पेटीएम का दावा- साइबर अपराध नहीं रोकती टेलीकॉम कंपनियां, दिल्ली HC ने केंद्र और ट्राई से मांगा जवाब
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को ऑनलाइन भुगतान प्लेटफॉर्म पेटीएम की याचिका पर केंद्र और दूरसंचार नियामक भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) से जवाब मांगा है। कोर्ट ने पूछा कि दूरसंचार ऑपरेटर उन लोगों को नहीं रोक रहे हैं जो विभिन्न मोबाइल नेटवर्क पर 'फिशिंग' गतिविधियों (साइबर अपराध) द्वारा अपने ग्राहकों को धोखा दे रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की खंडपीठ ने संचार मंत्रालय, ट्राई और प्रमुख मोबाइल सेवा प्रदाताओं को इस मामले में एक नोटिस जारी किया है।
गौरतलब है कि पेटीएम ने दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी जिसमें प्रमुख संचार कंपनियों पर आरोप लगाया गया था कि वह 'फिशिंग' गतिविधियों द्वारा अपने ग्राहकों को ठग रही हैं और ट्राई इन पर कोई ऐक्शन भी नहीं ले रहा है। मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने मामले पर सुनवाई की और नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इस मामले पर एयरटेल, रिलायंस जियो, एमटीएनएल, बीएसएनएल और वोडाफोन ने अगली सुनवाई से पहले अपना पक्ष रखने की भी मांग की है। बता दें कि अब याचिका पर अलगी सुनवाई 24 जून, 2020 को होगी।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल मनिंदर आचार्य और केंद्र सरकार के स्थायी वकील अनुराग अहलूवालिया ने मंत्रालय की ओर से नोटिस स्वीकार किया है। बता दें कि कोर्ट का यह आदेश वन97 कम्युनिकेशंस लिमिटेड की याचिका पर आया है, जो पेटीएम चलाती है। पेटीएम ने अपनी याचिका में दावा किया है कि कंपनी ने अपने वित्तीय और प्रतिष्ठित नुकसान को बचाने के लिए उसके लाखों ग्राहकों को मोबाइल नेटवर्क पर फिशिंग गतिविधियों और दूरसंचार कंपनियों की विफलता से बचाया है। पेटीएम ने इसके लिए 100 करोड़ रुपये के हर्जाने की भी मांग की है।
क्या
है
'फिशिंग'
एक
साइबर
अपराध
है
जहां
लोगों
को
किसी
संवेदनशील
संगठन
के
एक
वैध
प्रतिनिधि
के
रूप
में
ई-मेल,
फोन
कॉल
या
टेक्स्ट
मैसेज
द्वारा
संपर्क
किया
जाता
है,
ताकि
उनसे
उनकी
बैंकिंग
और
क्रेडिट
कार्ड
के
विवरण
और
पासवर्ड
सहित
निजी
डेटा
की
जानकारी
निकाली
जा
सके।
इससे
कई
यूजर्स
को
लाखों
रुपये
का
चूना
लगा
चुका
है।
यह भी पढ़ें: दिल्ली के चांदबाग इलाके में हुए दंगे पर पुलिस ने अपनी चार्जशीट फाइल की