एक खास तकनीकी से सेना के जवानों को लेह और सियाचिन में मिलेगी बिजली
जालंधर। पाकिस्तान सीमा से सटे सियाचिन व दूसरी और चीन के साथ भारत का सीमांत क्षेत्र लेह इन दिनों बिजली की कमी से जूझ रहा है। सीमा पर तैनात भारतीय सेना के जवानों के लिए बिन बिजली के यहां खासी परेशानी होती है। लेकिन अब वह दिन दूर नहीं जब यह सीमा क्षेत्र बिजली से जगमगायेगा, साथ ही भारतीय सेना के जवानों को इसका लाभ भी मिल सकेगा।
पंजाब यूनिवर्सिटी के यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (यूआइईटी) इस समस्या के समाधान के लिए पोर्टेबल विंड टरबाइन से बिजली बनाने का प्रोजेक्ट तैयार किया है। इस प्रोजेक्ट को भारत सरकार ने औपचारिक मंजूरी मिल चुकी है। पिछले लंबे अरसे से इस प्रोजेक्ट पर काम चल रहा था। अब केन्द्र सरकार की मंजूरी के बाद प्रोजेक्ट की डिजाइनिंग पर काम भी शुरू हो गया है। इस प्रोजेक्ट के तहत जम्मू कश्मीर के लेह व सियाचीन के इलाकों में हवा की गति की टेस्टिंग होगी और इसके आधार पर वहां टरबाइन लगाई जाएगी जो बिजली बनाएगी। हर रोज औसतन 500 वॉट बिजली बनाने की योजना है। करीब 20 से 25 जवानों की आम जरूरतों को पूरा करने में बिजली काम आएगी। भविष्य में जरूरत के आधार पर इसकी क्षमता भी बढ़ाई जा सकेगी।
6
महीने
पहले
भेजा
गया
था
प्रपोजल
प्रोजेक्ट
को
लेकर
पंजाब
यूनिवर्सिटी
के
इंस्टीट्यूट
ऑफ
इंजीनियरिंग
एंड
टेक्नोलॉजी
द्वारा
करीब
6
महीने
पहले
भारत
सरकार
के
संबंधित
विभाग
को
प्रपोजल
भेजा
गया
था।
इसको
लेकर
प्रेजेंटेशन
दी
गई
थी
कि
कैसे
बिजली
बनाई
जाएगी
और
इसका
कितना
फायदा
मिलेगा।
इसके
लिए
प्रस्तावित
बजट
करीब
10
लाख
है।
दो
स्टूडेंट्स
इसमें
संस्थान
के
डॉ.
एपी
सिंह
और
डॉ.
वाईपी
वर्मा
के
निर्देश
में
काम
भी
कर
रहे
हैं।
ऐसे
बनेगी
टरबाइन
से
बिजली
टरबाइन
को
इलाके
की
हाईट
के
हिसाब
से
स्थापित
किया
जाएगा।
हवा
की
गति
बढ़ने
पर
यह
तेजी
से
घूमेगी।
इसके
बाद
इसके
साथ
जेनरेटर
को
जोड़ा
जाएगा
जो
कि
बैटरी
को
चार्ज
करेगी।
हवा
की
गति
का
इसमें
अहम
योगदान
होगा।
विंड
डाटा
का
अध्ययन
इसमें
किया
जाएगा।
उपरोक्त
जगह
पर
पोर्टेबल
बिजली
बनाने
के
अपने
आप
में
अनूठा
प्रयोग
होगा।
हवा
की
गति
से
बढ़ेगा
बिजली
उत्पादन
समतल
एरिया
में
सामान्य
रूप
से
हवा
की
गति
2
से
3
मीटर
प्रति
सेकेंड
होती
है
जबकि
पहाड़ी
इलाकों
में
यह
बढ़कर
8
से
10
मीटर
प्रति
सेकेंड
हो
जाती
है।
हवा
की
गति
बढ़ने
से
बिजली
का
उत्पादन
भी
बढ़ेगा।
गति
के
आधार
पर
टरबाइन
घूमेगी।
टरबाइन
में
लगे
ब्लेड
जितनी
तेज
गति
से
घूमेंगे
उतनी
ही
ज्यादा
बिजली
बनेगी।
टरबाइन
से
बनी
बिजली
से
भारतीय
सेना
की
कई
अहम
जरूरतें
पूरी
होंगी।
इसकी
मदद
से
जवानों
को
वायरलेस
सेट
चार्ज
करने
में
दिक्कत
नहीं
आएगी।
मोबाइल
भी
चार्ज
कर
सकते
हैं।
जवानों
को
बिजली
की
कमी
से
आपस
में
संपर्क
साधने
में
दिक्कत
नहीं
होगी।
इसके
अलावा
सर्दी
में
पहने
जाने
वाले
सूट
को
बिजली
की
मदद
से
गर्म
रख
ठंड
से
बचाया
जा
सकेगा।
बेहद
ठंड
में
यह
बेहद
राहत
भरा
होगा।