Gandhi Jayanti: पीएम मोदी को PETA ने लिखा पत्र, गांधी जयंती पर बूचड़खाने और मीट की दुकानें बंद करने का आग्रह
Gandhi Jayanti: पीएम मोदी को PETA ने लिखा पत्र, गांधी जयंती पर बूचड़खाने और मीट की दुकानें बंद करने का आग्रह
नई दिल्ली: पशुओं के अधिकारों के लिए आवाज उठाने वाली संस्था पेटा इंडिया ने (PETA) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) को एक पत्र लिखा है। पीएम मोदी से पेटा इंडिया ने गांधी जयंती (Gandhi Jayanti) 2 अक्टूबर को देश के सभी बूचड़खाने और मीट की दुकानों को बंद करने का आग्रह किया है। पेटा ने पत्र में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की उन बातों को दोहराया है, जिसमें बापू अहिंसा और शाकाहार जीवन जीने की वकालत करते थे।
PM Modi को लिखे पत्र में PETA ने क्या कहा?
पत्र में पेटा के वेगन आउटरीच कोऑर्डिनेटर किरण आहूजा ( PETA's Coordinator Kiran Ahuja) ने कहा, मैं अपनी संस्था और इसके दो मिलियन सदस्यों और समर्थकों की ओर से आपसे आग्रह करती हूं कि गांधी जयंती के दिन भारत में सभी बूचड़खाने और मीट की दुकानें बंद रहे।
पेटा इंडिया ने पत्र में यह भी कहा कि पशु-आधारित खाद्य पदार्थ खाने से मानव स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ता है जो केंद्र सरकार के ईट राइट इंडिया (Eat Right India)और 'फिट इंडिया मूवमेंट' (Fit India Movement) की पहल के उद्देश्य के विपरीत है।
पेटा इंडिया ने कहा, कम से कम गांधी जयंती पर देश के सभी बूचड़खानों और मांस की दुकानों को बंद करने से जनता को स्वस्थ, पर्यावरण के अनुकूल और पेड़-पौधे लगाने के लिए एक अच्छा संदेश जाएगा।
जानवरों के साथ हो रहे क्रूर व्यवहार का भी पत्र में जिक्र
पेटा इंडिया ने कहा, "इस तरह के उपाय स्थानीय सरकारों द्वारा किए गए हैं, लेकिन हम आशा करते हैं कि आप हमारी बात सहमत हैं कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के लिए एक श्रद्धांजलि के तौर केंद्र सरकार की ओर से एक दिन के लिए शाकाहारी भोजन करने का निर्देश जाए।'' पेटा ने लिखा है कि हम चाहते हैं कि महात्मा गांधी की जयंती 2 अक्टूबर को 'शाकाहार दिवस' के तौर पर मनाया जाए।
पत्र में पेटा इंडिया ने जानवरों के साथ हो रहे क्रूर व्यवहार का भी जिक्र किया है। उन्होंने बताया है कि किस तरह बूचड़खानों में जानवरों को गंदी जगह और पिंजरों में कैद किया जाता है। उन्हें नशीली दवाई दी जाती है। जानवरों को तब तक जंजीर से बांधकर रखा जाता है जब तक कि उन्हें मार नहीं दिया जाता है।