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केदार कहां है? 6 साल के बीमार फैन को जब शास्त्रीय संगीत सुनाने अचानक पहुंचे थे पंडित जसराज

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नई दिल्ली- मशहूर शास्त्रीय गायक पंडित जसराज की गायकी के तो बहुत चर्चे होते हैं। लेकिन, उनका एक और पक्ष था, जिसमें वह शास्त्रीय संगीत की ऊंचाइयों से भी कहीं ज्यादा ऊंचे थे। यह था उनका मानवीय पक्ष। इंसानों के प्रति उनकी संवेदनाएं और उनका भाव। हम यहां एक ऐसी ही कहानी लेकर आए हैं, जो उस महान गायक का एक ऐसा किरदार हमारे सामने पेश करता है, जो मशहूर होने के बाद किसी भी शख्सियत में जिंदा रहना बहुत ही असाधारण सी बात है। बात ढाई दशक से भी ज्यादा पुरानी है, लेकिन आज की दुनिया के लिए बहुत ही अहमियत रखती है।

6 साल के बीमार फैन को संगीत सुनाने पहुंच गए थे पंडित जसराज

6 साल के बीमार फैन को संगीत सुनाने पहुंच गए थे पंडित जसराज

दिल्ली के अलकनंदा इलाके में रहने वाले एक परिवार को पंडित जसराज के व्यवहार से जुड़ी एक घटना आज भी उसी तरह याद है। हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में पंडित जसराज का स्थान जितना ऊंचा है, उनके दिल में मानवीयता के प्रति गहराई उससे भी कहीं ज्यादा मालूम पड़ती है। 26 साल पुरानी बात है। एक दिन हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के सरताज अचानक खांडेकर परिवार के घर पहुंच गए। क्योंकि, तब 6 साल के मासूम केदार खांडेकर को उसके जीवन का सबसे अनमोल तोहफा देने के लिए उसकी बुजुर्ग दादी ने पंडित जसराज के मुंबई वाले पते पर बुलावे की एक चिट्ठी भेजी थी। केदार सेरेब्रल पाल्सी नाम की जानलेवा बीमारी की चपेट में था। बोल भी नहीं पाता था। बैठने के लिए भी सहारे की जरूरत थी। लेकिन, कैसेट प्लेयर पर पंडित जसराज की आवाज सुनते ही उसकी भावनाएं तरंगें मारने लगती थीं। दादी ने अपने उसी पोते के लिए पंडित जसराज को एकबार, जब भी मौका मिले घर आकर साक्षात अपने स्वर में संगीत सुनाने का भावपूर्ण आग्रह किया था।

पंडित जसराज ने जब पूछा- केदार कहां है?

पंडित जसराज ने जब पूछा- केदार कहां है?

टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में केदार के पिता श्रीकांत खांडेकर ने बताया है कि उनके परिवार में किस तरह से पंडित जसराज की आवाज के प्रति दीवानगी रही है और कैसे उनके मासूम बेटे ने भी अपनी छोटी सी उम्र में ही उसे अपनी जिंदगी का हिस्सा बना लिया था। उन्होंने 1994 में अपनी मां के लिखे खत और पंडित जसराज के उनके बेटे से मिलने घर पहुंचने के बारे में विस्तार से बताया है। उन्होंने कहा कि ,'जब आई ने चिट्ठी लिखी, तब हमने नहीं सोचा था कि जसराज हमारे घर आएंगे। लेकिन, कुछ ही दिनों बाद घंटी बजी और दरवाजे पर जसराज खड़े थे, बहुत ही सहजता से इंतजार कर रहे थे।' उन्होंने इसके बारे में आगे याद करते हुए बताया कि, 'हम लोग सभी काम पर गए हुए थे और आई अकेले घर पर थी। जब उसने दरवाजा खोला, दरवाजे पर जसराज थे, पूछ रहे थे 'केदार कहां है?'

केदार मंत्रमुग्ध था......

केदार मंत्रमुग्ध था......

