पीएम मोदी पहुंच रहे असम, लोग नाराज़ या ख़ुश?
असम में नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) के ख़िलाफ़ शुरू हुए विरोध के बाद पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज यानी सात फ़रवरी को राज्य के दौरे पर आ रहें है. दरअसल, हाल ही में नई दिल्ली में अलगाववादी संगठन नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफ़बी) के सभी चार गुटों, ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन (आब्सू) और केंद्र सरकार के बीच बोडो शांति समझौते
असम में नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) के ख़िलाफ़ शुरू हुए विरोध के बाद पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज यानी सात फ़रवरी को राज्य के दौरे पर आ रहें है.
दरअसल, हाल ही में नई दिल्ली में अलगाववादी संगठन नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफ़बी) के सभी चार गुटों, ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन (आब्सू) और केंद्र सरकार के बीच बोडो शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे.
बोडो शांति समझौता होने की ख़ुशी में पश्चिमी असम के कोकराझाड़ शहर में शुक्रवार को एक जनसभा का आयोजन किया जा रहा है, जिसे संबोधित करने प्रधानमंत्री मोदी पहुंचेंगे.
प्रधानमंत्री मोदी के असम दौरे को लेकर चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि इससे पहले पीएम मोदी यहां हो रहे विरोध-प्रदर्शन को देखते हुए कई कार्यक्रमों में भाग लेने से पीछे हट गए थे.
इन विरोध-प्रदर्शनों के कारण ही बीते दिसंबर में प्रधानमंत्री मोदी और जापानी प्रधानमंत्री शिंज़ो आबे की गुवाहाटी में होने वाली मुलाक़ात को रद्द कर दिया गया था.
वहीं पीएम मोदी गुवाहाटी में आयोजित हुए खेलो इंडिया- यूथ गेम्स के तीसरे संस्करण के उद्घाटन समारोह में भी नहीं आए थे. हालांकि असम के कई इलाक़ों में अब भी नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ शांतिपूर्ण तरीक़े से विरोध हो रहा है.
Thank you Kokrajhar! I am eagerly awaiting tomorrow’s programme. https://t.co/8oxrP0v969
— Narendra Modi (@narendramodi) February 6, 2020
नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ लगातार विरोध कर रहे ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) के महासचिव लुरिन ज्योति गोगोई ने प्रधानमंत्री मोदी के असम दौरे पर बीबीसी से कहा, "पीएम मोदी के असम दौरे का विरोध करने को लेकर आसू ने अभी तक किसी तरह का आधिकारिक निर्णय नहीं लिया है. हम चाहते है बोडो शांति-समझौता हो और इस समस्या का राजनीतिक स्तर पर सम्मानजनक समाधान निकले. कुछ कट्टरपंथी ताक़तें हैं वो भी बोडो लोगो को हमारे ख़िलाफ़ भड़का सकती हैं. हम चाहते है कि असम की सभी जनजातियों के बीच हमेशा एक अच्छा समन्वय कायम रहे."
आसू नेता आगे कहा, "दरअसल, प्रधानमंत्री इस कार्यक्रम के ज़रिए असम में आना चाहते हैं लेकिन जब बोडो समझौता पर हस्ताक्षर किए जा रहे थे तो उस समय वे वहां मौजूद ही नहीं थे. पीएम का यहां आने का मक़सद असम में मौजूदा माहौल को सामान्य दिखाने का है. बोड़ो शांति समझौते के सहारे प्रधानमंत्री असम का दौरा कर रहे है ताकि वे और उनके लोग देश के बाक़ी हिस्सों में बोल सकें कि असम अब पूरी तरह शांत है. यहां नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ कोई आंदोलन नहीं हो रहा है. लेकिन हम लगातार अपना आंदोलन जारी रखेंगे और आने वाले दिनों में सभी जनजातियों को साथ लेकर इस क़ानून के ख़िलाफ़ आंदोलन करेंगे."
