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छिन सकता है शाही इमाम का पद अहमद बुखारी से

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नई दिल्ली। जामा मस्जिद के शाही इमाम अहमद बुखारी का अपने बेटे को जामा मस्जिद का नायब इमाम बनाने का सपना खटाई मटाई में पड़ सकता है। न्यायालय में दायर की गई तीन जनहित याचिकाओं में कहा गया है कि जामा मस्जिद दिल्ली वक्फ बोर्ड की संपत्ति है और मौलाना सैयद अहमद बुखारी (शाही इमाम) अपने बेटे को नायब इमाम नहीं नियुक्त कर सकते। गौरतलब है कि शाही इमाम ने पीएम मोदी को इस कार्यक्रम में न्योता नहीं भेजा था जिसके चलते काफी विवाद हुआ था।

shahi imam

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी.रोहिणी और न्यायमूर्ति आर.एस.एंडलॉ की खंडपीठ ने कहा कि नायब इमाम का पद ग्रहण करने का कार्यक्रम 22 नवंबर को है, लिहाजा न्यायालय तीनों याचिकाओं पर 20 नवंबर को सुनवाई करेगा। गौरतलब है कि इमाम बुखारी ने इस कार्यक्रम में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ सहित कई गणमान्यों को न्योता भेजा है।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) और केंद्र सरकार के वकील ने न्यायालय को बताया कि जामा मस्जिद एक ऐतिहासिक स्मारक है और मस्जिद के उच्च पदस्थ व्यक्ति नए इमाम या मुख्य इमाम की नियुक्ति कर सकते हैं या नहीं, यह अभी तय नहीं है।

एएसआई के वकील ने कहा, "यह अप्रासंगिक है कि किसे आमंत्रित किया गया है या किसे नहीं किया गया है। यह तकलीफदेह है कि इतिहास के प्रति हमारा रवैया कैसा है। जामा मस्जिद करीब 100 साल पुराना है। यह मानी हुई बात है कि यह वक्फ की संपत्ति है। यह अभी तय किया जाना बाकी है कि नए इमाम की नियुक्ति मस्जिद के शीर्ष पदस्थ व्यक्ति कर सकते हैं या नहीं।"

याचिकाओं में कहा गया है कि बुखारी के 19 वर्षीय बेटे शबन बुखारी को नायब इमाम बनाना गलत है, क्योंकि वक्फ अधिनियम में उत्तराधिकार का नियम शामिल नहीं है।
याचिकाओं के अनुसार, "यह जानते हुए कि इमाम वक्फ बोर्ड के कर्मचारी हैं और इमाम की नियुक्ति का अधिकारी बोर्ड के पास है, बुखारी ने अपने 19 वर्षीय बेटे को नायब इमाम बना दिया और इसके लिए दस्तर बंदी कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है, जो कि पूरी तरह गैर इस्लामिक है।"

आपको बता दें कि जामा मस्जिद का निर्माण मुगल काल में किया गया था। इसके अतिरिक्त जनहित याचिकाओं में बुखारी की शाही इमाम के रूप में नियुक्ति को भी रद्द करने की मांग की गई है। याचिकाओं में कहा गया है कि यह शाही इमाम की अराजकता और सत्ता का दुरुपयोग है। याचिकाओं में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराए जाने की भी मांग की गई है।

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English summary
plea against imam bukhari be heard in court tomorrow. in a programme of jama masjid inviting pak pm not indian pm bukhari faced criticism.
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