पाकिस्तान के पास हैं भारत से ज्यादा परमाणु हथियार, नई दिल्ली फिर भी संतुष्ट
परमाणु हथियारों के मामले में अब पाकिस्तान, भारत से कुछ कदम आगे हो गया है। वहीं चीन के पास भारत और पाकिस्तान की तुलना में दोगुने परमाणु हथियार हैं। हालांकि भारत को इस बात का अफसोस नहीं है।
नई दिल्ली। परमाणु हथियारों के मामले में अब पाकिस्तान, भारत से कुछ कदम आगे हो गया है। वहीं चीन के पास भारत और पाकिस्तान की तुलना में दोगुने परमाणु हथियार हैं। हालांकि भारत को इस बात का अफसोस नहीं है। भारतीय रक्षा संस्थानों का मानना है कि परमाणु हथियारों को लेकर भय को दूर करने की क्षमता काफी बलवान है और भारत यह सुनिश्चित कर सकता है कि किसी भी हमले के समय वह सुरक्षित रह सकता है। साथ ही वह और ज्यादा आधुनिकीकरण पर भी नजर रखे हुए है।
किसके पास कितने परमाणु हथियार
ग्लोबल थिंक टैंक स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) की एक रिपोर्ट सोमवार को जारी हुई है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान के पास अब 140 से 150 के बीच परमाणु हथियार हैं। वहीं अगर भारत की बात करें तो यह संख्या 130 से 140 के बीच है। दूसरी तरफ चीन के पास 280 परमाणु हथियार हैं। अमेरिका और रूस के पास मौजूद परमाणु ताकत के आगे दुनिया का कोई देश नहीं टिकता है।
रूस और अमेरिका सबसे आगे
सिपरी की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के पास 6,450 तो रूस के पास 6,850 परमाणु हथियार हैं। दुनिया भर में इस समय 14,465 परमाणु हथियार हैं। इनमें रूस और अमेरिका का योगदान 92 प्रतिशत है। परमाणु क्षमता से लैस सात देशों के पास छोटे परमाणु हथियार हैं लेकिन ये देश या तो नया न्यूक्लियर वेपेन सिस्टम विकसित कर रहे हैं या फिर उन्हें डेप्लॉय कर रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और पाकिस्तान दोनों ही देश इस समय अपने परमाणु हथियारों में इजाफा कर रहे हैं। दोनों देश जमीन, हवा और पानी से लॉन्च हो सकने वाले मिसाइल डिलीवरी सिस्टम को भी डेवलप कर रहे हैं।
चीन और पाकिस्तान, भारत के लिए बड़ा खतरा
चीन अपने परमाणु हथियारों का आधुनिकीकरण कर रहा है और धीरे-धीरे परमाणु हथियारों का ढेर बढ़ा रहा है। सूत्रों की मानें तो भारत के सामने चीन और पाकिस्तान जैसे दो बड़े खतरे हैं। ऐसे में भारत के पास एक सिस्टम के तहत ऐसे परमाणु बचाव सिस्टम को विकसित करना है जो विश्वसनीय हो और जवाब में भारी नुकसान करने में सक्षम हो। विशेषज्ञ कहते हैं कि नो फर्स्ट यूज यानी एनएफयू नीति के तहत परमाणु हथियारों की संख्या ज्यादा मायने नहीं रखती है। पाकिस्तान ने जान-बूझकर अपनी परमाणु नीति को अति-महत्वाकांक्षी रखा है और उसका पहला मकसद भारत से बचाव करना है।