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Common Civil Code: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पास है सुनहरा मौका!

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बेंगलुरू। सुप्रीम कोर्ट ने बीते शुक्रवार को लगातार चौथी बार कहा था कि देश में समान नागरिक संहिता मतलब 'एक देश एक क़ानून' लागू करने के लिए अब तक कोई कोशिश नहीं की गई। न्यायालय ने कहा था कि संविधान निर्माताओं को आशा और उम्मीद थी कि राज्य पूरे भारतीय सीमा क्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता सुनिश्चित कराने की कोशिश करेगा, लेकिन अभी तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

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इतना ही नहीं, शुक्रवार, 13 सितंबर को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अफ़सोस भी जताया कि सर्वोच्च अदालत के अलग-अलग मौक़ों पर प्रोत्साहन के बाद भी एक देश एक क़ानून की दिशा में कोई प्रयास नहीं किया गया। माना जा रहा है कि पीएम मोदी के लिए यह एक बड़ा अवसर है कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 की तरह समान नागरिक संहिता के लिए भी कवायद शुरू कर देनी चाहिए।

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उल्लेखनीय है समान नागिरक संहिता बीजेपी के तीन प्रमुख एजेंडे में से एक है। प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले 72 वर्षों से जम्मू कश्मीर में लागू अनुच्छेद 370 और 35 ए हटाकर एक बड़ा काम किया है जबकि राम मंदिर निर्माण पर सुप्रीम कोर्ट लगातार सुनवाई कर रही है और संभावना जताई जा रही है कि राम मंदिर विवाद पर सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ अक्टूबर माह तक फैसला सुना सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार, 18 सितंबर को मामले की सुनवाई को 18 अक्टूबर तक बहस पूरी करने का निर्देश दिया है। अब अगर प्रधानमंत्री मोदी ने बीजेपी के तीसरे कोर एजेंडे यानी समान नागरिक संहिता का पूरा करने के लिए पहल शुरू दिया तो मोदी का नाम इतिहास में दर्ज हो जाएगा। चूंकि सुप्रीम कोर्ट समान नागरिक संहिता को लागू करने की हिमायत कर रही है तो मोदी को जनता के साथ-साथ विपक्षी दलों का अपेक्षित सहयोग भी मिलेगा।

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अगर आपको याद होगा वर्ष 1985 में मोहम्मद अहमद खान बनाम शाह बानो मामला, वर्ष 1995 में सरला मुद्गल व अन्य बनाम भारत सरकार मामला और वर्ष 2003 में जॉन वेल्लामैटम बनाम भारत संघ के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने समान नागरिक संहिता की हिमायत की थी, बावजूद इसके पिछली सरकारों ने समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए हिम्मत और ताकत जुटाने में नाकाम रही हैं।

हालांकि प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की जोड़ी एक समान और एक कानून को लागू करने के लिए संसद में बिल लाकर शुरूआत कर सकती है। भले ही बीजेपी राज्यसभा में कमजोर है, लेकिन तीन तलाक कानून, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के लिए भी संसद के उच्च सदन में बीजेपी कहां मजबूत थी।

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गौरतलब है सर्वोच्च न्यायालय ने देश में समान नागिरक संहिता कानून लागू करने की हिमायत की बात एक मामले में सुनवाई के दौरान कही थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गोवा एक बेहतरीन उदाहरण है, जहां धर्म से परे जाकर समान नागरिक संहिता लागू है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिन मुस्लिम पुरुषों की शादियां गोवा में पंजीकृत हैं, वो वहां बहु विवाह नहीं कर सकते हैं।

इसके अलावा गोवा राज्य में इस्लाम के अनुयायियों के लिए भी मौखिक तलाक का कोई प्रावधान नहीं है। शायद ही किसी को इसका अंदाजा है कि गोवा राज्य में समान नागिरक संहिता कानून लागू है, जहां मुस्लिम समुदाय शरिया के अनुसार बहु विवाह और तीन तलाक नहीं दे सकते हैं।

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सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एक देश एक क़ानून पर संविधान निर्माताओं की कही बात भी याद दिलाई, जिसमें संविधान निर्माताओं ने राज्य के नीति निर्देशक तत्वों पर विचार करते हुए अनुच्छेद-44 के जरिए यह आशा और उम्मीद जताई थी कि राज्य, सभी नागरिकों के लिए पूरे भारत वर्ष में समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करें।

लेकिन आजादी के 72 वर्षों के बाद भी भारत में समान नागरिक संहिता सियासी और तुष्टीकरण के तिकड़मों के चक्कर में अटका हुआ है, लेकिन केंद्र में सत्तासीन बहुमत वाली बीजेपी सरकार और कड़े फैसलों के लिए जानी जाने वाली मोदी सरकार सुप्रीम कोर्ट के ताजा बयान के बाद समान नागरिक संहिता को अमलीजामा पहनाने के लिए आगे बढ़ सकती है।

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निः संदेह बीजेपी और मोदी सरकार के लिए यह एक सुनहरा अवसर है, जब उसकी पार्टी को अपने तीनों एजेंडे को पूरा करने के लिए बेहतरीन अवसर मिला है और मोदी सरकार तो देशहित में ऐसे कड़े फैसलों के लिए मशहूर हैं। मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 कानून हटाने से पहले भी कई कठोर फैसले किए।

इनमें डीमॉनेटाइजेशन और जीएसटी प्रमुख है जबकि तीन तलाक कानून तो एक नजीर कहा जा सकता हैं। यह चौथा मौका है जब एक देश एक क़ानून के लिए सरकार को सुप्रीम कोर्ट के जरिए प्रोत्साहन मिल रहा है और कम से कम बीजेपी लोकसभा में समान नागिरक संहिता बिल ला सकती है, जहां उसे भारी बहुमत हासिल है।

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लोकसभा में समान नागरिक संहिता बिल पास कराना बीजेपी के लिए मुश्किल नहीं आएगी, क्योंकि लोकसभा में बिल को पास कराने में बीजेपी का अंकगणित मजबूत है। लोकसभा में बिल पास हो गया तो बीजेपी राज्यसभा में भी बहुमत हासिल अंकगणित भिड़ा सकती है और यह समझने के लिए तीन तलाक कानून और अनुच्छेद 370 का उदाहरण काफी है।

एक ऐसा समय जब पूरा देश राष्ट्रहित के गाने गुनगुना रहा हो, तो मोदी सरकार को न केवल जनता का अपेक्षित सहयोग भी मिलेगा बल्कि विरोधियों को जवाब देने में भी उसे अधिक ऊर्जा नहीं खर्चना पड़ेगा। माना जा रहा है कि अगर प्रधानमंत्री मोदी पहल करते हैं तो उनको एक देश एक क़ानून पर फैसला लेने में अधिक मुश्किल नहीं आएगी। ऐसे में जाहिर है बीजेपी के कोर एजेंडे के सभी संकल्पों को पूरा करने के सुनहरे मौके को तो प्रधानमंत्री मोदी भी छोड़ना नहीं चाहेंगे।

यह भी पढ़ें-मोदी की अगुवाई वाला NDA अगले साल राज्यसभा में जुटा सकता है बहुमत। समझिए कैसे?

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English summary
After removal of Special status from Jammu and Kashmir state now PM modi government has golden opportunity to fulfill bjp another resolution which common civil code, as supreme court once again batted for the law of Ek Desh, Ek kanoon
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