शोपियां के शहीद लांस नायक नजीर अहमद वानी के रोते पिता को गले लगाते सेना के अफसर की तस्वीर देखी आपने
कुलगाम। रविवार को साउथ कश्मीर में सुरक्षाबलों ने एनकाउंटर में छह आतंकियों को ढेर किया। इस एनकाउंटर में सेना के जवान लांस नायक नजीर अहमद वानी भी शहीद हो गए। कुलगाम के रहने वाले वानी को सोमवार से नम आंखों से श्रद्धांजलि दी गई। लांस नायक वानी को जिस समय श्रद्धांजलि दी जा रही थी, इंडियन आर्मी के कई ऑफिसर उनके परिवार को सांत्वना देने के लिए मौजूद थे। लेकिन एक तस्वीर ऐसी है जो आपको भारतीय सेना के अलग पहलू से रूबरू करवाती है। इस दौरान सेना के एक सर्विंग ऑफिसर जब वानी के रोते हुए पिता को गले लगा रहे थे, तो उनकी आंखों से भी आंसू निकल रहे थे। वह खुद को इस मौके पर नियंत्रित नहीं कर पाए और वानी के परिवार के गम का हिस्सा बन गए। यह भी पढ़ें-बुखारी के सीने में 17 गोलियां उतारने वाला पाक फौजी का आतंकी बेटा ढेर
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सेना ने जारी की फोटोग्राफ
इंडियन आर्मी के इस ऑफिसर की उस फोटोग्राफ को सेना के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से जारी किया गया है। फोटो वायरल हो गई है और सोशल मीडिया पर इसे काफी शेयर किया जा रहा है। रविवार को हुए एनकाउंटर में सेना शोपियां में छह आतंकियों को ढेर किया है। लांस नायक वानी भी पहले आतंकवाद से जुड़े थे लेकिन फिर उनका मन बदला और वह मुख्यधारा से जुड़ गए। वानी सेना ने कई एनकाउंटर में अहम भूमिका अदा की। सोमवार को जब उनका शव तिरंगे में लिपटा हुआ था तो किसी को भी थोड़ी देर को यकीन नहीं हो पा रहा था। वानी, कुलगाम के गांव अश्मुजी के रहने वाले थे। अब उनकी बहादुरी ने इस गांव को नई पहचान दी है।
हिंसा से वानी को हो गई थी नफरत
शुरुआत में एक आतंकी रहे नजीर अहमद वानी को हिंसा निरर्थक लगने लगी थी और इसके बाद उन्होंने सेना में शामिल होने का फैसला किया। एक आर्मी ऑफिसर ने कहा कि वानी ने देश और राज्य की शांति के लिए जो बलिदान दिया, उसने उनके परिवार को एक नया सम्मान दिलाया है।वानी के अंतिम संस्कार में 500 से 600 तक गांववाले मौजूद थे। वानी को 21 बंदूकों की सलामी भी दी गई। वानी का गांव कोइनमूह जैसे इलाके से घिरा हुआ है, जो आतंकी गतिविधियों का गढ़ है। गांव वाले सोमवार तड़के ही वानी के घर पर पहुंचने लगे थे। वानी ने साल 2004 में टेरिटोरियल आर्मी की 162वीं बटालियन के साथ अपना करियर शुरू किया था।
दो बार सेना मेडल से हुए सम्मानित
एक आर्मी ऑफिसर ने कहा, 'वानी असल में एक बहादुर थे और वह आतंक-विरोधी ऑपरेशन में बहुत उत्साह से हिस्सा लेते थे। उनके इसी उत्साह ने साल 2007 में उन्हें सेना मेडल भी दिलाया । इसके बाद इसी वर्ष अगस्त में भी स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भी उन्हें सेना मेडल से सम्मानित किया गया।' एक आर्मी ऑफिसर की मानें तो 38 वर्षीय वानी के साथी उन्हें हमेशा बहादुरी और उनके जज्बे के लिए याद रखेंगे जिसकी वजह से उन्होंने कई ऑपरेशंस को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। वानी के घर में उनकी पत्नी और उनके दो बच्चे हैं जिनकी उम्र 20 वर्ष और 18 वर्ष है।