आखिर शशिकला ने पलानीसामी पर ही भरोसा क्यों किया, क्या है इसके पीछे का गणित?
कहा जाता है कि जिस तरह से जयललिता पन्नीरसेल्वम पर भरोसा करती थीं, ठीक उसी तरह से पलानीसामी भी अम्मा के काफी नजदीक थे।
चेन्नई। पिछले 15 दिनों से चल रहा तमिलनाडु में सियासत का बवाल आखिरकार गुरूवार को उस वक्त समाप्त हो गया जिस वक्त राज्यपाल सी.विद्यासागर राव ने पलानीसामी को राज्य के सीएम बनने के लिए आमंत्रित किया।
दिलचस्प है जयललिता-शशिकला की कहानी: करोड़ों की संपत्ति, सीएम की कुर्सी, भ्रष्टाचार और जेल...
पन्नीरसेल्वम बनाम शशिकला की लड़ाई में पलानीसामी ने बाजी मार ली और वो नाम सीएम सीट के लिए सामने आया जिसका जिक्र दूर-दूर तक कहीं नहीं था। कहा जाता है कि जिस तरह से जयललिता पन्नीरसेल्वम पर भरोसा करती थीं, ठीक उसी तरह से पलानीसामी भी अम्मा के काफी नजदीक थे।
मुश्किल दिनों में साए की तरह साथ रहे
कहा जाता है जब जयललिता अस्पताल में भर्ती हुई थी तो उनसे चुनिंदा मिलने वालों में से एक ई. पलानीसामी भी थे, वो उनके मुश्किल दिनों में साए की तरह साथ रहे थे।
पलानीसामी भी अम्मा के हर दुख-सुख में साथ रहे
शशिकला और पन्नीरसेल्वम की तरह पलानीसामी भी अम्मा के हर दुख-सुख में साथ रहे हैं। उनका नाम पहली बार सामने तब आया था जब लोगों ने कहा कि वो अम्मा के उत्तराधिकारी बन सकते हैं।
इसलिए शशिकला ने उन्हें पार्टी की सत्ता सौंपी
वह काफी लंबे समय से पार्टी का हिस्सा रहे हैं और जयललिता के भरोसेमंद लोगों में से एक थे और इसलिए शशिकला ने उन्हें पार्टी की सत्ता सौंपी, शशिकला, फिलहाल आय से अधिक संपत्ति मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद बेंगलुरू जेल में बंद हैं। शशिकला जेल से निकलने के बाद भी अगले 6 साल तक चुनाव नहीं लड़ सकतीं, ऐसे में एआईएडीएमके की सत्ता पलानीसामी के हाथों में देकर उन्होंने चैन की सांस ली है।
खास बातें
- विधानसभा में कुल 234 सीटें हैं। AIADMK के पास 135 और डीएमके पास 89 सीटें हैं।
- जयललिता के निधन के बाद उनकी सीट खाली है।
- कांग्रेस के पास 8 सीट और मुस्लिम लीग के पास एक सीट है।
- शशिकला के पास 119 विधायकों का सपोर्ट था।
- जबकि पलानीसामी ने 124 विधायकों के सपोर्ट का दावा किया।
- पन्नीसेल्वम के पास 11 विधायक ही हैं।
- मौजूदा स्थिति के मुताबिक वे सीएम बनते नहीं दिख रहे।
- आय से अधिक संपत्ति के मामले में शशिकला को जेल के बाद पलानीसामी को पार्टी के विधायक दल का नेता चुना गया था।
- पलानीसामी को 15 दिनों के भीतर विधानसभा में बहुमत सिद्ध करना होगा।
- पलानीसामी समर्थित विधायकों ने दावा किया कि उन्हें 135 पार्टी विधायकों में से 124 का समर्थन प्राप्त है।
- पलानीसामी के 124 विधायकों की लिस्ट सौंपने के बाद गवर्नर के पास कोई विकल्प नहीं बचा था।
- पन्नीरसेल्वम के पास सरकार बनाने लायक आंकड़े नहीं हैं। इसलिए पलानीसामी को मौका दिया गया।