पाकिस्तान ने असली रंग दिखाया, कोरोना मरीजों को वाहनों में ठूंस-ठूंस कर PoK पहुंचाया
नई दिल्ली- कोरोना संकट के वक्त पाकिस्तान की सेना और वहां के हुक्कमरानों ने अपना असली रंग दिखाना शुरू कर दिया है। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में अब तक जितने भी कोरोना के मरीज सामने आए हैं, पाकिस्तानी आर्मी उन्हें जबरन वाहनों में ठूंस-ठूंस कर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर या गिलगिट बाल्टिस्तान में पहुंचा चुकी है। पाकिस्तान सेना ने हुक्म दिया है किए पंजाब में एक भी कोरोना मरीज नहीं रहेंगे और सबको पीओके या गिलगिट में ही क्वारंटाइन करना है। जबकि, ये दोनों इलाके पाकिस्तान की दोमुंही नीति के कारण आज तक बहुत ज्यादा पिछड़े हुए हैं। इमरान सरकार और उनके जनरल के हुक्म के खिलाफ दोनों इलाकों में आवाज भी उठाई जा रही है, लेकिन उन सभी आवाजों को दबा दिया जा रहा है।
पीओके और गिलगिट में ही बनाए क्वारंटाइन सेंटर
भारी विरोध के बावजूद पाकिस्तानी सेना ने कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को जबरन पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर और गिलगिट बाल्टिस्तान की ओर धकेलना शुरू कर दिया है। पाकिस्तानी सेना ने तय कर लिया है कि वो पंजाब प्रांत में एक भी कोविड-19 के मरीज को नहीं रहने देगी और खुद को सुरक्षित रखने के लिए पीओके और गिलगिट बाल्टिस्तान के लोगों को खतरे में डाल दिया है। जानकारी के मुताबिक पीओके के मीरपुर और बाकी बड़े शहरों में क्वारंटाइन सेंटर बनाए गए हैं और पंजाब इलाके में जितने भी कोरोना संदिग्ध हैं, उन्हें जबरन वाहनों में भर-भर कर वहां तक पहुंचाया जा रहा है। संकट की इस घड़ी में पाकिस्तान ऐसी अमानवीय हरकत सिर्फ इसलिए कर रहा है, ताकि वहां की आर्मी के आकाओं ने कह दिया है कि किसी भी सूरत में सैन्य ठिकानों के आस-पास कोरोना पॉजिटिव मरीज नहीं होने चाहिए।
पीओके-गिलगिट के लोगों की आवाज दबा रही है पाकिस्तानी सेना
पाकिस्तानी आर्मी के इस फरमान का असर ये हुआ है के बड़ी संख्या में कोरोना मरीजों को वाहनोंठूंस-ठूंस कर मीरपुर शहर और पीओके एवं गिलिगिट बाल्टिस्तान के अवैध पाकिस्तानी कब्जे इलाकों में पहुंचाया जा रहा है। पाकिस्तान की इस हरकते के खिलाफ पीओके और गिलगिट बाल्टिस्तान के लोगों ने आवाज भी उठाने की कोशिश की है। वो नहीं चाहते कि पाकिस्तान के कोरोना मरीजों को उनके इलाके में जबरन रखा जा, जो पहले से ही बुनियादी सुविधाओं और मेडिकल सुविधाओं से महरूम पड़े हैं। उनको डर है कि पाकिस्तानी सेना की वजह से उनका इलाका भी इस महामारी की चपेट में आ जाएगा और कश्मीरी मूल के लोगों की जिंदगियां खतरे में पड़ जाएंगी। लेकिन, पाकिस्तानी सेना की कान में जूं तक नहीं रेंग रही है, क्योंकि पंजाब प्रांत की तुलना में अवैध कब्जे वाले पीओके या गिलगिट-बाल्टिस्तान का कोई सियासी वजूद नहीं है।
'पीओके और गिलगिट के साथ डस्टिबन जैसा बर्ताव'
पीओके के मुजफ्फराबाद के लोगों का कहना है कि उनके यहां तो मामूली बीमारियों के इलाज की भी व्यवस्था नहीं है, कोरोना के मरीजों का इलाज कौन करेगा। उनके मुताबिक पाकिस्तानी सेना को सिर्फ पंजाब की पड़ी है और किसी की नहीं। मुजफ्फराबाद के एक कारोबारी जफर इस्माइल ने कहा, 'हम देख रहे हैं कि समूचे पंजाब से कोरोना वायरस के मरीजों को मुजफ्फराबाद के अस्पतालों में लाया जा रहा है और कश्मीरी आवाम के साथ पाकिस्तानी आर्मी की नई धोखेबाजी ने हम लोगों को बहुत डरा दिया है। ' उनके मुताबिक, 'पाकिस्तानी फौज सिर्फ पंजाब के बारे में सोचती है और वो पंजाब को कोरोना वायरस से सुरक्षित रखना चाहते हैं। वे कश्मीर और गिलगिट के साथ पाकिस्तान के डस्टबिन जैसा बर्ताव कर रहे हैं।'
आर्मी के हवाले हो चुका है पाकिस्तान- पाकिस्तानी एक्टिविस्ट
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के जागरूक लोग पाकिस्तान का असल रंग देखकर भौंचक्के हैं। पीओके के एक ऐसे ही पॉलिटिकल एक्टिविस्ट डॉक्टर अमजद अयूब मिर्जा ने कहा, 'एक तरफ तो हम सोशल डिस्टेंसिंग पर जोर दे रहे हैं और दूसरी ओर पाकिस्तान सरकार लोगों को इकट्ठा होने और क्वारंटाइन सेंटर बनाने के खिलाफ प्रदर्शन करने पर मजबूर कर रही है।' उन्होंने आगे कहा, 'पाकिस्तान में शासन नाम की चीज नहीं है, यही वजह है कि पूरा मुल्क आर्मी के हवाले कर दिया गया है। आर्मी अपने स्वार्थ को ध्यान में रखकर ही सारी व्यवस्था कर रही है।' गुरुवार को ही पाकिस्तान में कोविड-19 पॉजिटिव मरीजों की संख्या 1,000 तक पहुंच चुकी थी। अकेले सिंध में ही 400 से ज्यादा लोग संक्रमित हैं। जबकि, पंजाब प्रांत में गुरुवार तक करीब 300 पॉजिटिव केस सामने आ चुके थे वहीं खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में ये संख्या 80 के करीब पहुंच चुकी थी।
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