PM मोदी ने श्रीलंकाई राष्ट्रपति और मॉरीशस के PM से फोन पर की बात, जानिए क्या हैं इसके मायने?
नई दिल्ली। एलएसी पर चीन के साथ जारी रस्साकसी के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ से फोन पर बात की है। प्रधानमंत्री ने इस दौरान कोरोना वायरस के खिलाफ चल रही जंग में दोनों देशों के साथ एक दूसरे का सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की और संकट की इस घड़ी में भारत की सहायता से श्रीलंका में चल रहीं परियोजनाओं के कार्य में और तेजी लाने का आश्वासन दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के साथ भी फोन पर बातचीत के बाद ट्वीट कर कहा, श्रीलंका कोविड-19 से प्रभावी ढंग से लड़ रहा है। भारत महामारी और इसके आर्थिक प्रभाव से निपटने के लिए अपने करीबी समुद्री पड़ोसी का समर्थन जारी रखेगा।
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प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि बातचीत के दौरान हम श्रीलंका में भारतीय सहायता प्राप्त विकास परियोजनाओं में तेजी लाने और निवेश लिंक को मजबूत बनाने के लिए सहमत हुए हैं।
Had an excellent talk with President @GotabayaR. Sri Lanka is fighting COVID-19 effectively under his leadership. India will continue to support our close maritime neighbour in dealing with the pandemic and its economic impact.
— Narendra Modi (@narendramodi) May 23, 2020
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वहीं, मॉरीशस के प्रधानंत्री से भी टेलीफोन पर बातचीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए अगले ट्वीट में कहा, आज की गर्मजोशी से भरी चर्चा के लिए प्रधानमंत्री पीके जगन्नाथ का धन्यवाद। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट में मॉरीशस में सफलतापूर्वक कोविड-19 को काबू में करने के लिए बधाई भी दी।
एक अन्य ट्वीट में पीएम मोदी ने कहा, हमारे लोग संस्कृति और मूल्यों के आधार पर गर्मजोशी से भरा विशेष संबंध साझा करते हैं। भारतीय इस कठिन समय में अपने मॉरीशस के भाई-बहनों के साथ खड़े होंगे।
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रणनीतिक मामलों के विश्लेषक कमोडोर उदय भास्कर ने पीएम मोदी द्वारा श्रीलंका और मॉरीशस के राष्ट्र प्रमुखों से बातचीत को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि भारत अपने छोटे पड़ोसियों के साथ बहुत ही गैर-लेन-देन के तरीके से दोस्ती का हाथ बढ़ा रहा है और इससे भारत की विश्वसनीयता बढ़ती है।
उन्होंने आगे कहा कि चीन को सीधे तौर पर उल्लेखित नहीं किया जा सकता है, लेकिन भारत द्वारा अपनी विश्वसनीयता बढ़ाने के प्रयास के रूप में प्रधानमंत्री के उक्त प्रयास नई दिल्ली को लंबे समय में जरूरत के समय एक दोस्त के रूप में अच्छी स्थिति में खड़ा करेगा।
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