PM-CARES फंड सरकारी है या निजी, दस्तावेजों में है क्यों है विरोधाभास ?
दिल्ली-कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए बनाया गया पीएम-केयर्स फंड (PM-CARES fund) सरकारी है या निजी, इसको लेकर कुछ अंतर्विरोध की बात कही जा रही है। वैसे तो इसे कॉर्पोरेट डोनेशन के लिए सरकारी ट्रस्ट बताया गया है, लेकिन दावा किया जा रहा है कि इस ट्रस्ट के दस्तावेजों में एक जगह इसे निजी संस्था माना गया है, जो आरटीआई के दायरे (RTI scrutiny) से बाहर है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट भी इस आधार पर इसके फंड के एनडीआरएफ में ट्रांसफर करने का आदेश देने से मना कर दिया था, क्योंकि यह एक चैरिटेबल ट्रस्ट है। लेकिन, सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि दस्तावेजों में अंतर्विरोध होने की बात कही जा रही है।
पीएम केयर्स फंड सरकारी है या निजी?
पीएम केयर्स ट्रस्ट (PM-CARES trust) दिल्ली के राजस्व विभाग में रजिस्टर्ड है। प्रधानमंत्री इस संस्था के चेयरपर्सन हैं और केंद्र सरकार के वरिष्ठ मंत्री इस ट्रस्ट के ट्रस्टी हैं। लेकिन, एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक हाल ही सार्वजनिक की गई ट्रस्ट कीडीड में इसे सरकारी ट्रस्ट के रूप में परिभाषित नहीं किया गया है। इसके अनुसार ट्रस्ट डीड के प्वाइंट 5.3 में कहा गया है, 'ट्रस्ट ना तो सरकारी स्वामित्व या सरकार के किसी उपकरणों द्वारा नियंत्रित और वित्त पोषित है। किसी भी रूप में ट्रस्ट के कार्यकलापों पर किसी भी सरकार का चाहे केंद्र सरकार या किन्हीं राज्य सरकारों का सीधा या परोक्ष नियंत्रण नहीं है।' पीएम-केयर्स (PM-CARES fund)या प्राइम मिनिस्टर सिटिजन्स एसिस्टेंस एंड रिलीफ इन इमरजेंसी सिचुएशंस फंड का गठन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी साल मार्च में कोरोना वायरस महामारी जैसे आपात हालातों से निपटने के लिए किया था।
पीएम केयर्स फंड को लेकर क्या है विरोधाभास?
27 मार्च को पीएम केयर्स ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन हुआ था और अगले ही दिन कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने ऑफिस मेमो जारी कर इसे कॉर्पोरेट सोशल रेस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) के अंतर्गत बताया था, ताकि इसके जरिए कॉर्पोरेट डोनेशन जुटाया जा सके। कंपनी ऐक्ट कॉर्पोरेट डोनेशन के लिए जो पात्रता बताता है, उसके मुताबिक 'प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष या किसी भी फंड जिसे केंद्र सरकार या राज्य सरकारों ने अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जन-जातियों और अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यकों और महिलाओं के सामाजिक-आर्थिक विकास और राहत में सहयोग के लिए' होता है। आरटीआई के जरिए ऐक्टिविस्ट अंजली भारद्वाज ने जो पता लगाया है उसके मुताबिक 28 मार्च को कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के मेमो में पीएम-केयर्स को 'केंद्र सरकार की ओर से स्थापित फंड' बताया गया था। लेकिन, एक दिन पहले के ट्रस्ट डीड के अनुसार इसे सरकार नहीं चलाती। यानि इस तरह से पीएम-केयर्स (PM-CARES fund)कॉर्पोरेट डोनेशन के लिए पात्र नहीं हो सकता था।
विपक्ष ने भी उठाए थे सवाल
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दो महीने तक विरोधाभास जारी रहा और 26 मई को कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने पीएम-केयर्स फंड को 28 मार्च से कंपनीज ऐक्ट के तहत जोड़ दिया। यानि दो महीनों तक निजी संस्था होते हुए भी इसमें कॉर्पोरेट डोनेशन जमा हुए। पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने 20 अगस्त को एक ट्वीट के जरिए यह सवाल उठाया था, 'अगर यह फंड निजी संस्था का फंड है तो इससे प्राप्त होने वाले डोनेशन को सीएसआर के तहत क्यों गिना जाता है?' एनडीटीवी ने पीएमओ में ट्रस्ट डीड के लिए आरटीआई आवेदन डाला, लेकिन उसे इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि फंड सरकारी संस्था नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने चैरिटेबल ट्रस्ट माना है
यहां गौर करने वाली बात है कि इसी साल 18 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पीएम-केयर्स फंड में जमा हुई राशि को नेशनल डिजास्टर रेस्पॉन्स फंड में ट्रांसफर करने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह फंड एक चैरिटेबल ट्रस्ट की तरह है और पूरी तरह से अलग है। अलबत्ता कोर्ट ने यह भी कहा था कि अगर सरकार चाहती है कि वह फंड को एनडीआरएफ में ट्रांसफर करे तो वह इसके लिए स्वतंत्र है।