'न्याय' स्कीम पर कांग्रेस को इलाहाबाद हाई कोर्ट का नोटिस, पूछा- क्यों न इसे रिश्वत देना समझें
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के घोषणा पत्र में 'न्याय' योजना के तहत गरीबों को 72 हजार रुपए सालाना देने के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पार्टी को नोटिस जारी कर 10 दिन के भीतर जवाब देने को कहा है। कोर्ट ने कांग्रेस पार्टी से पूछा है कि इस तरह की घोषणा वोटरों को रिश्वत देने की श्रेणी में क्यों नहीं है और क्यों न पार्टी के खिलाफ पाबंदी या दूसरी कोई कार्रवाई की जाए।
दरअसल हाईकोर्ट के वकील मोहित कुमार और अमित पांडेय ने कांग्रेस के इस वादे को लेकर अदालत में जनहित याचिका दायर की है। जिस पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस एसएम शमशेरी की डिवीजन बेंच ने कहा कि इस तरह को घोषणा को वोटरों को रिश्वत देने की कैटगरी में क्यों नहीं हैं? और क्यों न पार्टी के खिलाफ पाबंदी या दूसरी कार्रवाई की जाए। हाईकोर्ट ने इस संबध में चुनाव आयोग से भी जवाब मांगा है।
PIL filed in Allahabad High Court against 'NYAY' scheme mentioned in Congress manifesto; court has issued a notice to Indian National Congress seeking a reply within 10 days.
— ANI UP (@ANINewsUP) April 19, 2019
याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि कांग्रेस के चुनाव घोषणा पत्र में गरीबों को हर साल 72 हजार रुपए की न्यूनतम आय की गारंटी का वादा रिश्वत समान है और यह जनप्रतिनिधित्व कानून का उल्लंघन है। अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 13 मई की तारीख मुकर्रर की है। बता दें कि लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने न्याय स्कीम के तहत देश के 20 करोड़ गरीबों के खाते में हर महीने 6 हजार रुपए देने का वादा किया है।
कांग्रेस का कहना है कि वो इस स्कीम के जरिए लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकालेगी। कांग्रेस ने कहा कि उसने जो वादे किए हैं उसको पूरा करेगी और यह झूठा साबित नहीं होगा। कांग्रेस इस वादे को गेम चेंजर के रूप में भी माना जा रहा है। इस वादे को लेकर सत्ताधारी पार्टी बीजेपी ने भी कांग्रेस पर निशाना साध चुके है।
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