पीलीभीत के इस स्कूल में कभी नहीं गाया गया राष्ट्रगान, गाई जाती थी मदरसे की प्रार्थना
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में स्थित बीआरसी विद्यालय का एक वीडियो हाल ही में वायरल हुआ था, जिसमे बच्चे सुबह की प्रार्थना सभा में मदरसों में गाए जाने वाली प्रार्थना कर रहे थे। इस वीडियो के सामने आने के बाद अधिकारियों में हड़कंप मच गया था। हालांकि इस मामले में बीएसए ने खंड विकास अधिकारी बीसलपुर से जवाब मांगा था। खंड विकास अधिकारी की जांच रिपोर्ट के बाद जिलाधिकारी ने स्कूल के प्रधानाचार्य फुरकान अली को सस्पेंड कर दिया था। लेकिन कुछ दिन बाद मानवीय आधार पर प्रधानाचार्य का निलंबन वापल ले लिया गया था। वहीं अब इस मामले में नई जानकारी सामने आई है।
वीएचपी
सदस्य
ने
कराई
थी
शिकायत
जिला
प्रशासन
की
जांच
में
पाया
गया
है
कि
इस
स्कूल
में
कभी
भी
प्रार्थना
सभा
में
राष्ट्रगान
नहीं
गाया
गया।
पीलीभीत
के
जिलाधिकारी
वैभव
श्रीवास्तव
ने
इस
मामले
की
जांच
के
लिए,
जिसके
बाद
तीन
सदस्यीय
टीम
ने
इसकी
जांच
की
थी।
इस
जांच
कमेटी
में
जिला
मजिस्ट्रेट
रितु
पुनिया,
अडिशनल
जिला
मजिस्ट्रेट
वंदना
त्रिवेदी
और
बीएसए
देवेंद्र
स्वरूप
शामिल
थे।
14
अक्टूबर
को
प्रशासन
ने
वीएचपी
सदस्य
की
शिकायत
के
आधार
पर
स्कूल
के
प्रधानाचार्य
फुरकान
अली
को
सस्पेंड
कर
दिया
था।
उनपर
आरोप
था
कि
उन्होंने
छात्रों
से
प्रार्थना
सभा
में
धार्मिक
प्रार्थना
कराई
थी।
वीएचपी
सदस्य
ने
आरोप
लगाया
था
कि
यह
प्रार्थना
मदरसे
में
कराई
जाने
वाली
प्रार्थना
है।
कभी
नहीं
गाया
राष्ट्रगान
लेकिन
बीसलपुर
के
ब्लॉक
एजूकेशन
अधिकारी
उपेंद्र
कुमार
की
जांच
में
पाया
गया
है
कि
फुरकान
अली
ने
छात्रों
से
1902
में
मोहम्मद
इकबाल
द्वारा
लिखी
गई
कविता
लब
पे
आती
है
दुआ
को
गवाया
था।
बता
दें
कि
मोहम्मद
इकबाल
ने
सारे
जहां
से
अच्छा
कविता
भी
लिखी
थी।
जिला
प्रशासन
के
बयान
के
अनुसार
रिपोर्ट
में
कहा
गया
है
कि
बच्चों
से
बात
करने
के
बाद
यह
बात
सामने
आई
है
कि
स्कूल
में
राष्ट्र
गान
और
आधिकारिक
रूप
से
स्वीकृत
प्रार्थना
वो
शक्ति
हमे
दो
दयानिधि
को
कभी
नहीं
गवाया
गया।
बच्चों
ने
बताया
कि
उनसे
कभी
भी
राष्ट्र
गान
गाने
को
नहीं
कहा
गया।
अब
स्कूल
में
तैनात
नए
शिक्षक
बच्चों
से
पिछले
तीन
दिनों
से
स्वीकृत
प्रार्थना
और
राष्ट्रगान
गवा
रहे
हैं।
रिपोर्ट
में
कहा
गया
है
कि
जिस
दिन
जांच
की
गई
उस
दिन
स्कूल
के
कुल
267
में
से
53
बच्चे
मौजूद
थे।
शिक्षा
का
स्तर
असंतोषजनक
रिपोर्ट
में
कहा
गया
है
कि
स्कूल
के
भीतर
शिक्षा
की
गुणवत्ता
असंतोषजनक
पाई
गई
है।
जब
कक्षा
पांच
के
बच्चे
से
कहा
गया
कि
वह
हिंदी
या
अंग्रेजी
में
कोई
साधारण
सा
वाक्य
लिखें
तो
वह
ऐसा
नहीं
कर
सके।
बच्चों
को
सिर्फ
बोलना
ही
सिखाया
गया
था,
कोई
भी
बच्चा
देश
के
प्रधानमंत्री
और
राष्ट्रपति
तक
का
नाम
बता
सका।
कक्षा
पांच
के
बच्चे
ज्ञान
प्रकाश
और
हिंदुस्तान
नहीं
लिख
सके।
बच्चों
में
किसी
भी
तरह
का
कोई
अनुशासन
नहीं
था।