संसद की कैंटीन में क्या बंद हो जाएगा नॉन-वेज, मिलेगा सिर्फ शाकाहारी खाना?
नई दिल्ली। संसद की कैंटीन में नॉन-वेज खाना मिलना बंद हो सकता है। संसद की कैंटीन में मांसाहार, शाकाहार, दोनों ही तरह का खाना मिलता है। अब माना जा रहा है कि संसद में सिर्फ शाकाहारी खाना ही मिलेगा। इसकी वजह संसद की कैंटीन को चलाने की जिम्मेदारी भारतीय रेलवे की आईआरसीटीसी से लेकर प्राइवेट कंपनी को सौंपने की तैयारी है। जिन कंपनियों के नाम आगे बताए गए हैं, वो शाकाहीरी खाना ही बनाती हैं। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि संसंद की कैंटीन से नॉन-वेज हटाया जा सकता है।
संसद की कैंटीन में खाना परोसने की जिम्मेदारी भारतीय रेलवे की आईआरसीटीसी के पास थी। अब इसे निजी हाथों में दिया जाएगा। दो कंपनियों के नाम सबसे आगे हैं। ये नाम हैं- हल्दीराम और बीकानेरवाला। ये प्राइवेट वेंडर सिर्फ शाकाहारी खाने के बाजार में ही हैं। ऐसे में मुमकिन है कि सांसदों और स्टाफ को संसद की कैंटीन में हर तरह के खाने के बजाय सिर्फ शाकाहारी भोजन ही मिले। संसद की कैंटीन की जिम्मेदारी किसे दी जाए, इस पर संसदीय खाद्य पैनल की अनुपस्थिति में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला फैसला लेंगे।
संसद की कैंटीन में अभी तक विविधता का ध्यान रखते हुए कई तरह के खाने बनाए जाते रहे हैं। नॉनवेज में बिरयानी, चिकन, मछली और नॉनवेज चिप्स बनाए जाते हैं। को सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है। हालांकि इस तरह के फैसले पर पश्चिम बंगाल, दक्षिण भारत और कई दूसरे हिस्सों से आने वाले सांसद जरूर सवाल उठाएंगे। बता दें कि भारत के लगभग हर हिस्से में नॉनवेज खाया जाता है।
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