Hongqi car: हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल नहीं कर सकता चीनी राष्ट्रपति, इसलिए डिजाइन की गई ये खास कार
चेन्नई। चीनी राष्ट्रपति शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ दूसरी अनौपचारिक वार्ता के लिए भारत आए। दोनों नेता पिछले वर्ष वुहान में इस तरह के सम्मेलन में मिले थे। जिनपिंग का पहला पड़ाव तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई था। यहां पर कुछ देर तक रुकने के बाद चीनी राष्ट्रपति ममल्लापुरम के लिए रवाना हो गए। राष्ट्रपति जिनपिंग ने 56 किलोमीटर की इस दूरी को कवर करने के लिए हेलीकॉप्टर की जगह अपनी लग्जरी लिमोजिन हॉन्गची पर भरोसा जताया। हेलीकॉप्टर की जगह सड़क के रास्ते ममल्लापुरम पहुंचकर जिनपिंग ने हर किसी को हैरान कर दिया।
काफिले में नजर आई आलिशान कार
पीएम मोदी चेन्नई से ममल्लापुरम तक हेलीकॉप्टर से गए थे लेकिन शी ने अपनी कार पर भरोसा जताया। चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग चेन्नई के आईटीसी ग्रैंड चोला में रुके हुए हैं और यहां से महाबलीपुरम तक पहुंचने के लिए उन्होंने अपनी आलिशान कार का सहारा लिया। यह कार चीनी राष्ट्रपति के काफिले के साथ खासतौर पर आई है। हॉन्गकी वह लग्जरी चाइनीज कार है जिसका प्रयोग चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के नेता माओ त्से तुंग के समय से करते आ रहे हैं। चीनी भाषा में हॉन्गची का मतलब होता है, लाल झंडा। पीएम मोदी से मुलाकात के साथ साइट सीन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के बाद बाद जिनपिंग रात में ही चेन्नई लौट गए। जिनपिंग, भारत दौरे पर चार हॉन्गची कारों को लेकर आए हैं।
हेलीकॉप्टर का प्रयोग न करने का नियम
चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से बताया गया है कि चीनी नेताओं ने यह नियम बनाया हुआ है कि वह हेलीकॉप्टर का प्रयोग नहीं करते हैं। चीनी विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, 'चीनी नेता प्लेन और कार से सफर करते हैं और हेलीकॉप्टर का प्रयोग नहीं करते हैं।' इस अधिकारी ने यह जानकारी उस सवाल के बदले में दी जिसमें उनसे पूछा गया था कि आखिर जिनपिंग ने हेलीकॉप्टर की जगह कार को क्यों चुना। जिनपिंग इससे पहले भी जी20 जैसी समिट के लिए भी हेलीकॉप्टर की जगह कार का प्रयोग करके लोगों को चौंका चुके हैं। जिनपिंग को माओ के बाद चीन का सबसे ताकतवर नेता माना जाता है। राष्ट्रपति होने के अलावा वह कम्युनिस्ट पार्टी के मुखिया और चीनी मिलिट्री के सु्प्रीम कमांडर भी हैं।
हर चीनी राष्ट्रपति करेगा इसी कार का प्रयोग
पिछले वर्ष जब उन्होंने संविधान में संशोधन करके राष्ट्रपति के लिए दो बार से ज्यादा के कार्यकाल पर लगे बैन को हटाने के अलावा हॉन्गची के प्रयोग का नियम भी शुरू किया। अब अमेरिकी राष्ट्रपति की ही तरह चीनी राष्ट्रपति भी आधिकारिक तौर पर अपने हर दौरे पर इसी कार का प्रयोग करेंगे। साल 2014 में जब जिनपिंग अपने न्यूजीलैंड के दौरे पर गए थे तो पहली बार इस कार को वहां पर देखा गया था। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की ओर से उस समय बताया गया था कि शी अपने साथ दौरे पर दो हॉन्गची एल5 कारों को न्यूजीलैंड लेकर गए हैं।
आठ सेकेंड में 100 किलोमीटर
शी की लिमोजिन पूरी तरह से बुलेट प्रूफ है और इस वर्ष अप्रैल में जब साउथ ईस्ट एशिया के तीन देशों के दौरे पर गए थे तो उस समय भी उन्होंने अपनी कार पर ही भरोसा किया था। साल 2012 में जिनपिंग ने सत्ता संभाली थी और कार के प्रयोग करने के इस कदम को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीनी ब्रांड के प्रमोशन क तौर पर देखा गया। पार्टी कैडर को भी आदेश दिए गए हैं कि वे विदेश ब्रांड की कारों का उपयोग न करें। यह कार सिर्फ आठ सेकेंड में जीरो से 100 किलोमीटर की स्पीड हासिल कर लेती है। 3,152 किलोग्राम की इस गाड़ी में चार दरवाजे हैं और यह 18 फीट लंबी और 6.5 फीट चौड़ी है। गाड़ी में रोल्स रॉयस और मर्सीडीज जैसी कारों में मौजूद सभी लग्जरी मुहैया कराई गई हैं। यह चीन की सबसे महंगी कार है जिसकी भारतीय रुपयों में कीमत करीब छह करोड़ है।