जैन आचार्य महाप्रज्ञ की जन्मशताब्दी पर पीएम मोदी ने कहा- मैं और मेरा छोड़ो तो सब तुम्हारा ही होगा
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जैन आचार्य महाप्रज्ञ की जन्मशताब्दी पर कहा कि मैं और मेरा छोड़ो तो सब तुम्हारा ही होगा। प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जैन आचार्य महाप्रज्ञ की जन्मशताब्दी पर कई ट्वीट किए गए हैं। साथ ही प्रधानमंत्री ने इसका वीडियो भी अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर किया है। उन्होंने कहा, 'ये हम सभी का सौभाग्य है कि संत प्रवर आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी की जन्म शताब्दी के पवित्र अवसर पर हम सब एक साथ जुड़े हैं। उनकी कृपा, उनके आशीर्वाद को, आप, मैं, हम सभी अनुभव कर रहे हैं।'
प्रधानमंत्री ने कहा, 'आप में से अनेक जन ऐसे हैं, जिन्हें आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी के सत्संग और साक्षात्कार, दोनों का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। उस समय आपने उनकी आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव जरूर किया होगा। आचार्य महाप्रज्ञ जी कहते भी थे, 'मैं और मेरा छोड़ो तो सब तुम्हारा ही होगा।' उनका ये मंत्र, उनका ये दर्शन उनके जीवन में स्पष्ट दिखाई भी देता था। दुनिया में जीवन जीने का दर्शन तो आसानी से मिल जाता है, लेकिन इस तरह का जीवन जीने वाला आसानी से नहीं मिलता। जीवन को इस स्थिति तक ले जाने के लिए तपना पड़ता है, समाज और सेवा के लिए खपना पड़ता है।'
उन्होंने आगे कहा, 'हमारे श्रद्धेय अटल जी, जो खुद भी साहित्य और ज्ञान के इतने बड़े पारखी थे, वो अक्सर कहते थे कि- 'मैं आचार्य महाप्रज्ञ जी के साहित्य का, उनके साहित्य की गहराई का, उनके ज्ञान और शब्दों का बहुत बड़ा प्रेमी हूं'। आप भी आचार्य श्री के साहित्य को पढ़ेंगे, उनकी बातों को याद करेंगे तो आपको भी अनुभव होगा, कितने ही महापुरुषों की छवि उनके भीतर थी, उनका ज्ञान कितना व्यापक था। उन्होंने जितनी गहराई से आध्यात्म पर लिखा है, उतना ही व्यापक विजन उन्होंने फिलॉस्फी, पॉलिटिक्स और इकोनॉमिक्स जैसे विषयों पर भी दिया है। इन विषयों पर महाप्रज्ञ जी ने संस्कृत, हिन्दी, गुजराती, इंग्लिश में 300 से ज्यादा किताबें लिखीं हैं।'
प्रधानंमत्री ने कहा, 'योग के माध्यम से, लाखों करोड़ों लोगों को उन्होंने डिप्रेशन फ्री लाइफ की कला सिखाई। ये भी एक सुखद संयोग है कि एक दिन बाद ही अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस भी है। हमारे लिए ये भी एक अवसर होगा कि हम सब 'सुखी परिवार और समृद्ध राष्ट्र' के महाप्रज्ञ जी के स्वप्न को साकार करने में अपना योगदान दें, उनके विचारों को समाज तक पहुंचाएं। आचार्य महाप्रज्ञ जी ने हम सबको एक और मंत्र दिया था। उनका ये मंत्र था- 'स्वस्थ व्यक्ति, स्वस्थ समाज, स्वस्थ अर्थव्यवस्था।' आज की परिस्थिति में उनका ये मंत्र हम सबके लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है। मुझे विश्वास है, जिस समाज और राष्ट्र का आदर्श हमारे ऋषियों, संत आत्माओं ने हमारे सामने रखा है, हमारा देश जल्द ही उस संकल्प को सिद्ध करेगा। आप सब उस सपने को साकार करेंगे।'
आचार्य महाप्रज्ञ की 100वीं जयंती
तेरापंथ धर्मसंघ के 10वें आचार्य महाप्रज्ञ की 100वीं जयंती गुरुवार को मनाई जा रही है। आचार्य महाप्रज्ञ ने बालपन में ही अपने पिता को खो दिया था। फिर मां के साथ ननिहाल में रहे। उनका नाम नमथल था। आचार्य महाप्रज्ञ में समर्पण, संकल्प, श्रद्धा और ज्ञान की शक्तियां थीं। आचार्य ने मुनि अवस्था में धारण किए संकल्पों का जीवनभर पालन किया। उनकी आचार्य कालूगणी और आचार्य तुलसी के प्रति गहरी श्रद्धा थी। उन्होंने आठवें कालूगणी से बालपन में जैन दीक्षा ग्रहण की थी। उनकी पूरी शिक्षा और दीक्षा आचार्य तुलसी के ही सानिध्य में हुई थी।
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