Parliament session: राज्यसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित, सभापति ने की घोषणा
नई दिल्ली। संसद के मानसून सत्र का आज दसवां दिन था लेकिन कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए राज्यसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई है, सभापति वेंकैया नायडू ने इसकी घोषणा की, बता दें कि पहले 1 अक्टूबर तक राज्यसभा की कार्रवाई चलने वाली थी। मालूम हो कि आज सुबह ही विदेश मामलों के राज्य मंत्री वी मुरलीधर ने कहा था कि मुझे सदस्यों को सूचित करना है कि सरकार ने सदन को अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने का फैसला लिया है। आपको बता दें कि 22 सितंबर राज्यसभा को सबसे लाभदायक दिन रहा था, मंगलवार को राज्यसभा में रिकॉर्ड 3.30 घंटे में 7 विधेयकों को पारित किया गया।
Recommended Video
तो वहीं नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने बताया कि राज्यसभा सत्र कर बहिष्कार करने वाली विपक्षी पार्टियों ने सदन में नेता प्रतिपक्ष के ऑफिस में आज शाम बैठक बुलाई है, बता दें कि गुलाम नबी के ऑफिस में होने वाले इस बैठक में विपक्षी पार्टियों के बीच कृषि विधेयक को लेकर चर्चा की जाएगी, कांग्रेस ने नेतृत्व में विपक्ष ने कल राज्यसभा और लोकसभा की कार्यवाही का बहिष्कार किया था। तो वहीं विपक्ष दलों के सांसद आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात करेंगे, ये मुलाकात शाम को पांच बजे होनी है।
विपक्षी सांसदों को धन्यवाद: ओम बिड़ला
आपको बता दें कि मंगलवार को विपक्ष के नेताओं से हुई मुलाकात के दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने सदन में सहयोग के लिए विपक्षी सांसदों का धन्यवाद किया था, उन्होंने विपक्ष से आगे भी सकारात्मक सहयोग बनाए रखने की अपील की थी।
उपसभापति हरिवंश सिंह ने तोड़ा उपवास
तो वहीं आज सुबह राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश सिंह ने अपना एक दिन का उपवास तोड़ दिया है, वो पिछले 24 घंटे से उपवास पर थे, दरअसल राज्यसभा के उप सभापति ने 20 सितंबर को कृषि विधेयकों के पारित होने के दौरान विपक्षी सांसदों द्वारा सदन में उनके साथ हुए अनियंत्रित व्यवहार से आहत होकर एक दिन का व्रत रखा था, उन्होंने इस बारे में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू को पत्र भी लिखा था।
'गहरी आत्मपीड़ा, तनाव और मानसिक वेदना में हूं'
अपने पत्र में हरिवंश ने लिखा था कि राज्यसभा में जो भी हुआ, उससे पिछले दो दिनों से गहरी आत्मपीड़ा, तनाव और मानसिक वेदना में हूं। मैं पूरी रात सो नहीं पाया, सदन के सदस्यों की ओर से लोकतंत्र के नाम पर हिंसक व्यवहार हुआ। आसन पर बैठे व्यक्ति को भयभीत करने की कोशिश हुई।गांव का आदमी हूं, मुझे साहित्य, संवेदना और मूल्यों ने गढ़ा है, ये सब कुछ बहुत कष्टदायक है।