लॉकडाउन से पहले नवीन पटनायक से ये सीख सकते थे पीएम मोदी
नई दिल्ली- लॉकडाउन की घोषणा के बाद दिल्ली जैसे महानगरों से गरीब मजदूरों के पलायन की जो भयावह तस्वीरें सामने आई हैं, उसका अंदाजा शायद सरकार पहले नहीं लगा पाई। क्योंकि, एक साल भी नहीं बीते। ओडिशा में मई, 2019 में आया चक्रवाती तूफान फानी उसका कितना नुकसान कर सकता था, उसका अंदाजा लगाना भी कठिन है। लेकिन, प्रदेश के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने सूझबूझ के साथ उस प्राकृतिक आपदा को चुनौती के तौर पर लिया और संकट के बावजूद जानमाल का नुकसान रोकने में कामयाब रहे।
नवीन पटनायक के हाथों से वक्त रेत की तरह फिसलता जा रहा था। 175-185 किलोमीटर की रफ्तार से तूफानी हवाएं तट की ओर बढ़ती जा रही थी। छोटे से राज्य ने नागरिकों को सचेत करने के लिए 20 लाख से ज्यादा टेक्स मैसेज भेजे। रातों-रात तूफान को मात देने वाले शेल्टर तैयार कर दिए, 40,000 स्वयं सेवियों को उतार दिया। सुरक्षित ठिकानों तक पहुंचाने के लिए पुलिस, पब्लिक एड्रेस सिस्टम, पब्लिक ट्रांस्पोर्ट को काम पर लगा दिया। लाखों लोगों को समय रहते सुरक्षित स्थानों तक पहुंचा दिया गया। लॉकडाउन की घोषणा में इस दूरदर्शिता का भयंकर अभाव नजर आया। भूखे-प्यासे लोग हजारों किलोमीटर दूर अपने मूल स्थानों की ओर पैदल ही निकल पड़े।
शायद देश के लिए इतना बड़ा फैसला लेने से पहले अगर प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से उनके अनुभव के बारे में पूछ लिया होता तो हालत अलग हो सकते थे। मानव पीड़ा को वक्त रहते कम करने के लिए यूनाइटेड नेशन भी पटनायक की तारीफ कर चुका है। वो ऐसा इसलिए कर पाए, क्योंकि उनके पास भुगतने वाली संभावित जनता की लिस्ट पहले से तैयार थी, तूफान की आहट से पहले ही शेल्टर वाली जगहों पर जरूरत के सामानों का भंडार जमा कर दिया गया था। मोदी सरकार को भी ऐसा करने के लिए किसी विदेशी सरकार से सीखने की जरूरत नहीं थी, ओडिशा के सीएम उसे सही रास्ता दिखा सकते थे।
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