आर्टिकल 370 हटने के बाद इस एक बात के लिए अदा कर रहे हैं पीएम मोदी का शुक्रिया
श्रीनगर। जम्मू कश्मीर में पांच अगस्त को आर्टिकल 370 और 35ए हटा दिया गया। राज्य को मिला विशेष दर्जा भी खत्म हो गया और इसके साथ यहां पर कई वर्षों से चली आ रही परिवारवाद की राजनीति पर भी लगाम लग गई। भारत सरकार के फैसले के बाद जम्मू कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया। नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की महबूबा मुफ्ती को नजरबंद किया गया। वेबसाइट द प्रिंट की मानें तो अब जबसे घाटी में परिवारवाद की राजनीति पर लगाम लगी है लोग इस एक बात से खुश हैं। घाटी के लोग केंद्र की मोदी सरकार के फैसले के बाद अब्दुल्ला और मुफ्ती की राजनीति के खत्म होने से संतुष्ट हैं।
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नाम सुनते ही भड़क रहे हैं लोग
जब से केंद्र सरकार का फैसला लागू हुआ है तब से ही एनसी और पीडीपी के कार्यालय सूने पड़े हैं। दोनों पार्टी के ऑफिसेज के बाहर ताला लगा हुआ है और उनके कैडर्स कहीं भी नजर नहीं आ रहे हैं। अब्दुल्ला और मुफ्ती को इस समय श्रीनगर के चेश्माशाही और हरी नगर में नजरबंद रखा गया है। दिलचस्प बात है कि दोनों को ही इस बात का जरा भी ख्याल नहीं है कि उनकी पार्टी किस हद तक संकट में आ चुकी है। दोनों को इस समय दुनिया की कोई खबर नहीं है। सरकारी सूत्रों की मानें तो न तो उन तक टेलीविजन पहुंच पा रहा है और न ही अखबार मिल पा रहा है। वेबसाइट की तरफ से घाटी के अलग-अलग हिस्सों में इन नेताओं के लिए लोगों में कितना गुस्सा है, इस बारे में बताया गया है। श्रीनगर के अलावा दक्षिण कश्मीर के कई हिस्सो ऐसे हैं जहां पर इन नेताओं का नाम लेने भर से लोग नाराज हो जा रहे हैं।
जमकर लूटा अब्दुल्ला और मुफ्ती के परिवार ने
लोगों का मानना है कि दोनों परिवारों ने कश्मीर को जमकर लूटा है और अपने हितों के लिए उसके साथ समझौता किया। महबूबा और उमर दोनों को सरकार के फैसले के तुरंत बाद नजरबंद कर दिया गया था। पहले दोनों को ही हरि निवास में साथ रखा गया था लेकिन दोनों के बीच झगड़े के बाद इन्हें अलग रखा गया। उमर अब्दुल्ला ने महबूबा मुफ्ती पर आरोप लगाया था कि उन्होंने गठबंधन की सरकार बनाकर बीजेपी को राज्य सचिवालय पर हावी होने दिया। मुफ्ती ने उमर पर आरोप लगाया कि उन्होंने एक वैकल्पिक गठबंधन के खिलाफ जाकर बीजेपी की मदद की। वहीं, उमर अब्दुल्ला के पिता फारूक अब्दुल्ला को उनके श्रीगनर स्थित घर पर ही नजरबंद रखा गया है।
ऑफिस कार्यालय पड़े हैं सूने
श्रीनगर के लाल चौक पर स्थित पीडीपी के हेडक्वार्टर पर ताला पड़ा हुआ है। यहां पर करीब आधा दर्जन आवारा कुत्ते भौंकते हुए देखे जा सकते हैं। पिछले 20 दिनों में पार्टी अपने कैडर्स को भी संतुष्ट करने में असफल रही है। वहीं श्रीनगर के राजबाग स्थित हेडक्वार्टर का भी यही हाल है। पार्टी का हेडक्वार्टर राजबाग में एक संकरी गली में हैं। पांच अगस्त के फैसले से पहले पार्टी हेडक्वार्टर के अंदर किसी को भी जाने की इजाजत नहीं थी। हैंड ग्रेनेड खतरे के चलते एक संकरी गली में स्थित एनसी के हेडक्वार्टर की तरफ पिछले तीन हफ्तों से कोई नहीं जाना चाहता है।
'परिवारवाद की राजनीति ने किया नुकसान'
आर्टिकल 370 के खत्म होने के बाद करीब 150 राजनीतिक कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया था। माना जा रहा है कि उमर अब्दुल्ला और मुफ्ती के रिहाई के बाद भी पार्टी का भविष्य नहीं बदलेगा। पीएम मोदी ने अपने एक संबोधन में कहा था कि परिवारवाद की राजनीति ने कश्मीर का बहुत नुकसान किया है। पीएम मोदी के शब्दों में, 'जिन्होंने कश्मीर पर यह सोच कर शासन किया था कि यह उनका अधिकार है, वे कभी नहीं चाहते हैं कि घाटी में कभी कोई सेल्फ मेड और युवा नेतृत्व सामने आ सके।'