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मंदिर बनाने के लिए सिर्फ पाटीदार NGO को विदेशी फंड जुटाने की अनुमति

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नई दिल्ली। केंद्र ने गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) को विदेशी फंडिंग लाइसेंस देने को लेकर सख्त करते हुए 2014 से विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) के तहत जारी किए गए 16,000 से अधिक लाइसेंस रद्द कर दिए थे। हालांकि, गृह मंत्रालय ने हाल ही में मंजूरी दी है कि गुजरात में पाटीदार एनजीओ (विश्व उमिया फाउंडेशन) एक मंदिर-सह-सामुदायिक परिसर के निर्माण के लिए विदेशी दान प्राप्त कर सकता है। सूत्रों के मुताबिक, एनजीओ शक्तिशाली पाटीदार समुदाय द्वारा समर्थित है और 2017 में एनआरआई चंदू के पटेल के साथ इसके मुख्य समन्वयक के रूप में शुरू किया गया था। 2008 में कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए पटेल नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन-अमेरिकन एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं, जो अमेरिका में कई मोटल के मालिक हैं।

मंदिर बनाने के लिए इस NGO को विदेशी फंड जुटाने की अनुमति

मंत्रालय का फैसला ऐसे समय में आया है जब उन्होंने विदेशी सहायता प्राप्त करने वाले कई अन्य गैर-सरकारी संगठनों के लिए मानदंड कड़े कर दिए हैं। इसने पहले तीस्ता सीतलवाड़ के संगठनों सहित कई प्रमुख गैर-सरकारी संगठनों के लाइसेंस रद्द कर दिए थे। ग्रीनपीस और फोर्ड फाउंडेशन भी एफसीआरए के प्रावधानों के उल्लंघन के लिए गृह मंत्रालय के दायरे में आए थे।

गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, विश्व उमिया फाउंडेशन को धार्मिक (हिंदू), शैक्षिक और सामाजिक श्रेणी के तहत सूचीबद्ध किया गया है और इसे विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम, 2010 के तहत "पूर्व अनुमति" दी गई है, जो कि तीन साल के बाद इस एनजीओ को एफसीआरए लाइसेंस मिल सकता है।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पटेल ने पुष्टि की कि उनके एनजीओ को मंत्रालय से मंजूरी मिली थी और अब वे विदेश में बसे सामुदायिक सदस्यों से फंड मांगेंगे। पटेल ने कहा, 'हमने दुनिया भर में पाटीदार समुदाय से धन प्राप्त करने की अनुमति के लिए आवेदन किया था। यह परियोजना 1,000 करोड़ रुपये की है। भारत और विदेशों में फंड जुटाए जा रहे हैं'

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