पालघर लिंचिंग: पालघर के जिस गांव में साधुओं की हत्या हुई वहां मुसलमान रहते हैं?-फ़ैक्ट चेक
महाराष्ट्र के पालघर के गढ़चिंचले गांव में 16 अप्रैल को हुई साधुओं की मॉबलिंचिंग का वीडिया ख़ूब वायरल हुआ. साथ ही इस घटना को संप्रादायिक रंग देने की कोशिश भी की गई. गुरुवार की देर रात को भीड़ ने तीन लोगों की पीट-पीट कर हत्या कर दी जिसमें दो साधुओं की पहचान 70 साल के महाराज कल्पवृक्षगिरी, 35 साल के सुशील गिरी महाराज और एक उनके ड्राइवर नीलेश
महाराष्ट्र के पालघर के गढ़चिंचले गांव में 16 अप्रैल को हुई साधुओं की मॉबलिंचिंग का वीडिया ख़ूब वायरल हुआ. साथ ही इस घटना को संप्रादायिक रंग देने की कोशिश भी की गई.
गुरुवार की देर रात को भीड़ ने तीन लोगों की पीट-पीट कर हत्या कर दी जिसमें दो साधुओं की पहचान 70 साल के महाराज कल्पवृक्षगिरी, 35 साल के सुशील गिरी महाराज और एक उनके ड्राइवर नीलेश तेलगाने के तौर पर गई है.
पालघर पुलिस ने इस मामले में 110 लोगों की गिरफ़्तारी की है, जिसमें से 9 लोग नाबालिग़ हैं. मामले में दो पुलिस वालों को सस्पेंड कर दिया गया है.
इस घटना के वीडियो के कई छोट-छोटे हिस्से वायरल हुए हैं. जिसमें साधु रोते हुए हाथ जोड़कर भीड़ के सामने गिड़गिड़ा रहे हैं लेकिन भीड़, जिसके हाथ में डंडे हैं वो साधुओं पर हमला बोल देती है.
इन वीडियो में पुलिस भी नज़र आ रही है जो साधुओं को बचाने की कोशिश करती नहीं दिख रही है.
बीबीसी ने ये जानने-समझने की कोशिश की कि आख़िर इस गांव की आबादी कैसी है?
समझिए, कैसा है गढ़चिंचले गांव
2011 की जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक़ गढ़चिंचले गांव में 248 परिवार रह रहे हैं और कुल आबादी 1208 लोगों की है.
चुनावी सर्वे करने वाली मुंबई की संस्था पोलडायरी ने गढ़चिंचले गांव की जनसंख्या और यहां के सामाजिक पहलुओं का अध्ययन किया है. जिसके मुताबिक़ इस गांव में 1198 परिवार आदिवासी हैं और केवल एक परिवार पिछड़ी जाति का रहता है.
56 फ़ीसदी आबादी कोकना आदिवासी समुदाय, 34 फ़ीसदी वर्ली समुदाय, 6 फ़ीसदी कतकारी समुदाय और 4 प्रतिशत मल्हार जाति के लोग हैं.
पोलडायरी के 2019 के लोकसभा चुनाव के आंकड़ों से ज़ाहिर है कि इस गांव में मुसलमान आबादी की कोई बसावट नहीं है.
कैसे घटना को दिया गया सांप्रदायिक एंगल
रविवार को इस घटना का 45 सेकेंड का एक वीडियो काफ़ी शेयर किया जाने लगा और दावा किया गया कि वीडियो के 43वें सेकेंड पर उन्मादी भीड़ कह रही है, ''मार शोएब मार ''
सुदर्शन न्यूज़ के एडिटर सुरेश चव्हानके और फ़िल्ममेकर अशोक पंडित जैसे कई लोगों ने ये दावा किया कि वीडियो में 'शोएब' बोला जा रहा है.
गृहमंत्री जी, मुझे वीडियो में #Shoaib सुनाई दे रहा. @nawabmalikncp के पास गिरवी रखे कान लाकर सुनें और अपने मुँह पर लगे ताले की चाबी सोनिया मैडम से लाकर बताएं कि आपने क्या सुना? वरना मान ले कि आप लाचार हैं क्योंकि आपके सेक्यूलर हाथ मौ. @PawarSpeaks के पैरों के नीचे दबे हैं #पालघर https://t.co/lNbrFshvKh
— Suresh Chavhanke “Sudarshan News” (@SureshChavhanke) April 20, 2020
आँखें नम और मन इतना दुःखी है😢
कि इस नश्वर संसार में दूसरे का जीवन छीनकर जीना भी तो क्या जीना।।मजहब तो 42वें सेकंड पर आपको स्वतः ही पता चल जायेगा,जब आप सुनेंगे
— Jagrati Gupta✍ (@JagratiGupta3) April 19, 2020
"मार शोएब मार" #palgharlynchinghttps://t.co/YjgNSkLmdW
Am I only one who heard ‘मार शोएब मार’ at end of this video. I urge government to publish names of people arrested https://t.co/S2SS0MGCqX
— Amol Kadu (@KaduAmol) April 19, 2020
फ़ैक्ट चेकिंग वेबसाइट आल्ट न्यूज़ की रिपोर्ट के मुताबिक़ 43वें सेकेंड पर साधुओं को मारती भीड़ के लिए कोई पीछे चिल्ला रहा है 'ओए बस, ओए बस' जिसे सोशल मीडिया पर कुछ लोग 'मार शोएब मार' बता रहे थे.
क्या हुआ था उस रात?
सोमवार को इस पूरे मामले पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने वीडियो के ज़रिए अपना बयान जारी किया और साफ़ कहा कि ये संप्रदायिक हिंसा का मामला नहीं है. इस गांव में बीते कुछ दिनों से अफ़वाह फैली कि कुछ लोग बच्चों की चोरी करके उनकी किडनी निकाल ले रहे हैं.
सीएम के मुताबिक़ दो साधु गाड़ी से एक अंतिम संस्कार में शामिल होने सूरत जा रहे थे लेकिन लॉकडाउन के कारण उन्हें केंद्र शासित राज्य दादरानगर हवेली के सिलवासा में रोक दिया गया. यह गुजरात-महाराष्ट्र की सीमा पर स्थित है. जब वे वापस आ रहे थे तो रास्ते में गढ़चिंचले गांव के लोगों ने बच्चा चोर होने के शक में उनकी गाड़ी रुकवा ली.
इसके बाद भीड़ के इस भयानक रूप का वीडियो देश के सामाने है. इस हिंसा में तीनों लोगों की मौत हो गई है. लेकिन अब इस मामले को तरह-तरह के वीडियो और दावों के ज़रिए संप्रदायिक बनाने की कोशिशें बेबुनियाद साबित हो रही हैं.
महाराष्ट्र सरकार ने पालघर मामले की जाँच अब राज्य की सीआईडी को सौंप दी है.