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पाकिस्‍तान का मीडिया के लिए तुगलकी फरमान, ऐसे न्‍यूज एंकरों की कर रहा बोलती बंद

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बेंगलुरु।आर्थिक कंगाली के दौर से गुजर रहे पाकिस्‍तान की हालत दिनों दिन खराब होती जा रही है। पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार हर फ्रन्‍ट पर हार चुकी है। देश और वहां की आवाम आर्थिक तंगी के कारण बहुत बुरे दौर से गुजर रही है। जिस कारण पाक की पीएम इमरान सरकार के खिलाफत बढ़ गयी है। लोगों ने विद्रोह करना आरंभ कर दिया है। उसकी आवाज दबाने के लिए पाक सरकार आए दिन नए हथकंडे अपना रही हैं।

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अब पड़ोसी मुल्‍क पाक के हुक्‍मरानों ने पाक की बदहाली दूर करने के बजाय वहां की सरकार ने मीडिया को कंट्रोल करने के लिए मीडिया के लिए एक तुगलकी फरमान जारी कर रही है। माना जा रहा है कि यह नया फरमान पीएम इमरान खान की के खिलाफ उठ रही आवाज को दबाने के लिए लिया गया है।

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माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री इमरान खान अपने खिलाफ उठती आवाजों से घबरा गए। इसलिए सरकार ने को सख्त रुख अपनाने के निर्देश दिए थे। जिसके तहत पाक सरकार ने पाकिस्तान में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया नियामक प्राधिकरण ने समाचारों के दौरान होने वाले विचार-विमर्श के दौरान टीवी एंकरों के राय देने पर रोक लगा दी है। पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया नियामक प्राधिकरण ने टॉक शोज के दौरान टीवी एंकर्स को अपनी राय रखने से रोक दिया है। एक मीडिया रिपोर्ट में सोमवार को बताया गया कि टीवी एंकर्स की भूमिका को एक मध्यस्थ के तौर तक ही सीमित कर दिया गया है।

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इसी के साथ उनकी भूमिका अब महज बुलेटिन संचालन तक सीमित कर दी गई है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार रविवार को जारी किए गए आदेश में पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया रेगुलेटर अथॉरिटी (पीईएमआरए) ने नियमित शो करने वाले एंकरों को निर्देश दिया कि वे अपने या दूसरे चैनलों के टॉक शो में विशेषज्ञ की तरह पेश न आएं। इस दौरान उसे किसी मसले पर अपनी निजी राय, फैसला देने या पक्ष लेने से बचना चाहिए। इसके अलावा नियामक संस्था ने मीडिया समूहों को भी निर्देश दिया है कि वे किसी टॉक शो में मेहमान को बुलाने से पहले संबंधित विषय में उनके ज्ञान और विशेषज्ञता को ध्यान में रखें।

हालांकि इमरान सरकार अपनी यह घबराहट छिपाने के लिए पीईएमआरए की आचार संहिता को हथियार बना रही है। उनका कहना है कि पीईएमआरए की आचार संहिता के मुताबिक एंकर की भूमिका कार्यक्रम का संचालन निष्पक्ष, तटस्थ और बिना भेदभाव के करने की है और उन्हें किसी मुद्दे पर व्यक्तिगत राय, पूर्वाग्रहों या फैसला देने से खुद को मुक्त रखना है। रिपोर्ट्स में आदेश का हवाला देते हुए एंकर पर यह तक आरोप लगाया जा रहा है कि टीवी एंकर विषय की जानकारी न रखते हुए, गैर जरूरी सवाल उठाने लगते हैं। नियामक निकाय ने मीडिया समूहों को निर्देश दिया कि वे टॉक शो के लिए मेहमानों का चयन के मामले में भी बेहद सतर्कता बरते। ऐसा करने के दौरान उस खास विषय पर उनके ज्ञान और विशेषज्ञता को भी ध्यान में रखें।

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बता दें हाल ही में पाकिस्‍तानी मीडिया में नवाज शरीफ को जमानत मिलने पर डील होने की चर्चा गर्मायी थी। जिस पर पीईएमआरए ने कहा कि हाईकोर्ट ने इस बात पर भी संज्ञान लिया कि कुछ चैनलों के एंकरों/पत्रकारों ने 25 अक्टूबर को कयासों के आधार पर चर्चा की और आरोप लगाया कि पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को 26 अक्टूबर को जमानत देने के मामले में एक कथित डील हुई है। शरीफ इस मामले में सात साल कैद की सजा काट रहे थे। इस्लामाबाद हाईकोर्ट द्वारा 26 अक्टूबर को दिए गए आदेश के बाद सभी टीवी चैनलों को ये निर्देश दिए गए। दरअसल कोर्ट ने शाहबाज शरीफ बनाम सरकार के मामले में विभिन्न टीवी शो पर संज्ञान लिया, जहां एंकरों ने आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए न्यायपालिका की छवि धूमिल करने की कोशिश की।

इसे भी पढ़े- एटॉमिक ब्लास्‍ट के समय पाकिस्‍तान छोड़ भाग निकले थे पाक मंत्री रशीद

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English summary
Pakistan government has banned the media so that the news channels in Pakistan Could not raise voice against Imran. Under this, TV anchors will not be able to give opinion, know what is this restriction
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