आर्मी चीफ जनरल रावत ने कश्मीर के छात्रों से की पत्थर नहीं किताब हाथ में लेने की अपील
नई दिल्ली। 11 जून को आईआईटी-जेइई के मुख्य परीक्षा के नतीजे आ गए हैं और इन नतीजों में इस बार इंडियन आर्मी को बड़ी सफलता हाथ लगी है। कश्मीर में सेना की मदद से कश्मीर के 28 छात्रों ने आईआईटी-जेईई की परीक्षा पास की है। इस सफलता के मौके पर सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने इन कामयाब छात्रों से मुलाकात की और उन सभी को एक खास संदेश भी दिया।
किताबें, लैपटॉप उठाइए, मगर पत्थर नहीं
जो लोग कश्मीर में तैनात सेना की आलोचना में लगे हैं उनके लिए शायद यह खबर हताश करने वाली हो सकती है। सेना प्रमुख जनरल रावत ने इन बच्चों से मुलाकात करके उन्हें एक ऐसा संदेश दिया जिसे वह शायद ही भूलना चाहें। जनरल रावत ने इन बच्चों से हाथों में पत्थर की जगह किताब उठाने की अपील की। सेना प्रमुख ने कहा, 'आप सभी का जन्म कश्मीर में 1990 में आतंकवाद के चरम पर पहुंचने के बाद हुआ। आप अपने हाथों में किताबें और लैपटॉप उठाइए, पत्थर नहीं। आपको पढ़ाई के लिए समर्पित होना चाहिए।' जनरल रावत ने बच्चों से कहा कि इस बात को सुनिश्चित करते हैं कि घाटी में फिर से शांति बहाल हो सके ताकि हम बिना किसी समस्या के काम कर सकें। जनरल रावत ने बच्चों को बताया कि वर्ष 1981-1982 में वह घाटी में ही पोस्टेड थे और तब हालात काफी बेहतर थे। लेकिन वर्ष 1991 और 1993 में जब वापस से घाटी में उनकी पोस्टिंग हुई तो कश्मीर के हालात काफी बिगड़ने लगे थे। इसके बाद वह 2006 से 2008 और फिर 2010 से 2012 में कश्मीर में पोस्टेड रहे। जनरल रावत ने इन बच्चों को बताया कि आतंकवाद की वजह से कई पीढ़ियां बर्बाद हो चुकी हैं और कश्मीर के युवाओं में एक डर आ गया है। उन्हें अब इस बात का डर है कि या तो आतंकवाद या फिर सुरक्षा बल घाटी में आ जाएंगे।
अब चुननी होगी शांति
जनरल रावत ने बच्चों से कहा कि एक तरफ आतंकवादी हैं और एक तरफ सुरक्षा बल। कितने समय तक ऐसे हालातों में रहा जाएगा और अब इन सबका अंत करने का समय करीब आ गया है। सेना कश्मीर में यहां के स्थानीय छात्र-छात्राओं के लिए सुपर-40 कोचिंग का संचालन करती है। इस कोचिंग के आईआईटी की तैयारियों में लगे 26 छात्रों और दो छात्राओं ने आईआईटी की परीक्षा पास की है। वहीं नौ छात्रों ने आईआईटी के एडवांस्ड एग्जाम में भी सफलता हासिल की। सेना की ओर से श्रीनगर में कोचिंग चलाई जाती है। यह कोचिंग केंद्र के सेंट्रल फॉर सोशल रेस्पांसबिलिटी एंड लर्निंग यानी सीएसआरएल का हिस्सा है। सेना की ओर से जो कोचिंग सुपर-40 चलाई जा रही है, उसका यह पहला बैच था। इसमें कश्मीर की पांच लड़कियों को भी कोचिंग दी गई थी। इनमें से दो लड़कियों ने परीक्षा में सफलता हासिल की है। यह कोचिंग वर्ष 2013 से चल रही है लेकिन चार वर्षों में यह पहला मौका है जब इसे इतने बड़े स्तर पर सफलता मिली है। गौरतलब है कि यह सफलता सेना को तब मिली है जब पिछले वर्ष हिजबुल मुजाहिद्दीन कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद घाटी में अशांति और कर्फ्यू का माहौल रहा था।