संसद सत्र: 12 सांसदों के निलंबन पर विपक्ष एकजुट, मंगलवार की बैठक में तैयारी होगी आगे की रणनीति
नई दिल्ली, 29 नवंबर: संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू हुआ। जिसमें किसानों और विपक्ष के गुस्से को शांत करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से लोकसभा और राज्यसभा में कृषि कानून निरसन विधेयक 2021 पारित किया गया। इसके अलावा पिछले सत्र में हंगामा करने वाले 12 सांसदों पर कार्रवाई करते हुए उन्हें निलंबित कर दिया गया। अब वो सदन की कार्यवाही में शामिल नहीं हो सकते हैं। जिस वजह से फिर से सभी विपक्षी दल एक हो गए हैं। साथ ही उन्होंने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी शुरू कर दी।
एक संयुक्त बयान में विपक्षी दलों के नेताओं ने कहा कि संसद में सभी विपक्षी दल एकजुट होकर 12 सांसदों के अनुचित और अलोकतांत्रिक निलंबन की निंदा करते हैं। राज्यसभा के विपक्षी दलों के फ्लोर लीडर मंगलवार को इस मुद्दे पर बैठक करेंगे, जिसमें सरकार के सत्तावादी निर्णय का विरोध करने और संसदीय लोकतंत्र की रक्षा के लिए भविष्य की कार्रवाई पर विचार-विमर्श किया जाएगा।
ये
सांसद
हुए
निलंबित
12
राज्यसभा
सांसदों
में
विपक्ष
के
एलामाराम
करीम
(सीपीएम),
फूलो
देवी
नेतम,
छाया
वर्मा,
आर
बोरा,
राजमणि
पटेल,
सैयद
नासिर
हुसैन,
अखिलेश
प्रसाद
सिंह
(कांग्रेस),
बिनॉय
विश्वम
(सीपीआई),
डोला
सेन
और
शांता
छेत्री
(टीएमसी),
प्रियंका
चतुर्वेदी
और
अनिल
देसाई
(शिवसेना)
का
नाम
शामिल
है।
कृषि कानून वापसी बिल भारी हंगामे के बीच लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में पास हुआ
प्रियंका
चतुर्वेदी
ने
कही
ये
बात
अपने
निलंबन
पर
शिवसेना
सांसद
प्रियंका
चतुर्वेदी
ने
कहा
कि
जिला
अदालत
से
लेकर
सुप्रीम
कोर्ट
तक,
हर
जगह
आरोपी
का
पक्ष
सुना
जाता
है,
उसके
लिए
वकील
भी
उपलब्ध
करवाए
जाते
हैं।
कभी-कभी
सरकारी
अधिकारियों
को
उनका
पक्ष
लेने
के
लिए
भेजा
जाता
है,
लेकिन
यहां
(संसद
में)
हमारा
पक्ष
नहीं
लिया
गया।
उन्होंने
आगे
कहा
कि
सीसीटीवी
फुटेज
देखें
तो
ये
रिकॉर्ड
हो
गया
है
कि
कैसे
पुरुष
मार्शल
महिला
सांसदों
को
पीट
रहे
थे।
एक
तरफ
ये
सब
और
दूसरी
तरफ
आपका
फैसला?
ये
कैसा
असंसदीय
व्यवहार
है?