Pegasus spyware: व्हाट्सएप मैसेज की हो रही है जासूसी, तुरंत करिए यह काम
नई दिल्ली। इजरायल की फर्म एनएसओ के सॉफ्टवेयर पीगासस की वजह से व्हाट्स एप में सेंध लगने और जासूसी का मसला गर्मा गया है। इंस्टेंट मैसेजिंग सर्विस की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि इस बारे में मई में सरकार को जानकारी दे दी गई है। वहीं कंपनी ने अपने यूजर्स को यह भी बताया है कि अगर उनका फोन पीगासस वायरस का शिकार हो जाए तो उन्हें क्या करना चाहिए। पीगासस सॉफ्टवेयर काफी खतरनाक माना जा रहा है। न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया के कुछ और देशों के लोग इस सॉफ्टवेयर के हमले से परेशान हैं।
मैसेज भेजकर व्हाट्सएप ने दी वॉर्निंग
फेसबुक के मालिकाना हक वाली मैसेजिंग सर्विस की तरफ से अपने यूजर्स को एक मैसेज भेजकर वॉर्न किया गया है। यूजर्स से कहा गया है कि अगर उन्हें यह लग रहा है कि उनका फोन इस स्पाइवेयर के हमले में आ चुका है तो तुरंत उन्हें अपना व्हाट्सएप अनइन्स्टॉल कर देना चाहिए। कंपनी की तरफ से यूजर्स को निर्देश दिए गए हैं कि वे हमेशा व्हाट्सएप का लेटेस्ट वर्जन ही प्रयोग करें। साथ ही मोबाइल के ऑपरेटिंग सिस्टम को भी अपडेट रखें ताकि उन्हें हर लेटेस्ट सिक्योरिटी प्रोटेक्शन के बारे में पता चलता रहे।
भारत समेत 20 देश निशाने पर
व्हाट्सएप की तरफ से जो मैसेज भेजा गया है उसमें यह भी बताया गया है कि व्हाट्स एप ने एक इसी तरह के स्पाइवेयर को वीडियो कॉलिंग सर्विस में दाखिल होने से रोका है। व्हाट्स एप के जरिए कुछ जर्नलिस्ट्स, वकीलों और ऐसे ही कुछ और लोगों के मैसेज हैक किए गए हैं। ण्नएसओ फेसबुक की तरफ से केस दायर किया गया है। वहीं एनएसओ का कहना है कि उसने कुछ भी गलत नहीं किया। वह अपना सॉफ्टवेयर दुनिया भर में वैध सरकारी एजेंसियों को ही देती है। इस पूरे एपिसोड में भारत समेत 20 और देशों के सरकारी अधिकारियों को निशाना बनाया गया है। भारत में केंद्र सरकार की तरफ से स्पष्ट कर दिया गया है कि इस पूरे प्रकरण में उसका कोई रोल नहीं है।
एक साथ 50 फोन पर है नजर
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट में विशेषज्ञों के हवाले से कहा गया है कि पीगासस सॉफ्टवेयर एक साथ 50 फोन को ट्रैक कर सकता है। इसी रिपोर्ट में यह बात भी कही गई है कि पीगासस स्पाइवेयर के लाइसेंस के लिए हर वर्ष सात से आठ मिलियन डॉलर की कीमत अदा की जाती है। फेसबुक की तरफ से कोर्ट में जो तर्क दिए गए हैं उनमें कहा गया है कि एनएसओ का घाना की कंपनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट है और इसके तहत 25 फोन पर नजर रखी जाती है। व्हाट्सएप की तरफ से कैलिफोर्निया के कोर्ट में 29 अक्टूबर को एक केस दायर किया गया था। इसमें कहा गया था कि एनएसओ कंपनी अनाधिकृत तौर पर इसके सर्वर्स और कम्यूनिकेशन सर्विसेज पर कब्जा कर रही है।
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क्या है पूरा मामला
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में कहा गया था कि व्हाट्सएप के जरिए कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों की जासूसी की गई है। कुछ ही घंटों के भीतर उन लोगों के नाम भी सामने आने लगे, जिनकी जासूसी हुई है। इनमें कई लोग वो हैं जो नक्सलवाद या मानवाधिकारवादी आंदोलनों से सहानुभूति रखने के आरोप में सरकार के निशाने पर रहे हैं। व्हाट्सएप की मानें तो जासूसी 29 अप्रैल से 10 मई के बीच हुई। उस समय देश में लोकसभा चुनाव हो रहे थे। व्हाट्स एप का कहना है कि उसे मई में इसका पता चला और फिर उन्होंने इसे ब्लॉक कर दिया।