जिस वक्त पंडित जसराज अपने बीमार और मासूम से फैन से मिलने उसके घर पहुंचे थे, तब केदार स्कूल गया हुआ था। उसे स्कूल से घर वापस मंगवाने में आधे घंटे और लग गए, लेकिन जसराज ने सहज भाव से उसका इंतजार किया। जब आखिरकार केदार घर पहुंच गया, तब जसराज ने उसका गर्मजोशी से स्वागत किया। उन्होंने उसकी दादी से उसके पसंदीदा शास्त्रीय गाने के बारे में पूछा और कुछ गानों के साथ शुरुआत की। केदार के पिता ने बताया, 'आई ने हमें बाद में बताया कि केदार मंत्रमुग्ध था। वह शांत होकर बैठा रहा और जसराज को निहारता रहा। वह समझ नहीं पा रहा था कि कैसेट प्लेटर से निकलने वाली आवाज इस अजनबी के मुंह से कैसे निकल रही है! मुझे याद है एक गाना हमेशा से लोकप्रिय था, रानी तेरो चिरजीयो गोपाल.... '

अपने शुरुआती दिन नहीं भूले थे जसराज

अपने शुरुआती दिन नहीं भूले थे जसराज

श्रीकांत के मुताबिक पंडित जसराज का इस तरह से उनके घर आना उनकी मानवीय भावना का प्रतीक है। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि जसराज शुरुआत में उनके महाराष्ट्र के अमरावती स्थित घर में उनके दादा जी के पास संगीत सुनाने आते थे। क्योंकि, उनके दादा जी भी शास्त्रीय संगीत के बहुत बड़े दीवाने थे। उनके पास कई शास्त्रीय गायक आते थे, जिसमें पंडित जसराज भी थे। लेकिन, वे और उनकी मां का उनके साथ संपर्क कई दशकों पहले टूट चुका था। लेकिन, पंडित जसराज उन दिनों को नहीं भूल थे। जबकि, न तो उनके पास समय था और वह दुनियाभर में मशहूर भी हो चुके थे, लेकिन उनकी भावना ज्यों की त्यों थी। श्रीकांत कहते हैं कि कितने कलाकार दशकों पुराने रिश्तों को इस कदर याद रखते हैं।

एक महान कलाकार ही नहीं थे पंडित जसराज उससे ज्यादा थे....

एक महान कलाकार ही नहीं थे पंडित जसराज उससे ज्यादा थे....

केदार आज अगर दुनिया में होता तो उसकी उम्र 32 साल की होती। लेकिन, 2010 में जब उसकी मौत हुई, तब तक वह पंडित जसराज के संगीत को सुनकर ही अपना वक्त गुजारता था। उसके पिता कहते हैं, 'केदार बोल नहीं पाता था, इसलिए यह समझना बहुत ही मुश्किल है कि संगीत सुनकर उसके मन में क्या विचार आते थे। लेकिन, वह जसराज की संगीत का दीवाना रहता था।' पंडित जसराज को याद करते हुए वे कहते हैं, 'तब जसराज 64 साल के थे और उनका सिंगिंग करियर चरम पर था- वह उतने ही लोकप्रिय हो चुके थे और उतने ही व्यस्त भी। लेकिन, उन्होंने एक पुराने संबंध को सम्मान देने के लिए तुरंत वक्त निकाल लिया। मैं नहीं सोच सकता कि ऐसा कौन कर सकता है। और कम से कम 6 साल के बच्चे के लिए तो नहीं ही, जिसे उन्होंने कभी देखा भी नहीं था।' कुछ साल बात केदार की मां ने पंडित जी की बेटी दुर्गा को देखा तो उनकी ओर भाग कर गईं और उनके पिता की उदारता के बारे में उन्हें बताया। इसपर दुर्गा ने जवाब दिया, 'वो तो आपके ही बाबा हैं।' यानि पंडित जसराज महज एक कलाकार नहीं थे, उससे भी बढ़कर वो एक महान इंसान थे।

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English summary
Pandit Jasraj once reached house of a 6-year-old ailing fan to sing Classical music
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