डोकलाम से लगे सिक्किम-अरुणाचल के इलाकों का जायजा लेने जाएगी संसदीय समिति, राहुल गांधी भी होंगे शामिल
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब चीन के दौरे पर थे तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने डोकलाम मसले पर सरकार की नीतियों को लेकर कई सवाल खड़े किए थे। इससे पहले भी वो डोकलाम मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरते रहे हैं। लेकिन अब वह खुद चीनी सीमा से सटे सिक्किम और अरुणाचल के इलाकों का जायजा लेने जा सकते हैं। उनका यह दौरा विदेश मामलों की संसदीय समिति के तहत होगा। इस टीम का नेतृत्व राहुल गांधी और शशि थरूर करेंगे। बता दें कि पिछले साल डोकलाम विवाद पर दोनों देशों के बीच 72 दिन तक टकराव रहा था। मोदी के हाल के दौरे में दोनों देश के बीच सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए सहमति बनी है।
समिति डोकलाम में भारत-चीन सैन्य गतिरोध के तमाम पहलुओं पर गौर कर रही है। पूर्व और मौजूदा विदेश सचिव विजय गोखले के द्वारा समिति को कई बार इस मामले पर जानकारी दी जा चुकी है। एक सूत्र ने बताया कि संसदीय समिति का एक दल उक्त दोनों सीमावर्ती राज्यों के जमीनी हालात का आकलन करेगा। इस दौरे का मकसद भारत-चीन सीमा के वास्तविक हालात का पता लगाना है। यदि संभव हुआ तो यह दल उस स्थान पर भी जाएगा, जहां चीनी घुसपैठ हुई थी।
हेलीकॉप्टर से होगा हवाई सर्वेक्षण
जानकारी के मुताबिक संसदीय दल सीमा के हालात पता लगाने के लिए हेलिकॉप्टर से हवाई सर्वेक्षण भी कर सकता है। इसके अलावा मौके पर तैनात रक्षा व सुरक्षा अधिकारियों से बातचीत भी की जाएगी। इससे पहले 31 सदस्यीय संसदीय समिति को विदेश मंत्रालय के अफसरों ने बताया कि डोकलाम मामले में भूटान, भारत के साथ है। दरअसल डोकलाम सिक्किम सेक्टर में आता है और यह तीनों देशों का ट्रायजंक्शन है।
जानिए क्या था डोकलाम विवाद
डोकलाम में विवाद 16 जून को तब शुरू हुआ था, जब इंडियन आर्मी ने वहां चीन के सैनिकों को सड़क बनाने से रोक दिया था। हालांकि चीन का दावा था कि वह अपने इलाके में सड़क बना रहा था। इस एरिया का भारत में नाम डोका ला है जबकि भूटान में इसे डोकलाम कहा जाता है। चीन दावा करता है कि ये उसके डोंगलांग रीजन का हिस्सा है। भारत-चीन का जम्मू-कश्मीर से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक 3488 km लंबा बॉर्डर है। इसका 220 km हिस्सा सिक्किम में आता है। बता दें कि भारतीय-चीन बॉर्डर पर डोकलाम इलाके में दोनों देशों के बीच मिड 16 जून से 28 अगस्त के बीच तक टकराव चला था। हालात काफी तनावपूर्ण हो गए थे। बाद में अगस्त में यह टकराव खत्म हुआ और दोनों देशों में सेनाएं वापस बुलाने पर सहमति बनी।