पीएम मोदी के फोटो वाली टिकट बांटने पर रेलवे ने 4 कर्मचारियों को किया सस्पेंड
नई दिल्ली। पीएम मोदी की फोटो छपी आरक्षित टिकटों को बांटने के मामले में उत्तर रेलवे ने एक्शन लेते हुए वाणिज्य निरीक्षक सहित चार रेलकर्मियों को सस्पेंड कर दिया है। उत्तर रेलवे द्वारा सस्पेंड किए गए सभी कर्मचारी बाराबंकी स्टेशन के हैं। इस मामले की जानकारी देते हुए एडीएम ने बताया है कि 13 अप्रैल को जब शिफ्ट बदली तो टिकट की पुरानी रोल जिसमें पीएम मोदी की तस्वीर लगी थी उसको गलती से इस्तेमाल कर लिया गया। बता दें कि, चुनावों की घोषणा के बाद रेलवे बोर्ड ने पुराने टिकट रोल के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। जिन पर पीएम मोदी की फोटो छपी हुई थी।
रेलवे टिकट पर PM आवास योजना का प्रचार
इस मामले के संज्ञान में आने के बाद उत्तर रेलवे के डीआरएम ने एक्शन लेते हुए दो आरक्षण क्लर्कों के अलावा, एक मुख्य आरक्षण पर्यवेक्षक और एक वाणिज्यिक निरीक्षक को भी निलंबित कर दिया गया है। जिस टिकट के लेकर ये मामला सामने आय़ा था उसे बाराबंकी आरक्षण केंद्र पर तैनात आरक्षण कर्मी चित्रा कुमारी ने 14 अप्रैल को सुबह 10.34 बजे एक यात्री का टिकट बनाया। टिकट खरीदने वाले शख्स मोहम्मद शब्बार रिजवी ने बाराबंकी से वाराणसी जाने के लिए गंगा-सतलज एक्सप्रेस की टिकट ली थी। इस टिकट पर प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) सबके लिए आवास का विज्ञापन छपा था। टिकट के पीछे पीएम नरेंद्र मोदी का फोटो भी छपा था।
शिकायत करने पर डांट कर भगा दिया
उन्हें पता था कि आचार सहिंता लागू हो चुकी है। ऐसे में टिकट पर पीएम का फोटो लगाना आचार सहिंता का उल्लंघन है। उन्होंने इसकी शिकायत सुपरवाइजर से की, लेकिन उसने उन्हें डांटकर भगा दिया। जिसके बाद रिजवी ने ये बात मीडिया में जानकार अपने कुछ लोगों की बताई। रिजवी ही नहीं कई लोगों ने भी रेलवे को इसकी शिकायत की थी, लेकिन रेलवे के अधिकारियों ने इसे अनसुना कर दिया था। मीडिया के समक्ष मामला आने के बाद मामले पर चुनाव आय़ोग ने संज्ञान लेते हुए रेलवे को नोटिस जारी कर दिया। रेलवे ने इस मामले में एक जांच कमेट गठित कर रिपोर्ट मांगी थी।
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चार रेलवे कर्मी निलंबित
चुनाव आयोग ने पूरे मामले पर जिला प्रशासन से रिपोर्ट तलब की थी। इसके बाद डीएम ने एडीएम संदीप कुमार गुप्ता को इस मामले की जांच सौंपी। एडीएम की जांच में रिजर्वेशन सुपरवाइजर सुरेश कुमार, आरक्षण क्लर्क चित्रा कुमारी और मुख्य आरक्षण पर्यवेक्षक ओंकारनाथ प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए। रेलवे ने इन कर्मचारियों पर नजर रखने की जिम्मेदारी निभाने वाले सीएमआई को भी सस्पेंड कर दिया।
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