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जम्मू-कश्मीर छोड़ पाकिस्तान को अब सता रही है पीओके की चिंता!

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बेंगलुरू। जम्मू-कश्मीर मसले पर लगातार मुंह की खाते आ रहे पाकिस्तान को अब पीओके की चिंता सताने लगी है, जिस पर पाकिस्तान ने ब्रिटिश हुकूमत से 15 अगस्त, वर्ष 1947 में दोनों देशों को मिली आजादी के बाद जबरन कब्जा कर रखा है। ईस्ट इंडिया कंपनी के आखिरी वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन द्वारा भारत और पाकिस्तान के बीच खींची बंटवारे की लाइन पर पाकिस्तान ने जबरन अपनी लाइन खींचकर पिछले 72 वर्षों से भारत के अभिन्न और वृहद जम्मू-कश्मीर पर कब्जा कर रखा है, लेकिन अब वह समय आ गया है जब भारत पाक अधिकृत कश्मीर पर दावा कर सकता है, जिसे पाकिस्तान ने जबरन दबा रखा है।

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पाक अधिकृत कश्मीर पर भारतीय दावे का समर्थन करते हुए ब्रिटिश सांसद बॉब ब्लैकमैन ने अभी हाल में पाकिस्तान को हिदायत देते हुए कहा है कि पाकिस्तान को कश्मीर के अवैध हिस्से जमीन को खाली कर देना चाहिए। उसके बाद से पाकिस्तान की सिट्टी-पिट्टी गुम है, क्योंकि पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में भारत सरकार किए गए फैसले को अंतरार्ष्ट्रीय कोर्ट में चुनौती देने की कोशिश में था। ब्रिटिश सांसद ब्लैकमैन ने पाकिस्तान को लगभग चेतावनी देते हुए बताया कि अगर पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर मसले पर इंटरनेशल कोर्ट में गया तो पाक अधिकृत कश्मीर पर भी उसका दावा अवैध हो जाएगा।

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मंगलवार को दिए एक बयान में भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि जल्द ही पाक अधिकृत कश्मीर पर भारत का कब्जा होगा। विदेश मंत्री ने बाकायदा ट्वीट करते हुए लिखा है कि उम्मीद है कि जल्द ही PoK भारत का भौगोलिक हिस्सा होगा। विदेश मंत्री ने उक्त बयान विदेश मंत्रालय के 100 दिन पूरे होने पर दिया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि धारा 370 द्विपक्षीय मुद्दा नहीं है, यह आंतरिक मुद्दा है।

मोदी सरकार के कई मंत्री भी इससे पहले पीओके को लेकर बयान दे चुके हैं। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बयान जारी कर कहा था कि भारत सरकार का अगला एजेंडा पीओके को फिर से हासिल करना है। विदेश मंत्री ने आगे कहा कि यह भारत का आंतरिक मामला है और पाकिस्तान के साथ 370 का मुद्दा है ही नहीं, बल्कि उसके साथ आतंकवाद का मुद्दा है और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय भी धारा 370 पर भारत की स्थिति को समझता है।

उधर, पाकिस्तान भी मुद्दे को इंटरनेशनल कोर्ट में उठाने से पहले उसकी टेक्निकॉलिटी पर लगातार विचार कर रहा है कि कहीं ऐसा न हो कि उनकी हालत नमाज अदा करने गए और रोजे गले पड़ गई जैसी न हो जाए। पाकिस्तानी कानून मंत्रालय ने भी पाक पीएम इमरान खान को कश्मीर मसले को इंटरनेशनल कोर्ट में ले जाने की गलती नहीं करने की नसीहत दी है।

यही कारण है कि पीएम इमरान खान द्वारा कश्मीर मसले को इंटरनेशनल कोर्ट में उठाने के बयान के बाद कोई बयान नहीं आया है, क्योंकि पाकिस्तान भी यह भली-भांति जानता है कि अगर उसने कश्मीर मामले को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में उठाने की कोशिश की तो उसको पीओके से भी हाथ धोना पड़ जाएगा।

