Pics: पाकिस्तान का वह संभावित SSG कमांडो, जिसे सेना ने पुंछ में मार गिराया
पुंछ। गुरुवार की दोपहर सेना ने कश्मीर में एलओसी से सटे पुंछ में पाकिस्तान के दो घुसपैठिए को मार गिराया है। ये घुसपैठिए उस समय मारे गए जब सेना पाकिस्तान सेना की बॉर्डर एक्शन टीम (बैट) के खिलाफ ऑपरेशन को अंजाम दे रही थी। सेना का मानना है कि ये घुसपैठिए पाकिस्तान सेना के स्पेशल सर्विसेज कमांडो (एसएसजी) हो सकते हैं।
कमांडो के पास से मिले हथियार
सेना को इसके पास से एक एके-47 राइफल के अलावा, मैगजीन, ग्रेनेड्स और डैगर्स मिले हैं। एक घुसपैठिए की डेड बॉडी कृष्णा घाटी में भारतीय सीमा के 600 मीटर अंदर पर ही छूट गई थी। एक और घुसपैठिए की बॉडी एलओसी पर मिली है। सेना की मानें तो हो सकता है कि ये घुसपैठिए उस समय मारे गए हैं जब छह या फिर सात सदस्यों की बैट टीम सेना जवाब दे रही थी। आपको बता दें कि मराठा लाइफ इंफेट्री के दो जवान गुरुवार को शहीद हो गए थे।
सिर पर लगा था कैमरा
एक घुसपैठिए के सिर पर हेड बैंड कैमरा लगा था। माना जा रहा है कि इस कैमरे के जरिए वह अपने अपराधों को रिकॉर्ड करना चाहता था जिसमें भारतीय सैनिकों का सिर कलम करना भी शामिल था। एक सीनियर ऑफिसर की ओर से बताया गया है कि बैट की टीम सेना की वर्दी में ऑपरेशन का अंजाम दिया और फिर आतंकियों की तरह भाग गए। इनके पास से जो सामान मिला है उनमें रेडिया इंटरसेप्ट्स भी शामिल है और इससे साफ है कि वह एसएसजी कमांडो थे। हालांकि इस बात के अभी तक पूरे सुबूत नहीं मिल सके हैं।
बैट के ऑपरेशंस को अंजाम देते कमांडो
बैट के ऑपरेशंस को साधारणतया एसएसजी कमांडो ही अंजाम देते हैं जो पूरी तरह से प्रशिक्षित होते हैं। ये कमांडो एलओसी के दूसरी तरफ आतंकियों के साथ बैट के सदस्यों की मदद करते हैं। साथ ही भारतीय जवानों के पेट्रोलिंग पैटर्न पर भी नजर रखते हैं। गुरुवार को बैट टीम के सदस्यों ने मराठा लाइट इंफेंट्री के दो जवानों की हत्या कर दी थी। मराठा लाइफ इंफ्रेंट्री चाकन द बाग पर स्थित दो फॉरवर्ड पोस्ट पर लगातार पेट्रोलिंग करती है। पुंछ में इस वर्ष यह तीसरी ऐसी घटना थी।
कारगिल की जंग में बने थे हिस्सा
एसएसजी की पहली बटालियन सन् 1950 के मध्य में सामने आई थी। लेकिन पाकिस्तान के पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल परवेज मुशर्रफ के कार्यकाल में इसे काफी प्रोत्साहन मिला। मुर्शरफ वर्ष 1966 से 1972 तक खुद इसके साथ बतौर कमांडो जुड़े हुए थे। एसएसजी कमांडोज को ब्लैक स्टोरक्स भी कहा जाता है। 99 में हुई कारगिल की जंग से पहले इन्हीं कमांडोज ने पाकिस्तान की तरफ से मोर्चा संभाला हुआ था और इसके बाद ही एक एक युद्ध की शुरुआत यहां पर हुई थी।