क्या लॉकडाउन में प्रवासी मजदूर जा सकेंगे अपने घर? सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मांगी इजाजत
नई दिल्ली। कोरोना वायरस को लेकर भारत के लोगों की चिंता बढ़ती जा रही है। देशव्यापी लॉकडाउन से सबसे ज्यादा प्रभावित प्रवासी मजदूर हुए हैं जो अपने घरों से दूर रह रहे हैं। नौकरी ना होने से उनके पास खाने-पीने के लिए पैसे नहीं बचे हैं, हालांकि केंद्र और राज्य सरकारें उनके लिए निरंतर काम कर रही हैं लेकिन घर पहुंचने की लालसा उनकी आंखों में साफ देखी जा सकती है। अब उनके गांव-शहर लौटने के लिए देश के उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया गया है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में प्रवासी मजदूरों के घर लौटने की इजाजत को लेकर एक याचिका दायर की गई है। यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण से दायर की गई है। उन्होंने न्यायलय से अपील की है कि अपने घरों से सैकड़ों किलोमीटर दूर रह रहे प्रवासी मजदूरों को उनके घर जाने देने की इजाजत दी जाए। साथ ही याचिका में कहा गया है कि कोविड-19 की जांच के बाद ही मजदूरों को घर लौटने की इजाजत दी जाए।
गौरतलब है कि देश में लॉकडाउन का दूसरा चरण चल रहा है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 मार्च को 21 दिनों के देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी लेकिन कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए इसे बढ़ाकर 3 मई, 2020 तक कर दिया गया है। लॉकडाउन बढ़ने से मजदूरों में बेचैनी बढ़ गई है, अभी कई लोग पैदल ही अपने घर को पहुंच रहे हैं। मार्च के अंत में लॉकडाउन के बीच हजारों की संख्या में मजदूरों ने पलायन करना शुरू कर दिया था जिससे कोरोना के बढ़ने का संकट और बढ़ गया।
सरकार ने मजदूरों की समस्या को समझते हुए उनके रहने और खाने का इंतजाम किया लेकिन कई ऐसे भी हैं जिनके पास तक सरकारी सुविधा नहीं पहुंच पा रही है और वह किसी और के भरोसे पर दिन काट रहे हैं। ऐसे लोग चाहते हैं कि वह किसी तरह अपने मूल निवास तक पहुंच जाएं। प्रशांत भूषण द्वारा दाखिल याचिका से मजदूरों में उम्मीद जगी है। याचिका में यह भी कहा गया है कि ये सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि राज्य उनकी सुरक्षित यात्रा के लिए व्यवस्था करे।
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