कोकराझाड़ से लोकसभा सांसद नब कुमार शरणीया ने कहा, "बोडो सुरक्षा समिति के लोगों ने सात फ़रवरी को असम बंद बुलाया था लेकिन फिर वापस ले लिया. प्रधानमंत्री के इस बार के दौरे के समय बंद बुलाना ठीक नहीं होगा. हमारे लोगों ने नागरिकता क़ानून का विरोध किया था लेकिन बोडोलैंड में हमारा प्रमुख मुद्दा अलग है. यहां बोडो और ग़ैर बोडो के अधिकारों का मुद्दा है. ऐसा कहा जा रहा है कि इस समझौते से क्षेत्र में शांति आएगी और अलग बोडोलैंड राज्य की मांग भी आगे नहीं की जाएगी. लेकिन प्रधानमंत्री जी को ग़ैरबोडो लोगों की मांगें भी पूरी करनी होंगी ताकि आगे चलकर बोडो लोगों के साथ किसी तरह का कोई मतभेद न हो."
प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम को देखते हुए असम सरकार ने सात फ़रवरी को बोडोलैंड टेरिटोरियल एरिया वाले चारों ज़िलों में सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की है. असम पुलिस के एडीजीपी (कानून-व्यवस्था) जीपी सिंह के अनुसार चार स्तर पर सुरक्षा बंदोबस्त किए गए है. इस दौरान इलाक़े में किसी भी संगठन को रैली या सभा करने की कोई अनुमति नहीं दी गई है.
असम प्रदेश बीजेपी के उपाध्यक्ष विजय कुमार गुप्ता कहते हैं, "नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर हो रहे विरोध का कोई आधार नहीं है. आवेग में आकर कुछ लोगों ने विरोध की तख्ती हाथ में उठा ली थी. लेकिन हमारी सरकार ने जो क़ानून बनाया है उससे जनता पूरी तरह ख़ुश है. प्रधानमंत्री मोदी जी की सभा में जो भीड़ आएगी वो इस बात का सबूत होगा कि हम जो कुछ कर रहें है सही कर रहें है."
दरअसल, गुवाहाटी के बाद ऊपरी असम के आठ ज़िलों में नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ सबसे ज़्यादा विरोध देखने को मिला है. असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनेवाल भी ऊपरी असम से ही आते हैं, जहां भाजपा को पिछले विधानसभा चुनाव में सबसे ज़्यादा सीटें मिली थीं.
लेकिन विरोध के कारण क्षेत्र में ऐसा माहौल उत्पन्न हो गया कि मंत्री-विधायक और बीजेपी कार्यकर्ता जनता के बीच जाने से कतरा रहें थे. मंत्री-नेताओं को काले झंडे दिखाकर लोग अपना विरोध जता रहे थे. अब भी ऊपरी असम के कई शहरों में लोगों ने अपने घर-दुकानों के बाहर और गाड़ियों पर नागरिकता क़ानून के विरोध में स्टीकर चिपका रखे हैं.
लिहाज़ा ऐसी स्थिति के बाद पहली बार प्रधानमंत्री मोदी बोडोलैंड के प्रशासनिक मुख्यालय कोकराझाड़ में रैली को संबोधित करने आ रहें है, जिसके कई राजनीतिक मायने हैं.
प्रधानमंत्री असम के एक ऐसे इलाक़े में रैली करने पहुंचेगें जो संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत आता है और जहां नागरिकता संशोधन क़ानून का कोई लेना-देना नही होगा. लेकिन पीएम मोदी की असम यात्रा न केवल प्रदेश बीजेपी नेताओ की बैचेनी को कम करेगी बल्कि ऐसी उम्मीद है कि इससे ग्रांउड लेवल पर काम करने वाले पार्टी कार्यक्रताओं का मनोबल बढ़ेगा.
भाजपा को अगले साल होने वाले असम विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश में फिर से अपनी पकड़ मज़बूत करनी है.