कुलभूषण जाधव कहां और किस हालत में हैं, अब तक पाकिस्तान ने कुछ नहीं बताया
विदेश मंत्रालय ने दी जानकारी पाकिस्तान ने अभी तक कुलभूषण जाधव की लोकेशन और वह कैसे हैं इस बारे में कोई भी जानकारी भारत से साझा नहीं की है।
नई दिल्ली। सोमवार को पाकिस्तान की मिलिट्री कोर्ट ने भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के मौत की सजा सुनाई है। तब से लेकर अब तक पाकिस्तान ने जाधव से जुड़ी कोई भी जानकारी भारत के साथ साझा नहीं की है। विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को यह बात मीडिया से कही है।
काउंसलर की अपील भी खारिज
विदेश मंत्रालय की रुटीन प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए प्रवक्ता गोपाल बागले ने कहा कि पाकिस्तान ने अभी तक भारत को यह नहीं बताया है कि जाधव की लोकेशन क्या है और न ही उनकी स्थिति के बारे में कोई जानकारी दी गई है। सिर्फ इतना ही नहीं काउंसलर के लिए जो अपील की गई थी उसे भी पाकिस्तान ने खारिज कर दिया है। गोपाल बागले ने कहा है कि पाकिस्तान की ओर से जो भी कानूनी प्रक्रिया की गई है वह भी अस्पष्ट है। विदेश मंंत्रालय की ओर से यह जानकारी भी दी गई है कि भारत ने पाकिस्तान से 13 बार अपील की जा चुकी है कि जाधव को काउंसलर मुहैया कराया जाए लेकिन पाक ने 13 ही बार इस अपील को खारिज कर दिया है। जब जाधव को मौत की सजा सुनाई तो पाक ने कहा कि यह कदम उन सभी देशों को एक चेतावनी है जो पाक के खिलाफ साजिश करते हैं। साथ ही पाक की ओर से यह भी कहा गया है कि जाधव 60 दिनों के अंदर अपने खिलाफ आए फैसले पर अपील कर सकते हैं।
अमेरिकी विशेषज्ञों ने उठाए सवाल
दूसरी ओर कुलभूषण जाधव को मिली मौत की सजा पर अमेरिकी विशेषज्ञों ने सवालिया निशान लगा दिए हैं। अमेरिकी विभाग के साउथ और सेंट्रल एशिया ब्यूरों में सीनियर ऑफिसर के तौर पर रहीं अलायशा आयर्स ने कहा है, 'जाधव की स्थिति में कई तरह की अनियमितताएं देखने को मिली हैं जैसे उन्हें कोई भी वकील नहीं मुहैया कराया गया और इस हैरान कर देने वाले कोर्ट मार्शल के आसपास एक अजीब तरह की गोपनीयता बरती गई। जो बात मुझे सबसे ज्यादा हैरान करती है वह जाधव के ट्रायल और मुंबई हमलों के ट्रायल की स्पीड और इसमें जमीन आसमान का अंतर होना।' वॉशिंगटन के थिंक टैंक अटलांटिक काउंसिल में साउथ एशिया सेंटर के डायरेक्टर भारत गोपालस्वामी का मानना है कि जो भी सुबूत जाधव की सजा के लिए प्रयोग किए गए वे काफी हल्के मालूम पड़ते हैं और जो कहानी पाकिस्तान अथॉरिटीज की ओर से गढ़ी गई है उससे भी कुछ साबित नहीं होता है। उनका मानना है कि बिना किसी सुबूतों के इस केस में आया फैसला पूरी तरह से राजनीतिक भावना से प्रेरित लगता है। यह भी पढ़ें- डोवाल और जाधव के कनेक्शन की खबरों को भारत ने बताया बकवास