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पाकिस्‍तान है कंगाल और सेना है मालामाल, जानें तेल, जूते समेत और क्या बेचती है पाक आर्मी

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बेंगलुरु। पाकिस्तान आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। उसके पास कर्ज चुकाने के पैसे नहीं हैं। सरकारी खजाना बिलकुल खाली हो चुका हैं और खुद पाक पीएम ने माना है कि वह कंगाल हो रहे हैं। हालात इतने बदतर हैं महंगाई चरम पर पहुंच चुकी है। कश्‍मीर मुद्दे के बाद पूरी दुनिया को पाकिस्‍तानी की माली हालत का पता चल गया। लेकिन आपको यह जानकर ताज्जुब होगा कि इस कंगाल देश की आर्मी सेना खूब मालामाल हैं। पाकिस्तानी सेना का मन व्यापार में भी खूब लगता है।

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पाकिस्तान की सेना राजनीति सहित पूरे पाकिस्तान को परोक्ष और अपरोक्ष रूप से संचालित करती है। आपको यह सुनने में अजीब लगेगी लेकिन पाकिस्‍तान की सीमाओं पर गोले बारूद और गोली चलाने वाले पाक सेना व्‍यापार में भी पूरा दखल रखती हैं। यह सच है कि पाक आर्मी बैंकिंग से लेकर रियल एस्टेट तक का धंधा संभालती है। यह फौजी फाउंडेशन, आर्मी वेलफेयर ट्रस्ट, शाहीन फाउंडेशन, बाहरिया फाउंडेशन और डिफेंस हाउसिंग फाउंडेशन के द्वारा 50 कंपनियां चलाती है।

सेना के बड़े अधिकारी अनाज, कपड़े, सीमेंट, शुगर मिल, जूता निर्माण कार्य से लेकर एविएशन सर्विसेज, इंश्योरेंस और यहां तक की रिजॉर्ट चलाने और रियल एस्टेट का कारोबार करते हैं, जिसकी मार्केट वैल्यू 2016 में करीब 20 अरब डॉलर थी, जो कि निश्चित तौर पर अब कई गुना ज्यादा बढ़ चुकी है। किसी भी पाक सेना का बिजनेस देश की किसी भी अन्य सरकारी कंपनी की जिम्मेदारी से पूरी तरह से आजाद है पाकिस्तानी सेना के व्यापार का पाकिस्तान की रक्षा बजट से भी कोई लेना देना नहीं है।

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एशिया टाइम्स की रिपोर्ट के कुछ माह पूर्व की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान की सेना ने मुनाफे के तेल बिजनेस में भी उतर चुकी हैं। बैंकिंग, फूड, रिटेल, सीमेंट, रियल स्टेट, हाउसिंग कंस्ट्रक्शन, इंश्योरेंस और निजी सिक्युरिटी सर्विस तक सेना का करोबार फैला हुआ हैं।

पाक आर्मी संचालित फ्रंटियर वर्क्स ऑर्गनाइजेशन की सब्सिडियरी फ्रंटियर ऑयल कंपनी को 470 किमी लंबी ऑयल पाइपलाइन बिछाने का ठेका मिला था। प्रोजेक्ट की लागत 370 मिलियन डॉलर (25,00 करोड़ रुपये) थी। प्रोजेक्ट को पिछले साल तत्कालीन पीएम शाहीद खकान अब्बासी ने सरकारी एजेंसी इंटर स्टेट गैस सिस्टम (आइएसजीएस) को दिया था, लेकिन नयी इमरान सरकार ने इस फैसले को पलट कर सेना को यह प्रोजेक्ट दे दिया था।

अब खनन और तेल की खोज में भी सेना ने अपने कदम बढ़ाए हैं और पाकिस्तान मेरोक फॉस्फोर जैसी कंपनियां स्थापित की हैं। अगर सिर्फ फौजी फाउंडेशन की बात करें तो पिछले 5 सालों में इसकी परिसंपत्तियां और टर्नओवर में करीब 62 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है।

अगर देश की अर्थव्यवस्था और चौपट होती है तो सेना के कारोबार पर भी प्रतिकूल असर पड़ेगा। इसीलिए पिछले दिनों पीएम इमरान खान देश अर्थव्‍यवस्‍था को संभाल पाने में पूरी तरह नाकाम रही इसीलिए पाकिस्तान सेना प्रमुख जनरल बाजवा ने वर्दी की जिम्मेदारी छोड़अर्थव्‍यवस्‍था को पटरी पर लाने में जुट गए। पाक सेना तो वैसे हर तरह के कारोबार और उत्पाद तैयार करती है, लेकिन पाकिस्तान की डांवाडोल अर्थव्यवस्था को संवारने का जिम्मा उठाने का सेना का फैसला सभी को चकित कर दिया।

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पाकिस्‍तान सेना की चिंता

बता दें देश की बिगड़ती अर्थव्यवस्था को पार लगाने के लिए सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा बिजनेस लीडर्स के साथ मीटिंग कर रहे हैं। पाकिस्तान की आजादी के बाद अब तक तीन बार शासन कर चुकी पाक सेना का दखल राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय हर मामलों में रहता है। इमरान सरकार समेत पिछली सभी सरकार सेना की कठपुतली की तरह काम करती है। सेनाप्रमुख ने जो देश की अर्थव्‍यवस्‍था को सुधारने की सुध ली हैं इसके पीछे उनका उद्देश्‍य देश की आवाम को राहत देना नहीं है बल्कि देश की खस्‍ताहाल व्‍यवस्‍था का सेना के कारोबार पर पड़ रहा प्रतिकूल प्रभाव हैं। 2019-20 के वित्त वर्ष में पाकिस्तान की जीडीपी 2.4 फीसद रहने का अनुमान है, जबकि वित्तीय घाटा जीडीपी का 7.2 फीसद हो जाएगा, जो कि पिछले 9 साल में सबसे ज्यादा है। साथ ही, रक्षा बजट की वजह से सेना को अपने सैनिकों का वेतन और रिटायर्ड सैनिकों को पेंशन देने के लिए भी पैसे की जरूरत है।

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पाक को चुकाना है इतना कर्ज

गौरतलब हैं कि पाकिस्तान को पिछले तीन साल में आईएमएफ से तीन गुना ज्यादा कर्ज चीन से मिला है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, आने वाले तीन सालों में पाकिस्तान को आईएमएफ को 2.8 अरब डॉलर तो चुकाना ही है। इसके साथ ही, उसी समय सीमा में उसे चीन को भी 6.7 अरब डॉलर लौटाने होंगे।पाकिस्तान के अस्तित्व में आने से करीब आधे समय तक सेना ने ही पाक पर शासन किया है और यह पाकिस्तान का सबसे विश्वस्त संस्थान है। ऐसे में राजनीति के अलावा अर्थव्यवस्था में भी सेना का दखल हैरान करने वाला नहीं है।

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English summary
What businesses does Pakistan's army do and how much money does it make, and why does the army chief want to revive the country's economy.
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