त्रिपुरा में लेनिन की मूर्ति गिराए जाने के बाद बोले बीजेपी नेता, लोग विवेकानंद और पटेल की मूर्ति चाहते हैं
इससे पहले सीपीएम ने ट्विटर पर लिखा, 'त्रिपुरा में चुनाव जीतने के बाद हुई हिंसा प्रधानमंत्री के लोकतंत्र पर भरोसे के दावों का मजाक उड़ाती है।'
नई दिल्ली। दक्षिणी त्रिपुरा में सोमवार को रूसी क्रांति के नायक रहे व्लादिमीर लेनिन की प्रतिमा गिरा दी गई। जिसके बाद बीजेपी और सीपीएम के बीच बयानबाजी का दौर तेज हो गया है। इसी बीच त्रिपुरा बीजेपी प्रवक्ता ने कहा है कि क्षेत्र के लोग लंबे समय से लेनिन की बजाय स्वामी विवेकानंद, सरदार वल्लभभाई पटेल और मदर टेरेसा जैसे राष्ट्रीय नायकों की मूर्तियों को खड़ा करना चाहते थे। बेलोनिया में जो भी हुआ वह सार्वजनिक रोष का नतीजा है। हालांकि बीजेपी ने लेनिन की प्रतिमा गिराने में कार्यकर्ताओं की भूमिको होने से इंकार किया है।
'ये हिंसा प्रधानमंत्री के लोकतंत्र पर भरोसे के दावों का मजाक उड़ाती है'
इससे पहले सीपीएम ने ट्विटर पर लिखा, 'त्रिपुरा में चुनाव जीतने के बाद हुई हिंसा प्रधानमंत्री के लोकतंत्र पर भरोसे के दावों का मजाक उड़ाती है। त्रिपुरा में वामपंथी और उनके समर्थकों के बीच डर औरअसुरक्षा की भावना फैलाने की कोशिश की जा रही है।' फिलहाल गृहमंत्रालय की तरफ से मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं और कई इलाकों में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए धारा 144 लागू कर दिया गया है।
बाद राज्य में सीपीएम दफ्तरों समेत कई जगह तोड़फोड़
बता दें कि त्रिपुरा में बीजेपी की जीत के बाद से तोड़फोड़ की घटना सामने आ रही है। बीजेपी की जीत के बाद राज्य में सीपीएम दफ्तरों समेत कई जगह तोड़फोड़ की गई है। सीपीएम ने इसके लिए बीजेपी और उसकी सहयोगी आईपीएफटी कार्यकर्ताओं पर आरोप लगाया है। उनका कहना है कि सीपीएम के कार्यकर्ताओं के घरों को भी निशाना बनाया जा रहा है। वहीं बीजेपी का कहना है कि यह सीपीएम के खिलाफ लोगों का गुस्सा है।
सीपीआई ने बोला बीजेपी पर हमला
घटना पर सीपीआई-एम के नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि त्रिपुरा में जो हिंसा हो रही है, उससे स्पष्ट है कि आरएसएस-बीजेपी का रुझान क्या है। हिंसा के अलावा उनका राजनीतिक भविष्य कुछ है नहीं। त्रिपुरा की जनता इसका जवाब देगी। सीपीआई नेता डी राजा ने मूर्ति तोड़े जाने पर कहा, 'मैं पुरजोर तरीके से इस हिंसा की निंदा करता हूं। एक लोकतंत्र में यह बिल्कुल स्वीकार नहीं है। हम एक बहुदलीय लोकतंत्र का हिस्सा हैं, कुछ पार्टियां जीतती हैं और कुछ हारती हैं, इसका मतलब ये नहीं कि वो लेनिन की मूर्ति तोड़ने जैसी हिंसा और तोड़-फोड़ कर सकते हैं। इस घटना पर सख्त कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।'
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