दिल्ली हाईकोर्ट में ऑड-ईवन के खिलाफ दायर हुई याचिका, महिलाओं की छूट को बताया गलत
नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट में एक वकील ने याचिका दायर कर ऑड-ईवन स्कीम के प्रस्तावित क्रियान्वयन को मंगलवार को चुनौती दी। इस चुनौती में वकील ने दलील दी है कि इस योजना के क्रियान्वयन में महिला चालकों को छूट देकर दिल्ली सरकार ने समानता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन किया है। दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने चार से 15 नवंबर तक राष्ट्रीय राजधानी में ऑड-ईवन योजना को लागू करने का फैसला किया है।
याचिका में समानता के अधिकार का उल्लंघन बताया गया है
यह जनहित याचिका (पीआईएल) सुनवाई के लिए दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डी एन पटेल और जस्टिस सी हरिशंकर की पीठ के समक्ष आई है। याचिका को 1 नवंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है। याचिका वकील शाश्वत भारद्वाज की ओर से दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि, यहां एकमात्र प्रतिवादी प्रदेश है जो उपरोक्त योजना को लागू कर रहा है और इसे दिल्ली के निवासियों पर लागू करना लिंग के आधार पर कानून के समक्ष समानता का उल्लंघन है।
समिति गठित करने की मांग
वकील ने याचिका में कहा कि, इसलिए यह योजना अदालत को रद्द कर देनी चाहिए क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 14 का स्पष्ट उल्लंघन है। याचिका में ये भी मांग की गई है कि, दिल्ली सरकार को वरिष्ठ नौकरशाहों और बार के सदस्यों की समिति गठित करे ताकि ऑड-ईवन योजना की व्यावहारिकता पर अध्ययन किया जा सके और ऐसी कोई वैकल्पिक व्यवस्था की जा सके जो किसी मौलिक अधिकार का उल्लंघन न करे।
तीसरी बार दिल्ली में लागू होगा ऑड ईवन
याचिकाकर्ता ने कहा कि सरकार द्वारा महिलाओं को छूट दिए जाने के लिए दिया गया तर्क अस्पष्ट, दुष्टतापूर्ण और गलत है और यह योजना केवल राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए लागू की जा रही है। यह तीसरी बार होगा जब इस योजना को जनवरी और अप्रैल 2016 में दो बार 15-दिवसीय अवधि के लिए दिल्ली में लागू किया जाएगा।
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