3000 साल में इजरायल आने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं मोदी- इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू
नई दिल्ली। यदि आप एक आर्थिक शक्ति बनना चाहते हैं, तो आपको करों को कम और सरलीकृत करना होगा। इसके साथ ही नौकरशाही में कटौती करना चाहिए। भारत और इसराइल दोनों का मुख्य काम इस नौकरशाही में कटौती करना है ताकि कंपनियां व्यापार करने के अपने कारोबार के साथ आगे बढ़ सकें। यह बात इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने आज रायसीना डायलॉग के दौरान कही। नेतन्याहू ने कहा कि 'हमारे भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए लोकतांत्रों का गठबंधन महत्वपूर्ण है, मेरा मानना है कि संभावनाएं अनंत हैं। इस यात्रा में, हमने चर्चा की है कि हम नागरिक, सुरक्षा और हर क्षेत्र में अपने दोनों देशों को कैसे मजबूत कर सकते हैं।' आपकी(प्रधानमंत्री मोदी) इजरायल की पहली यात्रा के बाद आशा करते हैं कि आपकी अगली यात्रा के लिए लंबा वक्त नहीं लगेगा। मैं आपको यह बताना चाहता हूं कि हम भारत में विश्वास करते हैं क्योंकि आप इजरायल में विश्वास करते हैं। उन्होंने कहा कि 3000 साल में इजरायल आने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं।
पीएम मोदी ने कहा...
इससे पहले India-Israel Business Summit में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि उनके मन में हमेशा इजरायल और वहां के लोगों के प्रति सम्मान रहा है। मैं जब गुजरात का मुख्यमंत्री था, तो साल 2006 में इजरायल गया था। बीते साल जुलाई में मैं इजरायल गया था, जो भारत की ओर से पहली यात्रा थी। वहां मुझे नवाचार, उद्यम और दृढ़ता की उल्लेखनीय भावना का अनुभव हुआ।
भारत-इजरायल संबंधों के एक नए अध्याय की शुरुआत
उन्होंने कहा था कि नई ऊर्जा और उद्देश्य है जिसके जरिए पिछले कुछ वर्षों में हमारे संबंधों को मजबूत हुए हैं। इससे हमारे सहयोग को अधिक ऊंचाइयों पर ले जाने में मदद मिलेगी। हम भारत-इजरायल संबंधों के एक नए अध्याय की शुरुआत कर रहे हैं, जो हमारे लोगों द्वारा चलाए जाएंगे और जीवन के सुधार के लिए पारस्परिक अवसर है। भारत में, हम दोनों छोटे और सूक्ष्म स्तर पर तीन साल से लगातार कदम उठा रहे हैं, ताकि एक अंतर बना सके। हमारा आदर्श वाक्य है: सुधार, प्रदर्शन और रूपांतरण।
विशाल भंडार का उपयोग करना चाहिए
पीएम ने कहा था कि भारत-इसराइल इनोवेशन ब्रिज दोनों पक्षों के स्टार्ट-अप के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य करेगा। मैं यह कह रहा हूं कि भारतीय इंडस्ट्रीज, स्टार्ट-अप और अकादमिक संस्थानों को अपने इजरायली समकक्षों के साथ मिलकर ज्ञान के विशाल भंडार का उपयोग करना चाहिए।