनके साथ अन्याय किया जा रहा है, लेकिन इस अन्याय और भेदभाव के बारे में कोई बात नहीं करता है। हाल ही में जिस तरह से तीन तलाक के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मुस्लिम महिलाओं का साथ मिला है उसे देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी मुस्लिम महिलाओं से जुड़े तमाम मुद्दों को लगातार उठा रहे हैं। इससे पहले भी 26 नवंबर को मन की बात के कार्यक्रम में पीएम ने कहा था कि हमारी जानकारी के मुताबिक अगर कोई मुस्लिम महिला हज यात्रा के लिए जाना चाहती है तो उसे अपने महरम यानि पुरुष अभिभावक की इजाजत लेनी पड़ती है, ये भेदभाव महिलाओं के साथ क्यों होता है। उन्होंने कहा कि जब मैंने इस बारे में जानकारी हासिल की तो हैरान रह गया कि आजादी के 70 वर्ष बीत जाने के बाद भी महिलाओं पर इस तरह की पाबंदी लगाने वाले लोग हम ही हैं, मुस्लिम महिलाओं के साथ अत्याचार हो रहा है और इसपर कोई चर्चा तक नहीं करता है।

70 साल से चली आ रही थी प्रथा

70 साल से चली आ रही थी प्रथा

प्रधानमंत्री ने कहा कि कि आजादी के 70 साल बाद भी चली आ रही इस प्रथा को हमने खत्म किया और बिना महरम के उन्हें हज यात्रा पर जाने की अनुमति दी और इस पाबंदी को हटाया। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे अपनी सरकार की उपलब्धि के तौर पर गिनाते हुए कहा कि मुझे खुशी है कि अब तकरीबन 1300 महिलाएं बिना महरम के हज यात्रा के लिए जा सकती हैं, जिन्होंने इसके लिए आवेदन किया है।

मंत्रालय को दिया था सुझाव

मंत्रालय को दिया था सुझाव

इस बाबत प्रधानमंत्री मोदी ने अल्पसंख्यक मामले के मंत्रालय को भी सुझाव दिया है कि अकेले आवेदन करने वाली सभी महिलाओं के आवेदन को स्वीकार किया जाए और उन्हें पहले से चली आ रही लॉटरी सिस्टम के तहत हज यात्रा पर भेजने की प्रक्रिया से अलग किया जाए और सभी आवेदन करने वाली महिलाओं को हज पर भेजा जाए और उनके लिए अलग से व्यवस्था की जाए। आपको बता दें कि हज कमेटी ऑफ इंडिया की नई नीति के बाद बिना महरम 4 महिलाओं व अधिक ग्रुप में जाने वाली महिलाओं को अनुमति दी गई है। यह नई नीति के बाद काफी बड़ा आवेदन है।

क्या है महरम

क्या है महरम

महरम का मतलब होता है मर्तबा, यानि महिला को उस व्यक्ति से हज जाने की अनुमति लेनी होती है जो या तो वयस्क हो, पति या या फिर उसका महिला के साथ खून का रिश्ता हो। बिना इसके पहले महिलाओं को हज यात्रा की अनुमति नहीं थी। महरम वह होता है जिससे महिला का निकाह नहीं हो सकता है, जिसमे मां, बहन, सास, नानी, दादी, आदि आते हैं। बिना महरम के महिला का हज पर जाना नाजायज माना जाता है। शादीशुदा महिला के लिए उसका शौहर ही महरम है।

पहले से तय है कोटा

पहले से तय है कोटा

गौरतलब है कि सऊदी अरब कीक सरकार ने हर देश के तीर्थयात्रियों का कोटा पहले से ही तय कर रखा है। ऐसा इसलिए किया गया है जिससे कि हज के लिए आने वाले यात्रियों के प्रबंधन में किसी भी तरह की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़े। भारत के लिए कुल 170000 हजयात्रियों का कोटा पहले से निर्धारित है। ज्यादातर यात्री भारत में हज कमेटी के जरिए तीर्थयात्रा पर जाते हैं। इसमे से 45000 लोग कमेटी द्वारा अधिकृत प्राइवेट टूर ऑपरेटर के जरिए सऊदी अरब हज यात्रा के लिए जाते हैं।

इसे भी पढ़ें- बुर्कानशीं महिलाओं ने की ट्रिपल तलाक बिल की खिलाफत, कहा- शरीयत में दखलंदाजी बर्दाश्त नहीं

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English summary
PM Modi talk announces end of maharam for women for haj.e says women are still facing bias.
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