FATF की 'ग्रे लिस्ट' से निकलने को कसमसा रहा पाकिस्तान, हरकतें ब्लैक लिस्ट में डाले जाने वाली हैं
इस्लामाबाद। दुनिया भर में टेरर फंडिंग पर नजर रखने वाली संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) को पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट में रहने को लेकर फैसला करना है। एफएटीएप की बैठक में ये फैसला होना है कि पाकिस्तान ग्रे लिस्ट से बाहर आ जाएगा या नहीं। पाकिस्तान 2018 से ही एफएटीएफ ने ग्रे लिस्ट में डाला हुआ है।
एफएटीएफ ने दिया 27 सूत्रीय एक्शन प्लान
एफएटीएफ इस बात का निरीक्षण कर रहा है टेरर फंडिंग और आतंकवाद को लेकर हो रही मनी लॉण्ड्रिंग को रोकने के लिए पाकिस्तान ने जो वादे किए थे उनमें से कितनों को पूरा किया है। एफएटीएफ ने पाकिस्तान को 27 बिंदुओं वाले एक्शन प्लान की लिस्ट सौंपी थी जिसे पाकिस्तान को पूरा करने को कहा गया है। पाकिस्तान ने इस लिस्ट में शामिल कई उपायों को पूरा करने की कोशिश की है ऐसे में उसे ब्लैक लिस्ट में जाने से तो राहत मिल सकती है लेकिन फिलहाल उसके ग्रे लिस्ट से बाहर आने की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है। एफएटीएफ की तीन दिवसीय बैठक गुरुवार को समाप्त हो रही है।
एफएटीएफ की ये बैठक 11 फरवरी से संस्था के विभिन्न कार्यसमूहों की हो रही बैठकों की शृंखला का हिस्सा है। एफएटीएफ के कार्यसमूहों की बैठक का प्रमुख फोकस पाकिस्तान के ऊपर ही रहा कि क्या इसने वॉचडॉग द्वारा 2018 में दिए गए एक्शन प्लान पर अमल किया है या नहीं। 27 सूत्रीय कार्ययोजना टेरर फंडिंग का मुकाबला करने के लिए एफएटीएफ की 40 सूत्रीय सिफारिश का हिस्सा है।
पाकिस्तान एफएटीएफ के एक्शन प्लान पर खरा उतरने के बाद ही ग्रे लिस्ट से बाहर निकल सकेगा। इसके पहले अक्टूबर 2020 में एफएटीएफ की बैठक हुई थी जिसमें पाया गया था कि पाकिस्तान ने एक्शन प्लान में शामिल कई मांगों को अभी तक पूरा नहीं किया है।
एफएटीएफ की सिर्फ 2 सिफारिशों का पूरी तरह पालन
अभी तक पाकिस्तान ने एक्शन प्लान की 27 में से 21 शर्तों पर काम किया है जबकि 6 शर्तें जिनमें कई प्रमुख भी हैं पर पाकिस्तान ने काम नहीं किया है। इसके देखते हुए संस्था ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में ही रखने का फैसला किया था। साथ ही उसे जल्द से जल्द एक्शन प्लान की शर्तों को पूरा करने की चेतावनी भी दी थी।
एफएटीएफ के एक्शन प्लान को पूरा करने को लेकर दी गई सभी डेडलाइन को पाकिस्तान पार कर चुका है। एफएटीएफ ने पिछले साल पाकिस्तान को सभी 27 एक्शन प्लान को फरवरी 2021 तक पूरा करने को कहा था। यही वजह है कि इस बैठक में एफएटीएफ पाकिस्तान को लेकर कड़ा फैसला लेने वाला है।
हाल ही में ये भी जानकारी आई थी कि पाकिस्तान के जून से पहले तक ग्रे लिस्ट से निकलने की संभावना बहुत कम है। इसकी वजह भी बहुत साफ है। एफएटीएफ के एशिया-प्रशांत समूह (एपीजी) ने जो मूल्यांकन किया है वह विशेष रूप से पाकिस्तान के खिलाफ जाता है। एपीजी ने अपने आकलन में बताया था कि एफएटीएफ की 40 बिंदुओं वाली सिफारिश में पाकिस्तान केवल दो सिफारिशों का पूरी तरह से पालन कर रहा है।
ब्लैक लिस्ट की तरफ बढ़ रहा पाकिस्तान