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जम्मू-कश्मीर मसले को इंटरनेशनल कोर्ट में उठाने से इसलिए पाकिस्तान को लेने के देने पड़ सकते हैं, क्योंकि 21 अप्रैल, 1948 को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा पारित एक रिजॉल्यूशन में पाकिस्तान को पीओके खाली करने और पाकिस्तानी सेना को वापस बुलाने का निर्देश दिया गया था। इसके अलावा सुरक्षा परिषद ने पीओके को जम्मू-कश्मीर में मिलाने का भी निर्देश दिया था, लेकिन पाकिस्तान ने इंटरनेशनल कोर्ट की अवहेलना करते हुए अभी तक जम्मू-कश्मीर के हिस्से पर कब्जा जमाए हुए है।

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दरअसल, ब्रिटिश सांसद बॉब ब्लैकमैन ने भी पाकिस्तान को 21 अप्रैल 1948 के रिजॉल्यूशन का जिक्र करते हुए जम्मू-कश्मीर मुद्दे को इंटरनेशनल कोर्ट में उठाने को पाकिस्तान के आत्मघाटी करार दिया है। ब्रिटिश सांसद ब्लैकमैन ने भारतीय पक्षा का खुलकर सर्मथन करते हुए कहा था कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) समेत पूरा जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है, जिसे सुरक्षा परिषद भी अपने रिजॉल्यूशन में स्वीकार कर लिया है।

अब अगर पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर को लेकर इंटरनेशनल कोर्ट में कोई याचिका दायर करता है तो सुरक्षा परिषद एक बार फिर पीओके पर पाकिस्तान के कब्जे को अवैध करार देते हुए उससे पीओके खाली करने को कह सकता है और पाकिस्तानी पीएम इमरान खान किसी भी सूरत यह मंजर देखना पसंद नहीं करेंगे।

यही बात अपने पूरे बयान में ब्रिटिश सांसद बॉब ब्लैकमैन ने पाकिस्तान पर चुटकी लेते हुए कही थी कि जो लोग जम्मू-कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के रिजॉल्यूशन का पालन करने की बात करते हैं, वो लोग पिछले 71 वर्षों से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के रिजॉल्यूशन को नजरअंदाज करते आ रहे हैं।

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उल्लेखनीय है जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 ए हटने के बाद से पीओके समेत पूरा जम्मू कश्मीर भारत का केंद्र शासित प्रदेश बन चुका है। ऐसे में अब पाकिस्तान का पीओके पर किसी भी तरह का कोई कानूनी हक बचा ही नहीं रह गया है। अनुच्छेद 370 को जम्मू-कश्मीर से हटाने का फैसला अब तक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत का पक्ष कई गुना मजबूत हो गया है।

दरअसल, पीओके पर पाकिस्तान के अवैध कब्जे को लेकर भारत द्वारा की शिकायत पर ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने पाकिस्तान को पीओके खाली करने का निर्देश दिया था औरअभी तक पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के रिजॉल्यूशन को लागू नहीं किया है, लेकिन अब वह दिन दूर नहीं जब उसे पूरा पीओके भारत को वापस देना होगा।

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केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह भी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) को भारत का अभिन्न हिस्सा बताते हुए हाल ही में कहा था कि अब अगर पाकिस्तान से बात होगी, तो सिर्फ पीओके पर होगी। हालांकि भारत हर मोर्च पर शुरू से ही कहता आ रहा है कि पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर पर अवैध कब्जा कर रखा है और अब अगर पाकिस्तान यह गलती करता है कि भारत के लिए पीओके कब्जा पाने का अवसर आसान हो जाएगा, जो पाकिस्तान कभी नहीं चाहेगा।

गौरतलब है जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से ही बौखलाया हुआ है और हरतरफ मिली नाकामी के बाद उसने पहले भारत को जंग की धमकी दी और फिर चीन को मिलाकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की क्लोज डोर बैठक बुलवाई, जहां पाकिस्तान को किसी और देश का साथ नहीं मिला। इससे खार खाते हुए पाकिस्तानी पीएम इमरान खान और विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी दोनों ने बारी-बारी से कश्मीर मामले को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ले जाने की बात कही, लेकिन उनका यह बयान उन पर ही बैक फायर हो गया है।

यह भी पढ़ें-पीओके भारत का हिस्सा, एक दिन हमारे अधिकार क्षेत्र में भी होगा: एस जयशंकर

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English summary
Pakistan now worried over Pakistan Occupied kashmir while right before pakistan fighting for Jammu-Kashmir issue. Over-nightly it has becuase pakistan now realized their step to raise voice over ICJ will back fire,
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