पालघर: ड्राइवर नीलेश की पत्नी बोली- पति का चेहरा भी नहीं देख पाई, अब चाहती हूं कि दोषियों को..
'मैं अपने पति का चेहरा भी नहीं देख पाई। उन लोगों ने बहुत बुरी तरह मेरे पति और दोनों साधुओं को पीट-पीटकर मार डाला...'
नई दिल्ली। बीते 16 अप्रैल को 30 साल के नीलेश तलगड़े मुंबई के कांदिवली इलाके में स्थित अपने घर से गाड़ी लेकर निकले। नीलेश को दो साधुओं को लेकर सूरत जाना था, जहां वो लोग रामगिरी महाराज के अंतिम संस्कार में शामिल होने वाले थे। नीलेश भी बचपन से रामगिरी महाराज के अनुयायी थे और उनके दर्शनों के लिए अक्सर सूरत में उनके गांव जाते रहते थे। इसीलिए, साधुओं को ले जाने के साथ-साथ नीलेश खुद भी रामगिरी महाराज के अंतिम संस्कार में शामिल होना चाहते थे, लेकिन वो सूरत नहीं पहुंच पाए। महाराष्ट्र के पालघर में ही करीब 200 लोगों की एक भीड़ ने नीलेश और दोनों साधुओं- महाराज कल्पवृक्षगिरि और सुशीलगिरी महाराज की पीट-पीटकर हत्या कर दी।
'ऐसे लोगों को फांसी पर लटका देना चाहिए'
'इंडिया टुडे' से बात करते हुए नीलेश की पत्नी पूजा ने बताया, 'मैं अपने पति का चेहरा भी नहीं देख पाई। उन लोगों ने बहुत बुरी तरह मेरे पति और दोनों साधुओं को पीट-पीटकर मार डाला। ऐसे लोगों को फांसी पर लटका देना चाहिए।' नीलेश के परिवार में उनकी पत्नी के अलावा उनकी मां और दो बच्चे हैं, जिनमें से एक की उम्र पांच साल और दूसरे की उम्र सात साल है।'
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'उनका चेहरा बुरी तरह कुचला हुआ था'
पूजा ने आगे बताया, 'मेरे पति नीलेश, रामगिरी महाराज को बहुत मानते थे, क्योंकि वो उन्हें गांव में देखते हुए बड़े हुए थे। जब उन्होंने सुना कि महाराज का निधन हो गया है, तो उन्होंने फैसला लिया कि वो खुद दोनों साधुओं को लेकर वहां जाएंगे और महाराज के अंतिम संस्कार में भी शामिल होंगे। मेरे पति का शव जब घर पहुंचा तो उनका चेहरा बुरी तरह कुचला हुआ था। हम लोग उनका चेहरा भी नहीं देख पाए। मैं सरकार से प्रार्थना करती हूं कि जिन लोगों ने मेरे पति की जान ली, उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई करें। उन लोगों को फांसी से कम कोई सजा नहीं मिलनी चाहिए।'
परिवार का एकमात्र सहारा था नीलेश
नीलेश अपने परिवार में कमाने वाला अकेला था। उनकी मां निर्मला ने बताया कि वो पूरे परिवार का एकमात्र सहारा था। नीलेश की मां ने कहा, 'जबसे हमने उसकी मौत के बारे में सुना है, हम सदमे में हैं। अब हमारा क्या होगा? हम लोग कैसे जिएंगे, किसके सहारे अपना जीवन काटेंगे? कैसे हमारा गुजारा चलेगा? उसकी पत्नी और उसके बच्चे अब कहां जाएंगे? उसके बिना वो क्या करेंगे? हम पूरी तरह सदमे में हैं? मैं सरकार से अपील करती हूं कि और कुछ नहीं तो वो कम से कम हमें न्याय तो दिलाए।'
लॉकडाउन के चलते वापस नहीं लौट पाए महाराज कल्पवृक्षगिरि
आपको बता दें कि नीलेश तलगड़े कांदिवली के रहने वाले थे और पिंपलेश्वर मंदिर के पास रहते थे। जिन दो साधुओं की हत्या हुई, उनमें से एक महाराज सुशील गिरी इसी मंदिर के पुजारी थे। वहीं, महाराज कल्पवृक्षगिरि मूलरूप से नासिक के रहने वाले थे, लेकिन नवरात्रि के चलते मुंबई आए हुए थे। लॉकडाउन के चलते वो नासिक वापस नहीं लौट पाए। 16 अप्रैल को नीलेश और दोनों साधू रामगिरी महाराज के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए सूरत के लिए निकले थे।
मामले में अभी तक 110 लोग गिरफ्तार
पालघर में जिस समय भीड़ ने तीनों के ऊपर हमला किया, उस वक्त नीलेश ने फोन कर पुलिस को सूचना भी दी कि उनकी गाड़ी पर कुछ लोग हमला कर रहे हैं और उन्हें रोकने की कोशिश भी कर रहे हैं। सूचना पाकर पुलिस की एक टीम तुरंत मौके पर पहुंची और भीड़ के बीच में से तीनों को बचाने की कोशिश की। हालांकि भीड़ नहीं रुकी और पुलिस की गाड़ी पर पथराव शुरू कर दिया। पुलिसकर्मियों के साथ भी मारपीट की गई। घटना में कासा पुलिस थाने के चार जवान और एक सीनियर ऑफिसर को गंभीर चोटें आईं। इस मामले में अभी तक 110 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
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