इंडियन आर्मी की 'सर्जिकल स्ट्राइक' की आशंका से घबराई पाकिस्तान की ISI, पीओके में चार आतंकी कैंप्स बंद
नई दिल्ली। 14 फरवरी को जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद से ही भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की स्थिति है। अब इसी तनाव के बीच खबर आई है कि भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक की आशंका से घबराए पाकिस्तानी इंटेलीजेंस एजेंसी आईएसआई ने पीओके में स्थित चार टेरर कैंप्स को बंद करा दिया है। इंडिया टुडे की ओर से एक खास रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी गई है। 26 फरवरी को पाकिस्तान के बालाकोट में इंडियन एयरफोर्स ने एयर स्ट्राइक की थी। इस एयर स्ट्राइक में जैश-ए-मोहम्मद के अड्डों को निशाना बनाया गया था।
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आईएसआई और लश्कर की मीटिंग
पाकिस्तान में आतंकी संगठन भारत और पाक की सेनाओं के बीच तनाव की स्थिति के मद्देनजर अलर्ट स्थिति में है। इन संगठनों को इस बात का डर है कि कहीं भारत की सेना उन्हें निशाना न बना ले। इसी डर के चलते पीओके में स्थित चार कैंप्स को बंद कर दिया है। इंटेलीजेंस इनपुट्स में आतंकियों की बातचीत और टेक्निकल सर्विलांस के जरिए भारत की एजेंसियों को इस बात के बारे में पता चला है। एजेंसियों को पता लगा था कि 16 मार्च को पीओके के निकीआल में एक मीटिंग हुई थी। निकीआल, राजौरी के दूसरी तरफ है। मीटिंग में आईएसआई के प्रतिनिधि और लश्क-ए-तैयबा का आतंकी अशफक बराल शामिल हुआ था।
राजौरी के सामने हैं आतंकी कैंप्स
इसी मीटिंग में आतंकियों को टेरर कैंप्स को बंद करने के निर्देश दिए गए थे। आईएसआई को इस बात का डर था कि युद्धविराम उल्लंघन का जवाब देने के मकस से भारत की सेना, पाकिस्तान की पोस्ट्स और टेरर कैंप्स को निशाना बना सकती है। आतंकियों के कैंप्स और उनके ऑफिसर कोटली और निकीआल एरिया में बंद कर दिए गए हैं। ये दोनों ही जगहें राजौरी और सुंदरबनी के ठीक सामने हैं। जो चार आतंकी कैंप्स बंद किए गए हैं, बताया जा रहा है कि इन कैंप्स को लश्कर कर अशफाक बराल चला रहा था।
जैश और हिजबुल के भी कैंप
इसके अलावा दो जैश-ए-मोहम्मद के कैंप्स जो पाला और बाग एरिया हैं तो हिजबुल मुजाहिद्दीन के कैंप के बारे में भी इसी तरह की जानकारी है। हिजबुल का कैंप कोटली इलाके में है। पुलवामा आतंकी हमले के बाद से ही एलओसी पर पाक की तरफ से लगातार फायरिंग करके युद्धविराम को तोड़ा जा रहा है। साल 2019 में अब तक 634 बार पाक ने युद्धविराम को तोड़ा है। वहीं साल 2018 में 1,629 बार युद्धविराम तोड़ा गया था।