कुलभूषण जाधव की तरह, कश्मीर पर भी ICJ में मात खाएगा पाकिस्तान, मिलने लगे संकेत
नई दिल्ली- पिछले ही महीने कुलभूषण जाधव केस में पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय न्यायलय में भारत से मुंह की खा चुका है। वहां तो चीन ने भी उसका साथ छोड़ दिया था। बावजूद इसके पाकिस्तान की इमरान खान की सरकार जम्मू-कश्मीर के मसले को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में ले जाने की कवायद में जुटी हुई है। एक्सपर्ट इसे इसल मुद्दों से पाकिस्तानी जनता का ध्यान भटकाने की इमरान सरकार की चाल तो बता ही रहे थे। अब आईसीजे में लीगल एडवाइजर ने भी कह दिया है कि भारत के खिलाफ जिन मामलों को लेकर पाकिस्तान वहां जाना चाहता है, उसमें जरा भी दम नहीं है और उसकी याचिका पेश होने के साथ ही खारिज हो सकती है। खास बात ये है कि इस मसले पर सुरक्षा परिषद में उसकी मिट्टी पहले ही पलीद हो चुकी है।
आईसीजे में 'नरसंहार' का दावा साबित करना मुश्किल
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में दक्षिण एशिया की लीगल एडवाइजर रीमा उमर ने कहा है कि कश्मीर में 'नरसंहार' के जिस आधार पर पाकिस्तान याचिका देना चाहता है, उसे साबित करना बहुत मुश्किल है। क्योंकि, अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत इसकी व्याख्या कैसे होगी। उमर ने सवाल उठाया है कि पाकिस्तान कश्मीर पर 'अधिकार क्षेत्र संबंधी' प्रश्न से कैसे निपटेगा। उन्होंने ट्विटर पर लिखा है कि पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा है कि वे भारत के खिलाफ कश्मीर में 'नरसंहार' को लेकर आईसीजे में जाने की सोच रह हैं, लेकिन 'अधिकार क्षेत्र की चुनौती को अलग भी रख दें तो भी अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत 'नरसंहार' की परिभाषा देना बहुत ही चुनौतीपूर्ण होगा।'
पाकिस्तान ने क्या कहा है?
गौरतलब है कि चीन और पाकिस्तान की जुगलबंदी से जम्मू-कश्मीर पर सुरक्षा परिषद बंद कमरे में चर्चा भी कर चुका है। लेकिन, हकीकत ये है कि उस बैठक के बाद औपचारिक तो छोड़ दीजिए कोई आधिकारिक अनौपचारिक टिप्पणी तक करने की किसी सदस्य ने आवश्यकता नहीं समझी है। इस कूटनीतिक मार से बौखलाए पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने कहा है कि वह अब इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में चुनौती देने की सोच रहे हैं। शाह महमूद कुरैशी ने इस्लामाबाद में कहा 'हमनें तय किया है कि कश्मीर मामले को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में लेकर जाएंगे।' गौरतलब है कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के एक विशेष सहयोगी ने भी इस बात की पुष्टि करते हुए कहा है कि वह इस मामले में दुनिया के मशहूर वकीलों को उतारेंगे।
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पाकिस्तानी जनता का ध्यान भटकाने की चाल
जब अंतरराष्ट्रीय कोर्ट के एक्सपर्ट वकीलों की राय है कि पाकिस्तान का केस आईसीजे में टिकने लायक नहीं है तो सवाल उठता है कि वह इसका इतना प्रचार क्यों कर रहा है? यही नहीं पाकिस्तान के हुक्कमरानों को यह भी बखूबी पता है कि ऐसे मामलों में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का न तो ज्यादा कोई अधिकार है और उसके फैसले भी आमतौर पर सलाहकारी ही होते हैं। ऐसे में जानकार मान रहे हैं कि इमरान सरकार अपनी जनता की नजरों में कश्मीर मसले पर कुछ न कुछ करते हुए दिखना चाहती है, ताकि जनाक्रोश बेकाबू न हो जाए।
पीओके में भी कमजोर पड़ेगा पाकिस्तान
कुछ जानकारों की तो यहां तक राय है कि जम्मू-कश्मीर मामले में भारत के हाल के फैसले के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय न्यायालय जाकर पाकिस्तान अपने कब्जे वाले पीओके पर भी पकड़ कमजोर कर रहा है। क्योंकि, जम्मू और कश्मीर के महाराजा ने अपने राज्य का भारत में आधिकारिक विलय किया था, इस तथ्य को दुनिया का कोई कानून झुठला नहीं सकता। पाकिस्तान ने तो उसके कुछ हिस्से पर जबरन कब्जा कर रखा है, जिसे वह 'आजाद कश्मीर' बताने का झांसा देता है। यही नहीं पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र के उस प्रस्ताव का भी उल्लंघन कर रहा है जिसमें उससे कश्मीर में किसी तरह के जनमत-संग्रह से पहले पीओके से निकल जाने के लिए कहा गया था। ऊपर से पाकिस्तान तो पीओके का एक हिस्सा अक्साई चीन गैर-कानूनी तौर पर चीन के हवाले कर चुका है।
कुलभूषण जाधव केस में चीन ने भी नहीं दिया साथ
पिछले महीने ही पाकिस्तान की जेल में अवैध तरीके से बंदी बनाकर रखे गए भारतीय कुलभूषण जाधव के मामले में आईसीजे में बुरी तरह से भारत के हाथों पिट चुका है। इस केस में अंतरराष्ट्रीय अदालत ने भारत के पक्ष में 15-1 से फैसला सुनाया था और सिर्फ पाकिस्तानी जज ने ही उसका साथ दिया था। यहां तक की चीन के जज ने भी कुलभूषण जाधव के पक्ष में निर्णय दिया था। आईसीजे ने जाधव को काउंसुलर एक्सेस देने के पक्ष में फैसला सुनाया है। ये बात अलग है कि करीब एक महीना बीत जाने के बाद भी पाकिस्तान आदेश के तामील में आनाकानी कर रहा है।