पिछली बैठक में सख्त टिप्पणी के बाद पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई के लिए कोशिश जरूर की जिसका नतीजा रहा कि पाकिस्तान में वित्तीय और आतंकवाद को लेकर कानूनों में संशोधन किया गया। इसके बाद लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद और इसके दूसरे सहयोगियों के खिलाफ टेरर फंडिंग को लेकर कई मामले दर्ज किए गए।
हालांकि जिस तरह से पाकिस्तान में आतंकी संगठनों के मुखिया खुलेआम घूम रहे हैं और मस्जिदों से भाषण दे रहे हैं, उसे देखते हुए ये कार्रवाई एफएटीएफ से समय निकालने से अधिक कुछ नहीं मालूम पड़ती है।
इसके साथ ही 2002 में अमेरिकल पत्रकार डेनियल पर्ल की हत्या में शामिल मुख्य आतंकी उमर सईद शेख की पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट से रिहाई ने भी पाकिस्तान की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई की कलई खोल दी है। साथ ही पाकिस्तान ने हाल ही में फ्रांस में पैगम्बर मोहम्मद के कार्टून को लेकर की आतंकी घटनाओं को भी सही ठहराने की कोशिश की थी। कुल मिलाकर पाकिस्तान में जो हालात हैं उसके लिहाज से उसे ग्रे लिस्ट से ब्लैक लिस्ट की तरफ बढ़ रहा है।
ब्लैक लिस्ट से बचा रहा चीन
अमेरिका और फ्रांस ने पाकिस्तान पर एफएटीएफ के दबाव को बनाए रखने और इसे ग्रे लिस्ट में शामिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पाकिस्तान लगातार ग्रे लिस्ट से निकलकर व्हाइट लिस्ट में जाने की कोशिश कर रहा है लेकिन इस बार भी उसके ऐसा कर पाने की संभावना बहुत कम है।
पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर आने के लिए एफएटीएफ के 39 सदस्य देशों में सिर्फ 12 देशों की जरूरत होगी जो कि पाकिस्तान को मिलती नजर नहीं आ रही है। हालांकि ब्लैक लिस्ट से बचने में उसे मदद मिल जा रही है क्योंकि इसके लिए तीन देशों की ही जरूरत हो रही है। पाकिस्तान के समर्थन में तुर्की, चीन और मलेशिया जैसे देश खड़े हैं और उसकी करतूतों के बावजूद भी साथ दे रहे हैं। यही वजह है कि पाकिस्तान ब्लैक लिस्ट में जाने से बच जा रहा है।
पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट में बने रहने का मतलब है कि उसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, वर्ल्ड बैंक, एशियन डेवलपमेंट बैंक और यूरोपीय यूनियन से आर्थिक मदद नहीं मिल सकती है।
पूरा जोर लगा रहा पाकिस्तान
पाकिस्तान इस बैठक में ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने के लिए पूरा जोर लगा रहा है। इसके लिए पाकिस्तान सदस्य देशों से समर्थन की कोशिश में भी जुटा हुआ था। पाकिस्तान का विदेश मंत्रालय एफएटीएफ के सदस्य देशों के राजदूतों और राजनयिकों को आमंत्रित कर रहा था कि वे 27 बिंदुओं वाले एक्शन प्लान को लेकर पाकिस्तान द्वारा की गई कार्रवाई की प्रगति को खुद देखें। पाकिस्तान ने एफएटीएफ के सदस्य देशों से इस मुद्दे पर मदद का भी अनुरोध किया है।
एफएटीएफ को गठन 1989 में किया गया था। यह दुनिया में मनी लॉण्ड्रिंग, टेरर फंडिंग और अंतरराष्ट्रीय फाइनेंशियल सिस्टम पर खतरे के खिलाफ कार्रवाई करता है। वर्तमान में एफएटीएफ के 39 सदस्य हैं जिसमें दो क्षेत्रीय संगठन यूरोपीय यूनियन और गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल भी हैं। भारत भी एफएटीएफ कंसल्टेशन और एशिया पैसिफिक ग्रुप का सदस्य है।
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