जम्मू-कश्मीर: जेल में बंद PDP नेता नईम अख्तर की तबीयत बिगड़ी, परिवार ने प्रशासन पर लगाए गंभीर आरोप
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) के पूर्व मंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) के नेता नईम अख्तर (Naeem Akhtar) की तबीयत बिगड़ने के बाद गुरुवार को उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। 68 वर्षीय नईम अख्तर को दिसंबर में गिरफ्तार किया गया था, वह श्रीनगर जेल में अपने सेल में बेहोश पाए गए थे। नईम अख्तर की बेटी शेहरर आनम ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी है। इस बीच राजनेता के परिवार के सदस्यों ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन पर उसके खिलाफ जानबूझकर 'उत्पीड़न' करने का आरोप लगाया।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नईम अख्तर गुरुवार की आधी रात के आस-पास बेहोश पाए गए थे और उनके परिवार का कहना है कि जब घटना हुई थी तो उन्हें भी प्रशासन द्वारा सूचित नहीं किया गया। शेहरर खानम ने ट्वीट में बताया, 'वह (नईम खान) लगभग 40 मिनट तक बेहोश रहे, उनके साथ कुछ भी हो सकता था। वह खराब स्वास्थ्य के साथ बुजुर्ग व्यक्ति हैं, क्या कोई डॉक्टर बताएगा कि दिल की बीमारी वाले व्यक्ति को ऐसी हालत में रखना कितना खतरनाक होता है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मुझे आधी रात के आस-पास सूचित किया कि मेरे पिता को अस्पताल ले जाया गया है।'
Every doctor with degree and experience that I spoke to about my father’s condition is baffled at the need to keep a 68 year old man with acute cardiac history in sub zero temperatures in a place that is not home. https://t.co/mf1clxgKXl
— Shehryar Khanum (@shehryar_khanum) January 14, 2021
शेहरर खानम ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन पर अपने पिता के साथ दुर्व्यवहार करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ऐसा लगता है ये जानबूझकर किया गया वह दोषी नहीं है, वह राजनीतिज्ञ हैं। उनके खिलाफ किस प्रकार का अपराध दर्ज है? जेल में उनके लिए एक भी डॉक्टर उपलब्ध नहीं था। पारिवारिक सूत्रों ने कहा कि उनका वर्तमान में नईम अख्तर का खैबर अस्पताल में इलाज चल रहा है। उसकी हालत स्थिर बताई गई है और चिकित्सकीय जांच की जा रही है।
बता दें कि वरिष्ठ नेता नईम अख्तर पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के करीबी सहयोगी हैं। उन्हें पहली बार अगस्त 2019 में हिरासत में लिया गया था और बाद में उन्हें पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) के तहत बुक किया गया था और पिछले साल जून में 10 महीने की नज़रबंदी के बाद रिहा कर दिया गया था। जिला विकास परिषद के लिए मतगणना के ठीक पहले पिछले साल दिसंबर में उन्हें फिर से गिरफ्तार किया गया और उप-जेल घोषित एक सरकारी भवन में रखा गया।
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