महाबलीपुरम में टहलते-टहलते सागर से संवाद करने में खो गए थे PM मोदी, भावों को समेट लिखी ये कविता
नई दिल्ली- तमिलनाडु के महाबलीपुरम में समंदर तट पर कचरा समेटते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीरें खूब वायरल हो चुकी हैं। उस दौरान उनके हाथ में कुछ था, उसको लेकर भी खुलासा हुआ कि वह एक्यूप्रेशर रोलर था, जो पीएम मोदी के रोजाना के एक्सरसाइज का हिस्सा है। लेकिन, अब एक बात और सामने आई है, जिसे किसी ने महसूस नहीं किया था। दरअसल, जब पीएम मोदी ऐतिहासिक नगरी ममल्लापुरम में समुद्री लहरों के साथ-साथ सुबह की सैर कर रहे थे, तो उनका कवि मन एक कविता भी संजोए जा रहा था। पीएम मोदी ने समंदर की लहरों के साथ अपने मन में जुटाए भावों को एक सुंदर सी कविता का स्वरूप देकर रविवार को ट्विटर के जरिए पुरी दुनिया के लोगों के साथ साझा किया है।
कविता साझा करते हुए पीएम मोदी ने लिखा है, 'कल महाबलीपुरम में सवेरे तट पर टहलते-टहलते सागर से संवाद करने में खो गया। ये संवाद मेरा भाव-विश्व है।' प्रधानमंत्री ने लिखा है कि इस संवाद भाव को शब्दबद्ध करके आपसे साझा कर रहा हूं।
पीएम मोदी की कविता की पंक्तियां कुछ इस तरह से हैं-
हे... सागर!!!
तुम्हें मेरा प्रणाम!
तू धीर है, गंभीर है,
जग को जीवन देता, नीला है नीर तेरा।
ये अथाह विस्तार, ये विशालता,
तेरा ये रूप निराला।
हे... सागर!!!
तुम्हें मेरा प्रणाम!
कल महाबलीपुरम में सवेरे तट पर टहलते-टहलते सागर से संवाद करने में खो गया।
ये संवाद मेरा भाव-विश्व है।
इस संवाद भाव को शब्दबद्ध करके आपसे साझा कर रहा हूं- pic.twitter.com/JKjCAcClws
— Narendra Modi (@narendramodi) October 13, 2019
हालांकि, पीएम मोदी की ये कोई पहली कविता नहीं है। इससे पहले वे अपने मन की भावनाओं को पहले भी शब्दों में उकेरकर कविता के रूप में पे कर चुके हैं। साल 2007 में 'आंख आ धन्य छे' नाम से गुजराती में उनकी 67 कविताओं का एक संकलन छपा था। बाद में वह कविता हिंदी में भी आई, जो 'आंख ये धन्य है' के नाम से छापी गई और अंजना संधीर ने उसका गुजराती से हिंदी में अनुवाद किया था।
जानिए कौन-कौन है पीएम मोदी के परिवार में, अब भी जी रहे हैं गुमनामी का जीवन