ONGC के लिए 'उड़ते ताबूत' बने पवनहंस हेलीकॉप्टर, 1 महीने में 7 की मौत
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मुंबई। देश की प्रमुख पेट्रोलियम कंपनी ओएनजीसी के कर्मचारी और अधिकारी इन दिनों पवनहंस हेलीकॉप्टरों को 'उड़ते ताबूत' की संज्ञा दे रहे हैं। दरअसल ओएनजीसी अपटतीय इलाकों में जाने के लिए पवनहंस के हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल करती है। लेकिन कर्मचारियों ने इन हेलीकॉप्टर में सफर के दौरान उनकी सुरक्षा पर आशंका जाहिर की है। कर्मचारियों के चिंता को लेकर पेट्रोलियम कर्मचारी यूनियन ने ओएनजीसी के टॉप मैनेजमैंट को पत्र लिखा है। इस संबंध में यह पत्र 17 फरवरी को ओएनजीसी के चेयरमैन और एमडी शशि शंकर को लिखा गया था।
एक महीने में दो पायलटों समेत 7 की मौत
आपको बता दें कि पिछले एक महीने में मुंबई कोस्ट पर पवनहंस हेलीकॉप्टरों के दुर्घटना ग्रस्त होने से ओएनजीसी के पांच सीनियर अधिकारी और दो पायलटों की जान जा चुकी है। विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआईबी) ने दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के लिए जांच कर रही है। पीईयू के महासचिव नितिन खानविलकर, जो महाराष्ट्रीयन तेल कंपनी के पश्चिमी ऑफशोर यूनिट (मुंबई) के 4500 कर्मचारियों में लगभग 2500 कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करते हैं, ने शंकर को यह सुझाव दिया कि पहले एक उच्च स्तरीय आंतरिक समिति की नियुक्ति की जाए, जो अपतटीय इलाकों में काम कर रहे ओएनजीसी कर्मचारियों की सुरक्षा की स्थिति पर जानकारी दे।
ओएनजीसी रोजना लगभग 15 ट्रिप के लिए पवनहंस के हेलीकॉप्टरों की सेवाएं लेती है
एमडी शंकर को लिखे पत्र में नितिन खानविलकर ने पत्र की विषय लाइन 'फ्लाइंग कॉफिन' दी है। उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि इन हादसों के बाद प्रत्येक क्रू मेंबर को अपतटीय इलाकों के ड्यूटी पर जाने के चलते उनके परिवार काफी डरे हुए हैं। ओएनजीसी रोजना लगभग 15 ट्रिप के लिए पवनहंस के हेलीकॉप्टरों की सेवाएं लेती है। यहीं नहीं इसके अलावा ओएनजीसी दो अन्य विमानन कंपनियों की भी सेवाएं लेती है। खानविलकर का कहना है कि उनके कर्मचारी पवनहंस के खिलाफ नहीं हैं। वे सिर्फ इतना चाहते हैं कि उनकी सुरक्षा के लिए कंपनी बेहतर इंतजाम करे। यनियन का कहना है कि, 'हम अपने कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए लड़ रहे हैं।'
सरकार बेचना चाह रही है पवन हंस में अपनी हिस्सेदारी
आपको बता दें कि सरकार 2-3 महीने के अंदर हेलिकॉप्टर कंपनी पवन हंस में अपनी हिस्सेदारी को खरीदने के लिए नया टेंडर ला सकती है। गौरतलब है कि इससे पहले भी सरकार ने कंपनी में अपनी पूरी 51 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की असफल कोशिश कर चुकी है, लेकिन उसे कोई खरीदार नहीं मिला था। पवन हंस नागर विमानन मंत्रालय और ऑइल एंड गैस माइनिंग ओएनजीसी के बीच 51 और 49 प्रतिशत की हिस्सेदारी वाला संयुक्त उपक्रम है।