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लोगों में कोरोना से सुरक्षा के लिए MMR वैक्सीन लेने की मची है होड़, जानिए क्या कहते हैं डाक्टर्स?

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नई दिल्ली। कोरोनावायरस से सुरक्षा और इलाज में 9 महीने के नवजात शिशुओं को दी जाने वाली एमएमआर वैक्सीन (खसरा, रुबेला और गलसुआ से बचाव) के कारगर होने की सुगबुगाहट तेजी से भारत में भी पहुंच रही है, जिससे भारत में भी लोगों में एमएमआर वैक्सीन लेने की होड़ मच गई है।

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यह अटकलें अमेरिका से चलकर भारत पहुंची है, जहां अब एमएमआर वैक्सीन की कोरोना इलाज में उपयोगिता को लेकर क्लीनिकल ​​परीक्षण का प्रस्ताव कर दिया गया है, जबकि अभी कोरोना इलाज में एमएमआर वैक्सीन पर शोध नहीं हुआ है, लेकिन भारत में एमएमआर वैक्सीन की चर्चा को लेकर ही लोग कोरोना से सुरक्षा के लिए अभी से ही एमएमआर वैक्सीन को एक बूस्टर शॉट के रूप में लेने के लिए कतारबद्ध हो गए हैं।

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फिलहाल, डाक्टरों की जूरी एमएमआर वैक्सीन को लेकर अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है कि यह वास्तव में कोविद -19 को रोक सकती है अथवा कम से कम हमले से नुकसान को कम कर सकती है या नहीं। यही कारण है कि डॉक्टरों ने बिना और अधिक शोध परिणाम के एमएमआर वैक्सीन के बड़े पैमाने पर उपयोग के प्रति सावधानी बरतने की सलाह दी है।

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एमएमआर नौ महीने की उम्र में शिशुओं को दिया जाता है

एमएमआर नौ महीने की उम्र में शिशुओं को दिया जाता है

एमएमआर नौ महीने की उम्र में शिशुओं को दिया जाता है और शिशुओं में कोरोनावायरस के प्रति रक्षा कवच को आधार बनाकर ही कुछ चिकित्सा विशेषज्ञों ने यह राय बनाई है कि यह वयस्कों को भी कोरोनावायरस से सुरक्षा कवच प्रदान कर सकती है।

एमएमआर वैक्सीन से पहले एक और थ्योरी सामने आई थी

एमएमआर वैक्सीन से पहले एक और थ्योरी सामने आई थी

हालांकि एमएमआर से पहले कोरोना से सुरक्षा के लिए भी एक और थ्योरी सामने आई थी, जिसमें टीबी विरोधी वैक्सीन बैसिलस कैलमेट-गुएरिन (बीसीजी) की पेशकश की गई थी। इसके अलावा दुनिया के कई क्लीनिकल ​​परीक्षण बीसीजी-कोविद कनेक्शन भी देख रहे हैं, जिसमें महाराष्ट्र में किया जा रहा एक परीक्षण भी शामिल है, जहां बीसीजी का अध्ययन कोरोना के इलाज के रूप में किया जा रहा है।

रूबेला वायरस में Sars-Cov2 के साथ करीब 30 % संरचनात्मक समानता है

रूबेला वायरस में Sars-Cov2 के साथ करीब 30 % संरचनात्मक समानता है

ग्रांट मेडिकल कॉलेज (जेजे अस्पताल) में मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ हेमंत गुप्ता ने बताया कि उन्होंने खुद एमएमआर वैक्सीन ली है और अपने परिवार के सदस्यों को भी दिया है। एक अन्य डॉक्टर जिसने उसकी दो खुराक ली है, उसने बताया कि अध्ययनों से पता चला है कि रूबेला वायरस में Sars-Cov2 के साथ लगभग 30 फीसदी संरचनात्मक समानता है और इसलिए यह विश्वास किया जाता है कि यह टीका कुछ सुरक्षा प्रदान कर सकता है।

एमएमआर वैक्सीन की कीमत 200 से 600 रुपए के बीच है

एमएमआर वैक्सीन की कीमत 200 से 600 रुपए के बीच है

वैक्सीन की कीमत 200 से 600 रुपए के बीच है। दहिसर स्थित बाल रोग विशेषज्ञ डॉ अरविंद श्रीवास्तव ने बताया कि उन्होंने यह जानते हुए भी लिया कि इसकी प्रभावकारिता का केवल अनुमान है।

स्वस्थ व्यक्तियों में एमएमआर के साथ टीकाकरण का कोई नुकसान नहीं

स्वस्थ व्यक्तियों में एमएमआर के साथ टीकाकरण का कोई नुकसान नहीं

दरअसल, दो सप्ताह पहले अमेरिकन सोसाइटी फॉर माइक्रोबायोलॉजी में प्रकाशित एक लेख में दो अमेरिकी-आधारित शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया था कि स्वस्थ व्यक्तियों में एमएमआर के साथ टीकाकरण का कोई नुकसान नहीं है और यह प्रभावी भी हो सकता है। इसी आधार पर अमेरिका में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए एक क्लीनिकिल ​​परीक्षण का प्रस्ताव दिया गया है।

शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रतिक्रया को प्रशिक्षित के लिए होता है इस्तेमाल

शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रतिक्रया को प्रशिक्षित के लिए होता है इस्तेमाल

एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडिया के डीन डॉ शशांक जोशी ने कहा कि शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रतिक्रया को प्रशिक्षित करने और बेहतर तरीके से लड़ने में मदद करने के लिए लाइव अटेंडेड टीकों को जाना जाता है। हालांकि उन्होंने कहा कि शोध के बिना यह कहना मुश्किल होगा कि एमएमआर वैक्सीन कोरोना को रोकने में कितनी मदद कर सकती है। लोगों को इसे नहीं लेना शुरू करना चाहिए।

कोरोनावायरस को रोकने या उसके इलाज का अभी तक कोई सबूत नहीं

कोरोनावायरस को रोकने या उसके इलाज का अभी तक कोई सबूत नहीं

डॉ हेमंत ठाकर ने भी संदेह व्यक्त करते हुए कहा कि कई लोगों ने उनसे भी इसके बार में पूछताछ की हैं, लेकिन अभी तक उन्होंने किसी को इसको लेने की सलाह नहीं दी है। उन्होंने कहा कि कोरोनावायरस को रोकने या उसके इलाज के लिए अभी तक इस टीके का कोई सबूत नहीं उपलब्ध है।

Comments
English summary
Safety of coronavirus and the effectiveness of the MMR vaccine given to 9-month-old newborns (prevention of measles, rubella and mumps) in treatment and treatment is rapidly reaching India, which is why people in India are also taking MMR vaccine Competition has been created The speculation has reached India from the US, where clinical trials have now been proposed about the utility of the MMR vaccine in corona treatment.
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