अमेरिकी थिंक टैंक बोला- कश्मीर पर भारत के फैसले के खिलाफ पाकिस्तान के पास सीमित विकल्प
नई दिल्ली। अमेरिकी थिंक टैंक की रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू-कश्मीर पर भारत के फैसले का जवाब देने के लिए पाकिस्तान के पास विकल्प बेहद सीमित हैं। अमेरिकी थिंक टैंक कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस (सीआरएस) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पाकिस्तान के पास सैन्य कार्रवाई का विकल्प नहीं है क्योंकि उसकी क्षमता में भारी गिरावट आई है। ऐसे में वह अब केवल कूटनीति पर ही निर्भर रह सकता है। एजेंसी ने बुधवार को कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के 6 महीने के अंदर ही अपनी दूसरी रिपोर्ट पेश की है।
कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस की रिपोर्ट में कई विशेषज्ञों ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर के मसले पर पाकिस्तान के पास कूटनीति का जो विकल्प मौजूद है वह भी इतना आसान नहीं है। इसके पीछे की वजह में बताया गया है कि पाकिस्तान का आतंकी संगठनों को गुपचुप समर्थन देने का इतिहास भी लंबा रहा है जिसे देखते हुए उसकी विश्वसनीयता कम हो गई है। सीआरएस अमेरिकी कांग्रेस की स्वतंत्र रिसर्च विंग है। यह एजेंसी अमेरिकी सांसदों के लिए समय-समय पर रिपोर्ट्स तैयार करती है, ताकि संसद अंतरराष्ट्रीय मामलों पर फैसले ले सके।
रिपोर्ट में कहा गया है कि, 5 अगस्त के बाद पाकिस्तान 'कूटनीतिक रूप से अकेला दिखा' है, एकमात्र देश तुर्की ने उसका साथ देने की बात कही। नई दिल्ली द्वारा 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने और इसे केंद्रशासित प्रदेश बनाने के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्ते बेहद खराब हो गए। पाकिस्तान इस मुद्दे पर भारत के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, भारत ने साफ किया है कि यह पूरी तरह आंतरिक मामला है।
कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस ने 25 पन्नों की रिपोर्ट में कहा है कि पाकिस्तान ने चीन के समर्थन से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के सत्र में कश्मीर पर चर्चा की मांग की थी। रिपोर्ट्स में कहा गया है कि, पाकिस्तान और उसका साथी चीन की अंतरराष्ट्रीय विश्वसनीयता काफी सीमित है। खासकर मानवाधिकार के मामलों पर। हालांकि, इस्लामाबाद यह उम्मीद कर सकता है कि नई दिल्ली अपनी नीतियों के जरिए कश्मीर में खुद को ही नुकसान पहुंचा सकता है। पाकिस्तान अब यह सोच सकता है कि इससे सऊदी अरब और यूएई में भारत के कूटनीतिक फायदे कम होंगे।
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